अहमदाबाद, 20 मई । गुजरात के विभिन्न हिस्सों में चक्रवात ताउते से जुड़ी घटनाओं में करीब 53 लोगों की जान चली गई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
राज्य आपातकालीन अभियान केंद्र से एक अधिकारी ने कहा कि अधिकतर लोगों की मौत तूफान के कारण दीवारें गिरने की घटनाओं में हुई है। इस तूफान ने गिर सोमनाथ में उना नगर के पास सोमवार रात दस्तक दी थी और कमजोर पड़ने से पहले करीब 28 घंटों तक इसका प्रलय जारी रहा।
राज्य आपदा आयुक्त हर्षद कुमार पटेल ने कहा, “ताजा उपलब्ध सूचना के मुताबिक, गुजरात में चक्रवात संबंधित विभिन्न दुर्घटनाओं में तकरीबन 53 लोगों की मौत हो गई।”
बुधवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के चक्रवात प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया था और “तत्काल राहत गतिविधियों” को अंजाम देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की।
बाद में, गुजरात सरकार ने चक्रवात ताउते संबंधी विभिन्न घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने को मंजूरी दी।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने तूफान के कारण घायल हुए लोगों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने के अतिरिक्त है।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चक्रवात तौकते के बाद खोजबीन एवं बचाव अभियान के संचालन पर सेना के तीनों अंगों और भारतीय तटरक्षक की प्रशंसा की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चक्रवाती तूफान तौकते के कारण प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे खोजबीन एवं बचाव अभियानों के लिए सशस्त्र बलों और भारतीय तटरक्षक के प्रयासों की सराहना की है।
उन्होंने समुद्र में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक की सराहना की, जबकि प्रभावित स्थानों में अपनी टुकड़ियां तैनात करने के लिए भारतीय सेना की तथा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों के परिवहन के लिए भारतीय वायुसेना की सराहना की।
श्री राजनाथ सिंह नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक श्री के नटराजन के साथ लगातार संपर्क में हैं।
गौरतलब है कि दिनांक 17 मई, 2021 को रक्षा मंत्री ने एक समीक्षा बैठक के दौरान सशस्त्र बलों को आसन्न खड़े चक्रवात से निपटने के लिए नागरिक प्रशासन को हर संभव सहायता देने का निर्देश दिया था।
भारतीय नौसेना तथा भारतीय तटरक्षक (इंडियन कोस्टगार्ड) ने अपने समुद्री और हवाई साजोसामान की तैनाती की है और पिछले कुछ दिन में मुंबई तट से चार नौकाओं से 600 से अधिक लोगों को बचाया है।
भारतीय नौसेना के जहाज एवं विमान फिलहाल दिनांक 17 मई, 2021 को मुंबई से 35 मील दूर डूबी एकोमोडेशन बार्ज पी-305 के लापता चालक दल के सदस्यों का पता लगाने के लिए खोजबीन और बचाव (एसएआर) अभियान में शामिल हैं। आईएनएस कोच्चि, कोलकाता, ब्यास, बेतवा, तेग, पी8आई समुद्री निगरानी विमान, चेतक, एएलएच और सीकिंग हेलीकॉप्टर भी खोजबीन व बचाव अभियान में शामिल हैं। आईएनएस तलवार को भी राहत और बचाव कार्य में सहायता प्रदान करने के लिए डायवर्ट किया गया है। दिनांक 20 मई, 2021 को सुबह सात बजे तक बार्ज पी-305 के कुल 186 लोगों को बचाया गया है तथा 37 शव बरामद किए गए हैं।
गुजरात तट के करीब आईएनएस तलवार ने सपोर्ट स्टेशन 3 और ड्रिल शिप सागर भूषण की मदद की थी, जिन्हें अब ओएनजीसी के सपोर्ट जहाजों द्वारा वापस सुरक्षित मुंबई लाया जा रहा है। इन जहाजों के 300 क्रू मेंबर्स को मुंबई से आए नौसैनिक हेलीकॉप्टरों द्वारा भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया गया।
भारतीय तटरक्षक के जहाज भी खोजबीन और बचाव अभियान में शामिल हैं और उन्होंने केरल, गोवा और लक्षद्वीप तटों के करीब से विभिन्न मछली पकड़ने वाली भारतीय नौकाओं जैसे बधरिया, जीसस, मिलाद, क्राइस्ट भवन, परियानायकी एवं नोवस आर्क के चालक दलों को सुरक्षित लाने में भूमिका निभाई है। आईसीजी तथा भारतीय नौसेना के जहाजों ने न्यू मैंगलोर बंदरगाह के करीब सिंगल पॉइंट मूरिंग (एसपीएम) संचालित हो रहे एमवी कोरोमंडल सपोर्टर-IX के चालक दल के नौ सदस्यों को निकालने के लिए आपसी समन्वय में काम किया।
आईसीजीएस सम्राट दमन से दो इंडियन कोस्टगार्ड हेलीकॉप्टर एवं आईएनएस शिकरा से भारतीय नौसेना के एक सीकिंग हेलो ने एमवी जीएएल कंस्ट्रक्टर पर सवार 137 कर्मियों को सुरक्षित निकाल लिया, जो कि बिजली की अनुपलब्धता के कारण मुंबई के उत्तर में समुद्र की ओर फंसा हुआ था।
इससे पहले भारतीय वायु सेना ने एनडीआरएफ के करीब 400 कर्मियों और 60 टन उपकरणों को अहमदाबाद ले जाने के लिए अपने सी-130जे और एएन-32 परिवहन विमानों को तैनात किया था। भारतीय सेना ने इंजीनियर टास्क फोर्स के साथ दीव के लिए जामनगर से दो कॉलम तैनात किए थे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए जूनागढ़ के लिए दो और कॉलम बढ़ाए गए थे। सेना सड़कों को साफ करने और जरूरतमंदों को भोजन और आश्रय देने के काम में भी लगी थी ।