नयी दिल्ली,25 नवंबर । पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों के बावजूद इसे जलाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहने पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा को आड़े हाथ लिया। न्यायालय ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली के लोगों को मरने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पराली जलाने पर अंकुश लगाने में इन राज्यों के विफल रहने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘‘क्या इसे बर्दाश्त किया जाना चाहिए? क्या यह आंतरिक युद्ध से कहीं ज्यादा बदतर नहीं है? बेहतर होगा कि आप इन सभी को विस्फोट से खत्म कर दें।’’
पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ‘दम घुंट’ रहा है और लाखों लोगों की उम्र कम हो रही है।
पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप इस तरह लोगों से पेश आते हैं और उन्हें प्रदूषण की वजह से मरने देंगे? लोग आखिर इस गैस चैम्बर में क्यों हैं? बेहतर हो आप इन सभी को खत्म कर दें। यह गड़बड़ काफी लंबे समय से चल रही है।’’
शीर्ष अदालत ने दिल्ली में जल और वायु प्रदूषण के मसले पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के लिये केन्द्र और राज्यों को भी फटकार लगायी।
न्यायालय ने दिल्ली में जल प्रदूषण के मामले को गंभीरता से लेते हुये कहा कि लोगों को शुद्ध पीने का पानी प्राप्त करने का अधिकार है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम हतप्रभ हैं कि दिल्ली में जल भी प्रदूषित है और आरोप लगाने का खेल जारी है। यह सब क्या हो रहा है।’’
न्यायालय ने दिल्ली में संचालित उद्योगों को लेकर सीपीसीबी से रिपोर्ट मांगी:
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से दिल्ली-एनसीआर में चल रहे उद्योगों के कारण होने वाले प्रदूषण के प्रभाव पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है ताकि यह देखा जा सके कि क्या इन उद्योगों को कहीं और स्थानांतरित करने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे कारखानों के बारे में जानकारी देने के दिल्ली सरकार को निर्देश दिये।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदूषण फैलाने वाला कोई भी कारखाना यहां नहीं चल रहा है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में किस तरह के उद्योग चल रहे हैं। प्रदूषण पर इनका क्या असर पड़ता है?’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि क्या ये कारखाने प्रदूषण को बढ़ा रहे है और क्या इन्हें कहीं और स्थानांतरित करना पड़ेगा।’’
पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चल रहे उद्योगों से संबंधित तथ्यों को उनके समक्ष रखने को कहा।
पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि अगले वर्ष छह जनवरी तय की।