नयी दिल्ली, 27 नवंबर ।उच्चतम न्यायालय मनी लांड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम की ओर से दायर जमानत याचिका पर आगे की सुनवाई गुरुवार को करेगा।
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को श्री चिदम्बरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं अभिषेक मनु सिंघवी की विस्तृत दलीलें सुनीं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कल दलील देंगे।
श्री सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि रिमांड अर्जी में ईडी ने आरोप लगाया है कि श्री चिदम्बरम गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे, जबकि वह तो ईडी की हिरासत में थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री चिदम्बरम को इसलिए जमानत नहीं दी गयी जैसे वह रंगा बिल्ला हों।
उन्होंने कहा, “ क्या ईडी के अधिकारी ये कहना चाहते हैं कि ईडी के दफ्तर में जहां फोन भी उपलब्ध नहीं था, वहां से मैं (श्री चिदम्बरम) गवाहों को प्रभावित कर रहा था।”
श्री सिब्बल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने ईडी की तीनों बड़ी दलीलें (सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका, फ्लाइट रिस्क, गवाहों को प्रभावित करने की संभावना) को ठुकरा दिया। लेकिन इसके बावजूद सिर्फ ये कहते हुए ज़मानत देने से इंकार कर दिया कि श्री चिदम्बरम गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें इस घोटाले का सरगना साबित कर दिया गया, जबकि उनसे जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं है।
पूर्व कानून मंत्री ने कहा, “ बाकी लोग जिन्हें आरोपी बनाया गया है, उन्हें या तो गिरफ्तार नहीं किया गया है या फिर ज़मानत पर बाहर हैं।”
श्री सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जनता में ग़लत संदेश दिया कि यह मामला गंभीर है, इनको ज़मानत नहीं दी जा सकती, जैसे यह रंगा बिल्ला है। उन्होंने कहा कि श्री चिदम्बरम को जमानत क्यों नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि 10 लाख रुपए के अपराध के आरोप को करोड़ों रुपये के अपराध की तरह पेश किया जा रहा है।
श्री सिब्बल ने कहा, “मामले में सभी आरोपी जमानत पर है, लेकिन सिर्फ मैं जेल में हूँ उसके बाद भी मैं किंग पिन हूँ क्योंकि मैं कार्ति चिदम्बरम का पिता हूँ।”
श्री सिब्बल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहाँ ईडी ने अपने हलफनामे में जो कहा, वही दिल्ली उच्च न्यायालय का निष्कर्ष बन गया। उच्च न्यायालय ने ईडी के जवाब को हूबहू अपने फैसले में लिया और यही जमानत अर्जी को ठुकराने का आधार बन गया।
श्री सिब्बल की जिरह पूरी होने के बाद श्री सिंघवी ने जिरह शुरू की।
श्री सिंघवी ने कहा, “जांच एजेंसियों द्वारा बुलाये जाने पर मैं आया, मैंने कभी किसी गवाह और सबूत को प्रभावित नहीं किया।”
श्री चिदम्बरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय में पूछा: क्या मैं ‘रंगा-बिल्ला’ जैसा अपराधी हूं-
पी चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार किये जाने पर उच्चतम न्यायालय में सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या वह ‘रंगा-बिल्ला’ जैसे अपराधी हैं।
रंगा और बिल्ला को 1978 में दिल्ली में दो भाई-बहन गीता और संजय चोपड़ा के अपहरण और हत्या का दोषी ठहराया गया था और इन दोनों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इन दोनों अपराधियों को 1982 में फांसी दी गई थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि उन्हें ‘अनुचित तरीके’ से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ ‘एक भी साक्ष्य’ नहीं है।
इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में चिदंबरम की न्यायिक हिरासत की अवधि बुधवार को दो सप्ताह के लिये बढ़ा दी।
यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दर्ज किया था।
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने चिदंबरम की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने का आदेश दिया। इससे पहले, ईडी ने कहा कि जांच जारी है और उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि 14 दिनों के लिये बढ़ाने की मांग की थी।
चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उन्हें शीर्ष अदालत ने 22 अक्ट्रबर को जमानत दे दी थी।
इसी दौरान 16 अक्टूबर को ईडी ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से संबंधित धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को तिहाड़ जेल पहुंचकर चिदंबरम से मुलाकात की और पार्टी के अपने वरिष्ठ सहयोगी के साथ एकजुटता जाहिर की।
राहुल और प्रियंका की चिदंबरम से मुलाकात के बाद पूर्व वित्त मंत्री के पुत्र और सांसद कार्ति ने कहा, ‘‘ आज 99 दिन हो गए। 99 दिनों के बाद किसी को हिरासत में रखना अनुचित है। मैं आशा करता हूं कि उच्चतम न्यायालय से उन्हें न्याय मिलेगा और वह जल्द घर लौटेंगे।’’
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चिदंबरम को जमानत देने से इंकार करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के फैसले का हवाला दिया और कहा कि इसमें यह माना गया है कि पूर्व मंत्री के न तो भागने का खतरा है और न ही वह साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने के किसी प्रयास में संलिप्त रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद भी चिदंबरम की जमानत याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी कि अपराध गंभीर है और जमानत दिये जाने से देश में गलत संदेश जायेगा।
सिब्बल ने न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘‘यह कहा गया है (उच्च न्यायालय के फैसले में) कि यदि मुझे जमानत पर रिहा किया गया तो देश में गलत संदेश जाएगा मानो मैं ‘‘रंगा बिल्ला’’ जैसे अपराधियों सरीखा हूं।’’
चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल के साथ ही एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी बहस की। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि जब वह जांच एजेन्सी की हिरासत में थे तो गवाहों को प्रभावित कर रहे थे।
सिब्बल ने कहा, ‘‘प्रवर्तन निदेशालय को 2018 से तीन गवाहों के बारे में जानकारी थी, तो फिर चिदंबरम के साथ उनका सामना करने के लिये उन्हें पहले क्यों नहीं बुलाया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जेल में मेरा आज 99वां दिन है और देश ने कल संविधान दिवस मनाया है।’’
उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है तो वह चिदंबरम हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ किसी बेनामी भुगतान, बेनामी संपत्ति, बगैर खुलासे वाला बैंक खाता होना, किसी एसएमएस या किसी ईमेल के बारे में भी आरोप नहीं है जिससे उन्हें अपराध से जोड़ा जा सके।
सिब्बल ने कहा, ‘‘मैं अकेला व्यक्ति हूं जो इस मामले में जेल में है और बाकी अन्य जमानत पर हैं। मैं सरगना हूं क्योंकि मैं कार्ति चिदंबरम का पिता हूं।’’
उन्होंने कहा कि चिदंबरम के बारे में उच्च न्यायालय की टिप्पणियों को प्रवर्तन निदेशालय ने शीर्ष अदालत में चुनौती नहीं दी है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के आरोप के अनुसार यह दस लाख रूपए का मामला है और कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि यह किसी लेन-देन का हिस्सा है लेकिन इसके बाद भी उन्हें अपराध की गंभीरता के आधार पर जमानत देने से इंकार कर दिया गया है।
चिदंबरम की ओर से दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बुधवार को अपनी बहस पूरी कर ली। अब प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता बृहस्पतिवार को बहस शुरू करेंगे।
प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुये दावा किया था कि उन्होंने ‘निजी लाभ’ के लिये वित्त मंत्री के ‘प्रभावशाली कार्यालय’ का इस्तेमाल किया और इस अपराध की रकम को हड़प गये।
ईडी ने दावा किया था कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिये काफी है ।