लखनऊ 15 दिसम्बर। दिल्ली में कांग्रेस की शनिवार को भारत बचाओ रैली में उत्तर प्रदेश की भागेदारी से उत्साहित पार्टी में अब मुख्य विपक्षी बनने की उम्मीद जाग गई है तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी अगले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पीछे छोड़ देने की जुगत में लगी हैं।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के शुरूआत में होने हैं, लिहाजा समय अब दो साल का ही बचा है। भारत बचाओ रैली में मुख्य भागेदारी उत्तर प्रदेश की ही थी जिसके लिये पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पूरे जोरशोर से लगी थीं। उन्होंनें हर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को दिल्ली पहुंचने की अपील की थी। उनकी अपील का असर भी नजर आया और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता दिल्ली गये।
प्रियंका गांधी की उन्नाव को लेकर सक्रियता को देख समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष भी तेजी से हरकत में आये और उस कांड के विरोध में विधान भवन में धरने पर बैठ गये । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की बच्चियां राज्य सरकार से सवाल कर रही हैं कि उन्हें न्याय कब मिलेगा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल शनिवार को गंगा परियोजना को लेकर कानपुर आये थे जहां उन्होंने गंगा की अविरलता और सफाई को लेकर किये जा रहे काम का जायजा लिया । सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मौके को जाया नहीं होने दिया और कानपुर से सटे जिले उन्नाव में जलाई गई युवती के परिवार वालों से मिलने पहुंच गये और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया ।
बसपा प्रमुख मायावती, कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुये भाजपा से ज्यादा इसी पार्टी पर आक्रामक रहती हैं। पिछले अक्तूबर में 11 सीटों पर हुये उपचुनाव में एक भी सीट नहीं मिलने का मलाल अब तक उन्हें है। उपचुनाव में भाजपा ने आठ और सपा ने तीन सीटें जीती थीं।
उन्नाव कांड को लेकर पिछले 07 दिसम्बर को जब उत्तर प्रदेश की राजनीति गरम थी तब सुश्री मायावती भी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिलने पहुंच गई थीं। यह पहला मौका था जब बसपा प्रमुख राज्यपाल से मिलने गई थीं । वो 07 दिसम्बर की सुबह ही राज्यपाल से मिलने वाली थीं लेकिन उनके शहर से बाहर रहने के कारण बसपा प्रमुख ने शाम तक इंतजार किया।