नयी दिल्ली, 18 दिसंबर ।उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चार दोषियों में से एक की मौत की सजा की पुष्टि करते हुये बुधवार को 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका खारिज कर दी।
मुजरिम अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के साथ ही अब निर्भया मामले में मौत की सजा का फैसला बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के निर्णय के खिलाफ चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें खारिज हो गयी हैं।
इन दोषियों के पास अभी सुधारात्मक याचिका दायर करने का एक अंतिम कानूनी विकल्प उपलब्ध है। न्यायाधीश सामान्यतया इस तरह की याचिकाओं पर अपने चैंबर में ही विचार करते हैं।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को मौत की सजा बहाल रखने के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दोषी मुकेश कुमार, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकायें खारिज कर दी थीं।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुये अपने 20 पन्नों के फैसले में कहा कि 2017 के शीर्ष अदालत के निर्णय में कोई ऐसी खामी नहीं है जिसकी वजह से उस पर फिर से विचार किया जाये।
पीठ ने कहा, ‘‘पुनर्विचार याचिका बार-बार सारे साक्ष्यों की विवेचना के लिये फिर से अपील पर सुनवाई करना नहीं है। कोई पक्षकार अपील पर फिर से सुनवाई और नये निर्णय के लिये फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने का हकदार नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘सारी परिस्थितियों और यह मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ श्रेणी में आने के मद्देनजर मौत की सजा की पुष्टि की जाती है।’’
शीर्ष अदालत ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने के एक घंटे के भीतर ही अपना फैसला सुनाया। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्भया के माता-पिता भी न्यायालय में मौजूद थे।
पीठ ने पुनर्विचार याचिका में ‘कलियुग’ में व्यक्ति के मृत शरीर से बेहतर नहीं होने और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर की वजह से जीवन छोटा होने के कारण मौत की सजा सुनाने को व्यर्थ बताने जैसे आधार रखे जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
पीठ ने कहा कि उसे पांच मई, 2017 के फैसले के निष्कर्षों और साक्ष्यों में किसी प्रकार की कोई खामी नजर नहीं आती। पुनर्विचार याचिका में बताया गया एक भी कारण पांच मई, 2017 के फैसले पर विचार के योग्य नहीं है। इसलिए, इसे खारिज किया जाता है।
पीठ ने कहा कि अक्षय ने भी पुनर्विचार याचिका में ठीक वैसे ही आधार बताये हैं जो तीन अन्य दोषियों ने अपनी याचिकाओं में उठाये थे।
पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते ही मुजरिम अक्षय के वकील वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।
दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून में दया याचिका दायर करने के लिये एक सप्ताह के समय का प्रावधान है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस सबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। यदि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को कोई समय उपलब्ध है तो यह याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह इस समय सीमा के भीतर दया याचिका दायर करने के अवसर का इस्तेमाल करे। ’’
पीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुये कहा कि दोषी ने एक बार फिर अभियोजन के मामले और अदालतों के निष्कर्षों को उठाया है लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
दोषी के वकील ने जांच में खामियों का मुद्दा उठाया तो पीठ ने कहा कि इन सब पर निचली अदालत, उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत पहले ही विचार कर चुकी है।
सिंह ने आरोपियों को गिरफ्तार करने और उनकी शिनाख्त परेड की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाये और कहा कि मीडिया का दबाव अभी भी है। इस संबंध में उन्होंने हाल ही में तेलंगाना में सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपियों की मुठभेड़ का भी जिक्र किया।
इससे पहले, दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।
मेहता ने कहा था, ‘‘ कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए। ’’
उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए।
वहीं, दोषी की ओर से पेश हुए वकील ए. पी सिंह ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है।
दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।
इस सनसनीखेज अपराध के सिलसिले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था। इस नाबालिग आरोपी पर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष मुकदमा चला था और उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखा गया था।
निर्भया की मां ने दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज करने के फैसले का स्वागत किया:
निर्भया की मां ने दिल्ली के सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार में से एक दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत किया।
निर्भया की मां ने कहा, “मैं इससे बहुत खुश हूं। आरोपियों के लिए फांसी का फरमान जारी करने के संबंध में पटियाला हाउस अदालत में एक सुनवाई होनी है और हमें उम्मीद है कि वह फैसला हमारे पक्ष में जाएगा।”
गौरतलब है कि इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।
निर्भया मामले में डेथ वारंट पर सुनवाई सात जनवरी तक टली:
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने निर्भया मामले के दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई सात जनवरी तक टाल दी है।
न्यायालय ने तिहाड़ जेल प्रशासन से चारों दोषियों को नोटिस जारी करने काे कहा है ताकि दोषी सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकें। इसे देखते हुए अब इनकी फांसी की सजा सात जनवरी तक टल गई है।
दरअसल निर्भया के माता- पिता ने न्यायालय से दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा की मांग करते हुए डेथ वारंट जारी करने की गुहार लगाई थी।
तिहाड़ जेल प्रशासन अब दोषियों को नोटिस जारी कर पूछेगा कि क्या वे नये सिरे से दया याचिका दायर करना चाहते हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा की अदालत ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की थी।
निर्भया मामले से जुड़े घटनाक्रम
उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले में चार में से एक अभियुक्त अक्षय कुमार सिंह की मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। सात साल पहले 16 दिसंबर को 23 वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:
-16 दिसंबर, 2012: अपने पुरुषमित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक बस में छह लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और बर्बर हमला करने बाद जख्मी हालत में उसे उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।
-17 दिसंबर: आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए।
- पुलिस ने चारो आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, सहयोगी विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।
-18 दिसंबर: राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- 20 दिसंबर: पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।
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21 दिसंबर: दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।
-21-22 दिसंबर: अक्ष्रय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।
-23 दिसंबर: निषेधाज्ञा की अवहेलना कर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस के सिपाही सुभाष तोमर को गंभीर चोटें आयीं।
-25 दिसंबर: पीड़िता की हालत गंभीर हो गई।
-26 दिसंबर:दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित किया गया।
- 29 दिसंबर: पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्यायों से जुझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने आफआईआर में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।
दो जनवरी 2013: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए त्वरित अदालत का उद्घाटन किया।
तीन जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।
पांच जनवरी: अदालत ने आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया।
सात जनवरी: अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।
17 जनवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।
28 जनवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है।
दो फरवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
28 फरवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।
-11 मार्च: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में अत्महत्या कर ली।
- 22 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।
पांच जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।
आठ जुलाई: त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।
11 जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर चोरी करने का दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।
-22 अगस्त: त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू की।
- 31 अगस्त: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी।
तीन सितंबर: त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।
10 सितंबर: अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके पुरुष मित्र की हत्या का प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।
13 सितंबर: अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।
23 सितंबर: उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।
तीन जनवरी 2014: उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
13 मार्च: उच्च न्यायालय ने चारों अपराधियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
15 मार्च: दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायलय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।
-15 अप्रैल: उच्चतम न्यायलय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।
- तीन फरवरी 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।
27 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
पांच मई: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को सदमे की सुनामी और दुर्लभतम अपराध करार दिया.
आठ नवंबर: एक दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।
12 दिसंबर: दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।
15 दिसंबर: अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
चार मई 2018: उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
9 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।
-10 दिसंबर 2019: चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
- 18 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की।
-दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे शेष कानूनी विकल्प हासिल कर लें।