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दिल्ली पुलिस ने खुद की सुरक्षा के लिए किये प्रदर्शन में किरण बेदी जैसे पुलिस अधिकारी होने के नारे लगाएं और नहीं मानी पुलिस अधिकारियों की बातें attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 नवंबर ।पुलिस की शान समझी जाने वाली खाकी वर्दी से लोगों को काफी अपेक्षाए होती हैं और यही बात मंगलवार को पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने पुलिस मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे जवानों से कही है कि वे सभी कानून के रखवाले हैं और जनता के रक्षक हैं।

इन पुलिसकर्मियों ने आज श्री पटनायक की भी नहीं सुनी और वे ‘नारे लगा रहे थे कि दिल्ली पुलिस का अधिकारी कैसा हो , किरण बेदी जैसा हो।’ दिल्ली पुलिस के बड़ी संख्या में जवान काली पट्टी बांधकर मुख्यालय के बाहर जुटे हैं और अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह भी वर्दी के पीछे एक इंसान हैं, उनका भी परिवार है। उनकी पीड़ा कोई क्यों नहीं समझता। प्रदर्शन कर रहे पुलिस जवानों का कहना है कि उनके साथ ज्यादती हो रही है।

देश की राजधानी में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच भिड़ंत का यह पहला मामला नहीं है और इससे पहले 17 फरवरी, 1988 को पुलिस और वकीलों के बीच जोरदार झड़प हुई थी ।

इससे पहले भी कईं बार छिटपुट घटनाएं होती रही हैं, लेकिन 2 नवंबर को हुआ मामला बिल्कुल 1988 जैसा है। उस समय 1988 में तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस वालों के बीच जमकर बबाल हुआ था और उस समय पुलिस उपायुक्त किरण बेदी थी और उन्होंने पुलिस वालों को वकीलों पर लाठीचार्ज का आदेश दिया था। लेकिन यह बात भी थी कि उस वक्त पुलिस की तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई थी। उस समय तीस हजारी कोर्ट परिसर में विवाद के बाद लाठी चार्ज कर वकीलों को पीटा गया था इसलिए आज ये पुलिस वाले किरण बेदी के नाम का नारा लगा रहे हैं।

शनिवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुए बबाल में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था उत्तरी परिक्षेत्र) वरिष्ठ आईपीएस संजय सिंह और उत्तरी जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरेंद्र कुमार सिंह को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों को हटाने का आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को दिया था और मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए हैं।

इस साल दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर दूसरी बार बड़े पैमाने पर उंगली उठी है। जून में मुखर्जी नगर में दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से एक वृद्ध सिख कैब चालक और उसके नाबालिग बेटे को जिस बेरहमी से पीटा था उस घटना की आलोचना सभी स्तरों पर की गई थी और पूरा सिख समुदाय सड़कों पर आ गया था। उस वक्त शायद पुलिसकर्मियों ने मुख्यालय के बाहर इस तरह का प्रदर्शन नहीं किया था । लेकिन दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर अपना दामन साफ रखने की कोशिश की थी।

बहरहाल वकील भी शनिवार की घटना से काफी उग्र हैं और उच्चतम न्यायालय के वकील भी उनके साथ एकजुटता दिखा रहे है। दिल्ली में वकीलों की ओर से एक दिवसीय अदालत के बहिष्कार के बीच सोमवार को उच्चतम न्यायालय के वकीलों ने भी तीस हजारी कोर्ट में हुई हिंसक झड़पों के विरोध में उच्चतम न्यायालय के बाहर प्रदर्शन किया और वकीलों के साथ एकजुटता दिखायी। उच्चतम न्यायालय के वकीलों ने शनिवार की घटना में घायल वकीलों को दस-दस लाख रुपये देने तथा पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने अपनी तरफ से मामले की जांच रिपोर्ट केन्द्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी है।

पटनायक ने पुलिसकर्मियों से काम पर लौटने की अपील की:

दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे पुलिस कर्मियों को न्याय का भरोसा दिलाते हुए काम पर लौटने की अपील की है।

श्री पटनायक ने पुलिस कर्मियों से कहा कि यह समय दिल्ली पुलिस के लिए परीक्षा की घड़ी है और पुलिस वालों की सारी शिकायतें दूर की जाएगी। दिल्ली पुलिस के लिए यह परीक्षा, अपेक्षा और प्रतीक्षा का समय है। सरकार और दिल्ली को जनता को पुलिस वालों से काफी अपेक्षा रहती है क्योंकि हम कानून के रखवाले हैं। प्रतीक्षा की घड़ी इसलिए है क्योंकि तीस हजारी अदालत परिसर में जो घटना हुई है उसमें उच्च न्यायालय की ओर से न्यायिक जांच के आदेश दिए गए है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जांच में न्याय मिलेगा और प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।

पुलिस आयुक्त ने पुलिस कर्मियों के समझाते हुए कहा कि आपके मन में जो आशंका है उसे हम समझ रहे हैं। हम कानून के रखवाले हैं और जनता को हमसे उम्मीद है और हमारा बर्ताव भी इसी तरह का होना चाहिए। उन्होंने पुलिस कर्मियों की सभी शिकायतें दूर करने का भी आश्वासन दिया।

उन्होंने पुलिस कर्मियों को भरोसा दिया कि वकीलों के साथ पुलिस की झड़प के मामले को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय की पहल पर एक न्यायिक जांच शुरू की जा रही है और हमें भरोसा रखना चाहिए कि न्यायिक जांच बिल्कुल सही तरीके से होगी।

गौरतलब है कि गत शनिवार को यहां की तीस हजारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, पुलिस कर्मियों का आरोप है कि वकीलों ने पुलिस के कई जवानों को पीटा और साथ में तीस हजारी कोर्ट परिसर में कई जगहों पर आगजनी भी की। वकीलों द्वारा पुलिस कर्मियों की पिटाई के कई वीडियो वायरल भी हुए हैं। विभिन्न अदालतों के प्रदर्शन कर रहे वकीलों ने कल भी कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट और धक्का मुक्की की थी। पुलिस कर्मियों की इस पिटाई के विरोध में ही दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर पुलिस कर्मी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
दूसरी तरफ वकील भी सोमवार से हड़ताल पर हैं।

पुलिस का सड़कों पर उतरना, भारत के लिए एक ‘नई गिरावट’ है : कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस का सड़कों पर प्रदर्शन करना भारत के लिए स्वतंत्रता के 72 वर्षों में एक ‘नई गिरावट’ है। पार्टी ने इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि क्या यह है भाजपा का ‘नया भारत’। उन्होंने पूछा कि सत्तारूढ़ दल देश को कहां ले जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है और गृह मंत्री अमित शाह और गृह मंत्रालय इस बारे में कुछ नहीं कर रहा।

सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस का प्रदर्शन- 72 वर्षों में यह एक नई गिरावट है।’’

उन्होंने आगे लिखा, ‘‘ क्या यह है भाजपा का ‘नया भारत’? भाजपा देश को कहां ले जाएगी? भारत के गृह मंत्री अमित शाह कहां हैं?’’

उन्होंने आरोप लगाया कि एक ओर तो वकीलों को गोली मारी जा रही है और उनकी पिटाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर पुलिस की पिटाई हो रही है।

सुरजेवाला ने पूछा, ‘‘कानून-व्यवस्था की और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नागरिकों की रक्षा कौन करेगा। क्या यह वही नया भारत है जिसके बारे में भाजपा बात किया करती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कहां हैं गृह मंत्री अमित शाह। कृपया सामने आएं और बताएं कि आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कानून-व्यवस्था कायम रहे और पूरे मामले को विधि सम्मत तरीके के अनुसार सुलझाया जाए।’’

पार्टी के प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा, ‘‘यह अभूतपूर्व है। अगर कानून प्रवर्तन एजेंसियां ही सड़कों पर उतर आई हैं तो आम आदमी का क्या होगा?’’

उन्होंने कहा कि जब भी भाजपा सत्ता में आती है तो ऐसी घटनाएं होती हैं।

वकीलों के साथ झड़प के दौरान पुलिसकर्मियों पर हुए हमले के विरोध में मंगलवार को सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने यहां पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

गौरतलब है कि शनिवार को यहां तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। इस दौरान कम से कम 20 पुलिसकर्मी और कई वकील घायल हो गए थे। कई वाहनों में तोड़फोड़ की गई या उनमें आग लगा दी गई।

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