नयी दिल्ली 21 जून ।पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एक महीने से भी अधिक समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ स्थिति की समीक्षा की।
सूत्रों के अनुसार रूस में विक्टरी डे परेड कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सोमवार को रूस रवाना होने से पहले श्री सिंह ने लद्दाख में जमीनी हालात और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना की तैयारियों का जायजा लिया। तीनों सेनाओं के प्रमुखों से कहा गया कि सेनाएं चौकस और सतर्क रहें तथा थल, जल और हवाई सीमा पर चीनी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखें।
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ जगहों पर अतिक्रमण की चीन की नापाक कोशिशों के कारण गत पांच मई से क्षेत्र में सैन्य गतिरोध बना हुआ है।
इसी गतिरोध के दौरान दोनों ओर के सैनिकों में गत 15 जून की रात हिंसक झड़प हुई । चीन ने सोची समझी योजना और साजिश के तहत इस झड़प को अंजाम दिया जिसमें एक कर्नल सहित सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे।
इसके बाद से ही दोनों देशों ने इस क्षेत्र में सैन्य जमावड़ा बढा रखा है और सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है।
श्री सिंह लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के घटनाक्रम पर बराबर नजर रखे हुए हैं और वह समय समय पर शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा करते रहे हैं।
विपक्षी सांसदों ने की गलवान घटना पर संसदीय समिति की बैठक बुलाने की मांग, भाजपा सदस्यों ने किया विरोध
इधर विपक्षी दलों के कई सांसदों ने रविवार को कहा कि गलवान घाटी में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प के मुद्दे पर विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाई जानी चाहिए और इसमें विदेश सचिव, रक्षा सचिव तथा अन्य शीर्ष अधिकारी समिति को पूरी घटना से अवगत कराएं।
इस बैठक की मांग करने वाले सांसद संबंधित समिति के सदस्य हैं।
हालांकि, समिति में शामिल सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों ने इस मांग को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि जब देश कोरोना वायरस संकट से जूझ रहा है तो ऐसे में बैठक बुलाना संभव नहीं है।
समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद पी पी चौधरी हैं।
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
घटना के बाद विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने मुद्दे पर चर्चा के लिए विदेश मामलों की स्थायी समिति की बैठक बुलाने की मांग की है।
आरएसपी सांसद एवं समिति के सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि भारत-चीन के बीच गतिरोध के मुद्दे पर बैठक बुलाई जानी चाहिए।
प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘‘जल्द से जल्द एक बैठक बुलाई जानी चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है। हिंसक झड़प पर समिति को जानकारी देने के लिए विदेश सचिव और रक्षा सचिव को बुलाया जाना चाहिए।’’
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सदस्यों को जानकारी देने के लिए उन सभी शीर्ष अधिकारियों को बुलाया जाना चाहिए जो घटना पर प्रकाश डाल सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘विदेश सचिव को गलवान घाटी में भारत तथा चीन के बलों के बीच हिंसक टकराव पर बैठक में जानकारी देनी चाहिए और सदस्यों को सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारियों को बुलाने की अनुमति दी जानी चाहिए जो इस पर अधिक प्रकाश डाल सकते हैं।’’
लेकिन भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि संकट के समय में राजनीतिक नेताओं को पार्टी लाइन से इतर सरकार के साथ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय बैठक की मांग करना राजनीति से प्रेरित है।
लेखी ने कहा, ‘‘चीनी दीवार से लड़ने के लिए राजनीतिक नेताओं को सरकार के साथ सुरक्षा दीवार की तरह एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए तथा दुष्प्रचार और राजनीति से बचना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि बैठक की मांग करने के पीछे अवश्य ही राजनीति है।
उनकी पार्टी की नेता एवं समिति की सदस्य पूनम महाजन ने कहा कि बैठक बुलाना संभव नहीं होगा क्योंकि ऐसा करना कोविड-19 महामारी की वजह से लोकसभा सचिवालय के कर्मचारियों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सदस्यों को संसदीय समितियों की बैठकें बुलाने का अधिकार है, लेकिन ये समितियां राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर राजनीति करने का मंच नहीं हैं।
इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने महासचिवों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बैठक की संभावना तलाशने को कहा है।