नयी दिल्ली, 06 फरवरी । दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए आठ फरवरी को होने वाले मतदान के लिए एक पखवाड़े से अधिक समय से जोर-शोर से चल रहा चुनाव प्रचार गुरुवार शाम छह बजे समाप्त हो गया।
प्रचार अभियान शुय में सुस्त था, लेकिन विभिन्न पार्टियों केे बड़े नेताओं के मैदान में आने से यह खूब जोरों से चला। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों से शुरू हुआ प्रचार अंतिम दौर में पहुंचते-पंहुचते राष्ट्रवाद और सांप्र्रदायिकता के रंग में रंग गया। नागरिकता (संशोधन) कानून के विरोध में शाहीनबाग में चल रहा धरना प्रदर्शन प्रचार का मुख्य केंद्र बन गया। नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इतना तेज और आक्रामक हो गया कि चुनाव आयाेग को हस्तक्षेप करना पड़ा।
इस बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) जहां अपनी सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अगुवाई में जुटी रही। वहीं 21 वर्ष से दिल्ली की सत्ता से दूर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी पूरी ताकत झोंक दी। पंद्रह वर्ष तक दिल्ली पर एकछत्र राज्य करने वाली कांग्रेस ने भी अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
छह जनवरी को चुनावों की घोषणा के बाद से आप पार्टी राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में वर्ष 2015 के ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराने के लिए जुट गई। पार्टी ने इस बार 15 विधायकों के टिकट काटे जबकि 47 को फिर से उम्मीदवार बनाया। शेष पांच विधायकों में कुछ भाजपा में शामिल होकर चुनाव मैदान में हैं। टिकट नहीं मिलने से कई विधायक बागी होकर बसपा और कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं।
श्री केजरीवाल के सामने 2015 में पार्टी को मिली 70 में से 67 सीटों के इतिहास को दोहराने की बड़ी चुनौती है। तीन सीटों पर सिमटी भाजपा सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है तो कांग्रेस भी खोई जमीन हासिल करने के लिए जुटी हुई है।
भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव अभियान की बागडोर संभाली और एक दिन में कई चुनाव सभाएं और रोड शो कर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। बीस जनवरी को पार्टी के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद जगत प्रकाश नड्ढा भी दिन रात एक किए हुए हैं। वह भी रोजाना कई सभाएं और विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में रोड शो कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हुए हैं। पार्टी ने इस बार मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं उतारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में पूर्वी दिल्ली और द्वारका में रैली की। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के अलावा अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य नेता पूरे प्रचार अभियान के दौरान जुटे रहे और रोजाना कई नुक्कड़ सभाओं और रोड शो में हिस्सा लिया।
कांग्रेस की तरफ से आखिरी के दिनों में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया । इसके अलावा पार्टी के अन्य नेताओं के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी प्रचार में हिस्सा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सभाओं को संबोधित किया।
आप पार्टी के प्रचार अभियान में पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों के अलावा बिजली-पानी फ्री और दिल्ली परिवहन निगम की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का जोर रहा। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में सत्ता में आने पर वर्तमान में जारी योजनाओं को जारी रखने के साथ ही गरीबों को दो रुपए प्रति किलोग्राम आटा, कालेज जाने वाली गरीब लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी, अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने को केंद्र में रखा। भाजपा ने प्रचार के दौरान केजरीवाल सरकार की कमजोरियों के साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यों और श्री मोदी की छवि को भुनाने का प्रयास किया।
ऐसा रहा अभियान का चरमोत्कर्ष:
चुनाव का प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने शाहीन बाग में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शन को केंद्र में रख आक्रामक प्रचार अभियान किया। आम आदमी पार्टी ने जहां अपनी सरकार की बिजली, पानी और महिलाओं के लिए नि:शुल्क बस यात्रा जैसे मुद्दों को जोर-शोर से सामने रखा तो वहीं कांग्रेस प्रचार अभियान में काफी पीछे नजर आई।
चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में इन तीनों मुख्य दलों ने मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), तुष्टीकरण की राजनीति तथा बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और हरिनगर तथा पश्चिमी दिल्ली के मादीपुर में तीन रोडशो किए।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूर्वी दिल्ली के अपने विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज में पदयात्रा की।
भाजपा ने चुनाव प्रचार की शुरुआत राष्ट्रीय राजधानी के लिए केंद्र द्वारा किए गए विकास कार्य के साथ की थी, लेकिन बाद में यू-टर्न लेते हुए इसने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरुद्ध की गई सड़क के मुद्दे को मुख्य मुद्दा बना दिया।
भगवा पार्टी के चुनाव प्रचार में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मैदान में उतर गए और दो रैलियों को संबोधित किया। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई रैलियों को संबोधित किया।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शाहीन बाग में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शन को लेकर आक्रामक प्रचार किया।
भगवा दल ने चुनाव प्रचार में अपने सांसदों और विधायकों को उतारने के साथ ही योगी के अतिरिक्त अपने शासन वाले कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया जिनमें गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह शामिल हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान तब बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भीड़ से ‘गद्दारों को गोली मारने’ का नारा लगवाया। वहीं, पार्टी के पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने भी शाहीन बाग को लेकर अपने बयान से विवाद खड़ा कर दिया।
निर्वाचन आयोग ने विवादित बयानों के चलते ठाकुर और वर्मा दोनों को क्रमश: 72 और 96 घंटे लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया तथा उन्हें पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची से भी हटवा दिया।
वर्मा को बुधवार को दूसरी बार चुनाव प्रचार से रोक दिया गया।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया। उन्होंने हालांकि, रैलियों की जगह रोडशो और जनसभाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
पार्टी ने वर्मा की ‘‘आतंकवादी’’ वाली टिप्पणी को लेकर भाजपा के खिलाफ दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में मौन जुलूस भी निकाला।
आप ने घर-घर जाकर लोगों से कहा कि यदि वे केजरीवाल को ‘‘दिल्ली का बेटा’’ मानते हैं तो पार्टी को दिल्ली की सत्ता में पुन: लेकर आएं।
कांग्रेस के चुनाव प्रचार में भाजपा और आप जैसा जोश नहीं दिखा। हालांकि, मतदान के दिन नजदीक आने के साथ पार्टी सक्रिय हुई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को राजौरी गार्डन में एक रैली को संबोधित किया। वहीं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार और बुधवार को जनसभाओं को संबोधित किया।