लखनऊ, एक अप्रैल । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में सिंचाई विभाग की भूमि पर हुए अवैध कब्जे को खाली कराने के निर्देश दिए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि यमुना किनारे दिल्ली में उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग की अरबों रुपए की भूमि पर पिछली सरकारों की मिलीभगत से रोहिंग्या ने अवैध कब्जा कर लिया है। इसमें अतिक्रमण और अवैध कब्जे करने और दिलाने में दिल्ली के एक विधायक और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के तत्कालीन कुछ अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। पूरे मामले की जानकारी होने पर श्री योगी ने नाराजगी जताते हुए अवैध कब्जों को खाली कराने के निर्देश दिये हैं।
आरोप है कि तत्कालीन सरकारों की सरपरस्ती में ही सिंचाई विभाग की जमीन पर रोहिंग्या को बसाया गया था। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की यमुना खादर में दिल्ली की सीमा में कुल 1007 हेक्टेयर जमीन है। ये जमीनें ओखला, जसोला, मदनपुर खादर, आली, सैदाबाद, जैतपुर, मोलरवंद और खुरेजी खास में हैं। इसमें सिंचाई विभाग की 20.9077 हेक्टेयर यानि 51.66 एकड़ जमीनों पर अवैध कब्जा है।
आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि यमुना किनारे दिल्ली में उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग की अरबों रुपए की भूमि पर पिछली सरकारों की मिलीभगत से रोहिंग्या ने अवैध कब्जा कर लिया है। इसमें अतिक्रमण और अवैध कब्जे करने और दिलाने में दिल्ली के एक विधायक और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के तत्कालीन कुछ अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। पूरे मामले की जानकारी होने पर सीएम योगी ने नाराजगी जताते हुए अवैध कब्जों को खाली कराने के निर्देश दिये हैं।
बता दें कि सीएम के निर्देश पर हाल ही में राज्य के सिंचाई और जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने पिछले दिनों दिल्ली में कैम्प कर अवैध कब्जा गिराने के अभियान का नेतृत्व किया था और सिंचाई विभाग की 21 हेक्टेयर जमीन में से छह एकड़ को मुक्त कराया था।
आरोप है कि दिल्ली के एक अल्पसंख्यक विधायक और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने इन जमीनों पर मिलीभगत कर अतिक्रमण और अवैध कब्जे कराए थे। सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आने वाले दिनों में बाकी जमीन भी मुक्त कराने का अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है।
सूत्रों ने दावा किया कि सपा और बसपा के शासनकाल में यमुना के किनारे दिल्ली में स्थित सिंचाई विभाग की अरबों रुपए कीमत की 21 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे हो गए थे, लेकिन तत्कालीन सरकारों ने इसे खाली कराने का प्रयास नहीं किया।