नईदिल्ली 5 जुलाई। दिल्ली के उप-मुख्ममंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को कहा कि नौकरशाहों द्वारा दिल्ली सरकार के निर्देशों का पालन करने से इनकार करना अदालत की अवमानना के समान है और नेतृत्व इस विषय पर कानूनी विकल्प पर विचार कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों और केंद्र से फैसले का पालन करने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि उप-राज्यपाल निर्वाचित सरकार की सलाह मानने को बाध्य हैं और वह बाधा डालने वाले नहीं हो सकते।
सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा कि मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर बताया कि सेवा विभाग आदेशों का पालन नहीं करेंगे। अगर वे इसका पालन नहीं कर रहे हैं और तबादले की फाइलें अब भी उप-राज्यपाल देखेंगे तो यह संवैधानिक पीठ की आवमानना होगी।
उन्होंने कहा कि हम अपने वकीलों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं कि इस स्थिति में क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि उप-राज्यपाल केवल तीन विषयों में हस्तक्षेप कर सकते हैं जिनमें सेवा विभाग शामिल नहीं हैं।
सिसोदिया ने कहा कि मैं अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र से अपील करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करें। सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आए ऐतिहासिक फैसले के कुछ घंटे बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादलों और तैनातियों के लिए भी एक नई प्रणाली शुरू की, जिसके लिए मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिया गया है।
बहरहाल, सेवा विभाग ने यह कहते हुए आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में जारी उस अधिसूचना को नहीं हटाया जिसमें तबादलों और तैनातियों का अधिकार गृह मंत्रालय को दिया गया था।
दिल्ली सरकार ने शुरू कर दी है कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को नौकरशाहों के तबादलों और तैनातियों के लिए भी एक नई प्रणाली शुरू की, जिसके लिए मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिया गया है। हालांकि दिल्ली सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों ने इसका विरोध किया । डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया द्वारा जारी किए गए आदेश को बुधवार शाम नौकरशाहों ने इस आधार पर वापस कर दिया था कि यह “कानूनी रूप से गलत” है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि , ‘2 साल पहले हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार से ट्रांसफर-पोस्टिंग की ताकत छीनकर उपराज्यपाल और मुख्य सचिव को दे दी गई थी। बतौर सर्विसेज विभाग मंत्री मैंने आदेश जारी किया है कि इस व्यवस्था को बदलकर आईएएस और दानिक्स समेत तमाम अधिकारियों की ट्रांसफर या पोस्टिंग के लिए अब मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी होगी।’
अभी तक आईएएस और दानिक्स (दिल्ली, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह सिविल सेवा) अधिकारियों के तबादलों और तैनातियों के लिए मंजूरी देने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहा है।
हालांकि दिल्ली सरकार में कार्यरत वरिष्ठ नौकरशाहों ने दावा किया कि सेवा संबंधी मामले अब भी उपराज्यपाल के कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं क्योंकि दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है। एक शीर्ष अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की नियमित पीठ सेवा संबंधी मामलों और अन्य मुद्दों पर अंतिम निर्णय करेगी।
एक अन्य अधिकारी ने दावा किया कि शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय की मई, 2015 की अधिसूचना को रद्द नहीं किया है जिसके मुताबिक सेवा संबंधी मामले उपराज्यपाल के अधीन आते हैं।attacknews.in