नयी दिल्ली, 28 फरवरी । दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के मकसद से अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय एवं पुलिस को नोटिस जारी किए। याचिका में सीएए को लेकर नागरिकों को भड़काने के आरोप में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, एआईएमआईएम नेता वारिस पठान और असदुद्दीन ओवैसी सहित विभिन्न लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा गया है।
यह याचिका अजय गौतम ने दायर की है। इसमें अदालत से एनआई को जांच कर इस बात का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि आंदोलनों के पीछे ‘‘कौन सी राष्ट्र विरोधी ताकतें’’ हैं। साथ ही इसमें पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई)की भूमिका की जांच कराने का आग्रह किया गया है जो कथित रूप से ‘‘विरोध प्रदर्शनों का वित्त पोषण, उत्साहवर्द्धन और सहयोग कर रहा है।’’
याचिका में अधिकारियों को उत्तर पूर्व दिल्ली में नागरिकों की जान माल की रक्षा और स्थिति पर काबू पाने के लिए समुचित बल तैनात करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इस हिंसा में अभी तक 42 लोगों की जान गयी हैं और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
गौतम ने अपनी याचिका में दावा किया कि यह कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं है तथा इनके पीछे ‘‘राष्ट्र विरोधी और हिन्दू विरोधी ताकतें हैं तथा कुछ निहित स्वार्थ : राजनीतक दल : इन विरोध प्रदर्शनों का वित्त पोषण का रहे हैं।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि ये विरोध प्रदर्शन देश के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र है।
नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी संबंधी याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार से अदालत ने मांगा जवाब:
इसी प्रकार दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाला भाषण देने के मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत विभिन्न नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया। याचिका में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप के विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी और एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग की गई है।
यह याचिका ‘लॉयर्स वॉइस’ ने दायर की है। याचिका में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किए जाने की भी मांग की गई है।
भाजपा के तीन नेताओं के कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने संबंधी एक अन्य याचिका में दो अर्जियां दाखिल की गई हैं। इन अर्जियों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर पठान, असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्ला खान, अभिनेत्री स्वरा भास्कर और रेडियो जॉकी सायमा के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है।
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने एक अर्जी में एआईएमआईएम नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि नफरत फैलाने वाले उनके भाषणों के कारण दिल्ली में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा।
संजीव गुप्ता ने एक अन्य अर्जी में उत्तरपूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर खान, भास्कर, सायमा और हर्ष मंदर के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग की है। मंदर ने भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने की मांग करते हुए याचिका दायर की है।
दोनों अर्जियां मंदर की याचिका में दायर की गई हैं। गुप्ता और कुमार ने मामले में पक्षकार बनाए जाने की भी मांग की है।
मंदर की याचिका में भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के अलावा सीएए को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा के संबंध में प्राथमिकियां दर्ज किए जाने और गिरफ्तारियां किए जाने की मांग की गई है।
अदालत ने इन ताजा अर्जियों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किए हैं और उनसे इन पर जवाब देने को कहा है। अर्जियों को सुनवाई के लिए 30 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।