नयी दिल्ली, आठ मार्च। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज विधानसभा की एक समिति को मुख्य सचिव को उसके सामने पेश होने पर दबाव नहीं डालने का निर्देश दिया और कहा कि शीर्ष नौकरशाह को नोटिस जारी करने का उसका कदम कानून की प्रक्रिया को धत्ता बताने का प्रयास लगता है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि दिल्ली विधानसभा की प्रश्न एवं संदर्भ समिति ने पांच मार्च को अदालत के समक्ष कहा था कि वह अगले आदेश तक मुख्य सचिव से जुड़े मामले में आगे नहीं बढ़ेगी, उसके बाद भी उसने उन्हें नोटिस जारी किया, उसके इस कदम पर सवाल खड़ा होता है।
अदालत ने कहा कि नोटिस जारी करने का उसका कदम कानून की प्रक्रिया को धत्ता बताने का प्रयास जान पड़ता है।
मुख्य सचिव कल उच्च न्यायालय पहुंचे थे क्योंकि उन्हें दिल्ली विधानसभा कीप्रश्न एवं संदर्भ समिति ने उनके विरुद्ध दर्ज एक शिकायत को लेकर पेश होने का निर्देश देते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था।
न्यायमूर्ति शकधर ने समिति के वकील से कहा, ‘‘ पांच मार्च को बयान देने के तत्काल बाद शिकायतकर्ता( प्रश्न एवं सदंर्भ समिति) ने मुख्य सचिव को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश देते हुए उन्हें नोटिस जारी किया।’’
न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, ‘‘ नोटिस जारी करने की ऐसी क्या अत्यावश्यकता थी? अपने मुवक्किल( समिति) से कहिए कि ऐसा न करें। अपने मुवक्किल से कहिए कि ऐसा लग रहा है कि वह कानून की प्रक्रिया को धत्ता बताने का प्रयास कर रहा है। यहां लंबित मुख्य याचिका का इंतजार कीजिए।’’
अदालत ने समिति से छह मार्च का नोटिस वापस लेने के लिये भी कहा। इस नोटिस में मुख्य सचिव से समिति के पास पेश होने का कहा गया था।
समिति की ओर से पेश वकील मनीष वशिष्ठ ने कहा कि समिति नोटिस वापस नहीं ले सकती क्योंकि दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी यह नोटिस जारी किया गया है लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि समिति उन्हें व्यक्तिगत रुप से पेश होने के लिए नहीं कहेगी, उनके कार्यालय का कोई अन्य कर्मचारी उस बैठक में जरुरी दस्तावेज लेकर पहुंच सकता है।attacknews.in