बेंगलुरु, तीन फरवरी । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ जारी सैन्य गतिरोध के बीच बुधवार को कहा कि भारत अपनी सीमाओं पर यथास्थिति में बदलाव की कोशिशों को लेकर सतर्क है और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस से निपटने को तैयार है।
सिंह ने यहां येलाहंका वायुसेना स्टेशन में आयोजित ‘एरो इंडिया-2021’ के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘हम अपनी विवादित सीमाओं पर यथास्थिति बदलने के लिए बल की तैनाती के कई दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों को लंबे समय से देख रहे हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘भारत अपने लोगों एवं क्षेत्रीय अखंडता की हर कीमत पर रक्षा करने के लिए किसी भी दुस्साहस का सामना करने और उसे मात देने के लिए सतर्क एवं तैयार है।’’
भारत और चीन के बीच पिछले साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों ने इस गतिरोध को सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इसमें कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है।
सिंह ने कहा कि भारत की योजना बड़े एवं जटिल मंचों के घरेलू विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगामी सात से आठ साल में रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर 130 अरब डॉलर खर्च करने की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्यात एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर रक्षा क्षेत्र में 2014 के बाद से कई सुधार किए हैं।
सिंह ने कहा कि आत्म-निर्भरता एवं निर्यात के दोहरे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, सरकार ने एरोस्पेस एवं रक्षा सामग्रियों और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपए के निर्यात समेत रक्षा विननिर्माण के क्षेत्र में 1,75,000 करोड़ रुपए की कुल बिक्री हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आगामी सात से आठ साल में रक्षा आधुनिकीकरण पर 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना की।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपने कई मित्रवत देशों की तरह भारत के सामने भी कई मोर्चों से खतरे और चुनौतियां पैदा हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि देश सरकार प्रयोजित आतंकवाद का पीड़ित रहा है और यह अब एक वैश्विक खतरा बन गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के रक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हाल में कई कदम उठाए हैं।
मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बड़े एवं जटिल रक्षा मंचों का घरेलू विनिर्माण हमारी नीति का केंद्र बन गया है।
सिंह ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया है कि इस समारोह में 55 से अधिक देशों की 80 विदेशी कंपनियों, रक्षा मंत्रियों, प्रतिनिधि मंडलों, सेवा प्रमुखों एवं अधिकारियों समेत करीब 540 प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वैश्विक समुदाय में बढ़ते आशावाद को दर्शाता है।’’
सीमाओं पर यथास्थिति बदलने की कोशिश का मुंहतोड़ जवाब देगा भारत : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज चीन का नाम लिए बिना कहा कि भारत सीमाओं पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिशों को किसी हाल में सफल नहीं होने देगा और सेनाएं देश की संप्रभुता तथा अखंडता की हर कीमत पर रक्षा करने के लिए तैयार हैं।
श्री सिंह ने कहा कि भारत को कई मोर्चों पर एक साथ चुनौती का सामना करना पड रहा है। एक ओर सीमापार से आतंकवाद की नापाक कोशिशें की जा रही हैं तो दूसरी ओर जहां सीमाओं का निर्धारण नहीं हुआ वहां उन्हें बदलने की एकतरफा प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा , “ हमने लंबे समय से सेनाओं की ताकत के बल पर विवादित सीमाओं में बदलाव करने की कोशिशों को देखा है। भारत चौकस और सतर्क है। हम अपने लोगों तथा अखंडता की रक्षा और इन कोशिशों को हर कीमत पर विफल करने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाली यह प्रदर्शनी भारत की रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में निरंतर बढती हुई ताकत का प्रतीक है और उन्हें विश्वास है कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सेनाओं के आधुनिकीकरण और भारत को रक्षा उत्पादों के निर्यात का गढ़ बनाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए अगले सात सालों में 130 अरब डालर की योजनाएं तैयार की जा रही हैं। विनिर्माण सुविधाओं के लिए कई इकाईयां बनायी जा रही हैं जहां अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार प्रणाली तैयार की जा रही हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया के अब तक के सबसे बड़े सौदे के तहत हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड को वायु सेना के लिए 48 हजार करोड़ रूपये की लागत से 83 स्वदेशी तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमान बनाने का आर्डर दिया गया है।
भारत मित्र देशों को सुरक्षा क्षमता बढाने में सहयोग के लिए तैयार: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि का माहौल बनाने के लिए सुरक्षा क्षेत्र में क्षमता निर्माण की दिशा में मित्र देशों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
श्री सिंह ने कहा कि हम सभी चुनौतीपूर्ण भू-राजनैतिक परिदृष्य में रह रहे हैं जिसमें देशों को न केवल सैन्य हमलों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है बल्कि कोरोना जैसी महामारी भी तबाही मचा रही है। इस स्थिति में भारत मित्र देशों के साथ मिलकर सहयोग से क्षमता निर्माण की दिशा में काम करने को तैयार है। इससे इन देशों के अपने सुरक्षा मुद्दों का भी समाधान किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र में भारतीय सेनाओं की क्षमता और ताकत का प्रदर्शन विभिन्न आपदाओं के दौरान दुनिया ने देखा है और भारत अपने मित्र देशों को इसका लाभ पहुंचाना चाहता है।
स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अभी वायु सेना के लिए 83 विमानों का आर्डर दिया गया है जो स्वदेशी रक्षा उद्योग में सरकार के विश्वास का प्रतीक है और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण को बढावा देने के लिए शुरू की गयी नयी नीतयिां इस बात का उदाहरण है कि विदेशी कंपनियों के लिए भारत में भागीदारी के लिए इससे अच्छा मौका और कोई नहीं होगा। इससे सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ का सपना भी पूरा होगा।
इस सम्मेलन में अनेक देशों के वायु सेना प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं ।