नयी दिल्ली, 27 सितम्बर । रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि राफेल सौदे से असहमति जताने वाले अधिकारी ने ही इस सौदे के बारे में कैबिनेट को भेजे गये नोट पर हस्ताक्षर किये थे जिसके आधार पर मंत्रिमंडल ने सौदे को मंजूरी दी थी।
मीडिया में आयी रिपोर्ट में कहा गया है कि राफेल सौदे के बारे में फ्रांस के साथ बातचीत करने वाली समिति के सदस्य रहे संयुक्त सचिव और खरीद प्रबंधक राजीव वर्मा ने राफेल की बेंचमार्क कीमत को लेकर सवाल उठाया था और अपनी लिखित असहमति दर्ज करायी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाद में महानिदेशक खरीद ने इस असहमति को खारिज कर दिया था।
श्रीमती सीतारमण ने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में आज कहा कि किसी भी सौदे पर सभी संबंधित अधिकारियों के मत दर्ज किये जाते हैं और बाद में सामूहिक निर्णय लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अपनी टिप्पणी भले ही लिखी हो लेकिन मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजे गये नोट पर भी इसी अधिकारी ने हस्ताक्षर किये थे।
उन्होंने इस बात को गलत बताया कि उक्त अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि इस अधिकारी को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रशिक्षण के लिए विदेश जाना था और वह इसी कार्यक्रम के तहत विदेश गये थे। यूरोफाइटर विमान को सस्ता बताये जाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि इस सौदे की बोली में यूरोफाइटर दूसरा सबसे सस्ता विमान था और उसे बनाने वाली कंपनी द्वारा 20 प्रतिशत कम कीमत की पेशकश निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद की गयी थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब तो विपक्ष नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के पास राफेल सौदे को ले गया है तो कैग क्या कहता है, यह उसकी रिपोर्ट में सबके सामने आ जायेगा।attacknews.in