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पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य की अचूक औषधि के कारण साइकिल के प्रयोग का प्रचलन विकसित देशों में बढ़ा attacknews.in

लखनऊ 02 जून । चिकित्सकों का मानना है कि साइकिल के नियमित इस्तेमाल से न सिर्फ मोटापा, मधुमेह और गठिया जैसी तमाम स्वास्थ्य संबंधी विसंगतियों से बचा जा सकता है बल्कि हृदय और श्वांस रोग से ग्रसित मरीजों के लिये यह अचूक औषधि का काम कर सकती है। 

चीन,जापान,नीदरलैंड,फिनलैंड,स्विटजरलैंड और बेल्जियम जैसे तमाम विकसित देशों में साइकिल का बढ़ता प्रचलन इस बात का द्योतक है कि शरीर को फिट रखने के लिये मुफीद दो पहियों की यह सवारी पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाती है। देश में भी कई जानेमाने प्रतिष्ठान और शैक्षणिक संस्थायें साइकिल के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देती है लेकिन सड़कों में अतिक्रमण और आटो मोबाइल वाहनों की तेजी से बढती तादाद से सेहत के प्रति गंभीर लोग चाह कर भी साइकिल की सवारी करने से कतराते है। 

यूनीवर्सिटी आफ लंदन के एक शोध के मुताबिक साइक्लिंग से दिमाग में सिरोटोनिन, डोपामाईन और फेनिलइथिलामीन जैसे जैविक रसायनो का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे तनाव कम होता है और दिलोदिमाग ताजा रहता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार साइकिल चलाना पैदल चलने से अधिक फायदेमंद है। साइकिल के नियमित इस्तेमाल से कैंसर का खतरा 45 प्रतिशत और दिल की बीमारियों का खतरा 46 फीसदी तक कम हो जाता है जबकि पैदल चलने से हृदयरोग का खतरा लगभग 27 प्रतिशत कम होता है। 

पर्यावरणविदों और चिकित्सकों का कहना है कि कि उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने साइक्लिंग को बढावा देने के लिये तमाम उपाय किये थे लेकिन अफसरशाही की उदासीनता और अतिक्रमण ने साइकिल पथों को लील लिया है। मौजूदा योगी सरकार के साथ साथ केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को चाहिये कि देश में पर्यावरण की हालत में सुधार लाने के अहम हथियार के तौर पर साइकिल को बढावा दे। कानपुर के लाला लाजपत राय चिकित्सालय में वरिष्ठ अस्थिरोग विशेषज्ञ प्रो रोहत नाथ ने कहा “ साइकिल सौ मर्ज की एक दवा है। साइकिल चलाने वाले युवकों में गठिया की संभावना न के बराबर होती है। पैडलिंग से जोड़ों और कूल्हे की एक्सरसाइज होती है। हजार रोगों की वजह शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी साइकिल की सवारी करने वाले को छू भी नहीं पाती। रक्तचाप बेहतर रहने से हृदय और श्वांस रोग से ग्रसित होने के बचा जा सकता है। ”

प्रो नाथ ने कहा कि लोगबाग फिट रहने के लिये जिम जाना तो पसंद करते है लेकिन छोटी मोटी दूरी तय करने के लिये कार और मोटरसाइकिल का सहारा लेते है। अगर नियमित रूप से पांच किमी साइकिल चलायी जाये तो उन्हे फिट रहने के लिये किसी और एक्सरसाइज की खास जरूरत नहीं रहेगी। 

उन्होने कहा कि सरकार को भी साइकिल के प्रचलन को बढावा देने के लिये खास उपाय करने की जरूरत है। इसके लिये साइकिल ट्रैक बनाये जायें ताकि भीड़भाड़ वाली सड़कों पर दुर्घटना से बचा जा सके। सड़कों पर साइकिल पथ के किनारे पेड़ लगाये जाये। इससे न सिर्फ प्रदूषण में कमी आयेगी बल्कि स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले लंबे चौड़े बजट में भी कमी लायी जा सकेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के छात्र मयंक अग्रवाल बताते है कि संस्थान में साइकिल का प्रचलन है। शिक्षक से लेकर छात्र सभी साइकिल से चलते हैं। एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने हो या फिर हास्टल में किसी से मिलना हो। साइकिल का उपयोग किया जाता है। 

एक अन्य छात्र दीपक सिंहल ने कहा कि पश्चिमी देशों की तरह भारत में साइकिल के इस्तेमाल को बढावा देने की जरूरत है। नीदरलैंड की पहचान साइकिल के देश के रूप में होती है। वहां की सरकार ने प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण का अक्षुण्य बनाये रखने के लिये साइक्लिंग को प्रोत्साहन दिया है। वहां के प्रधानमंत्री भी साइकिल से चलते हैं। इसी तरह डेनमार्क के काेपेनहेगन को सिटी आफ साइक्लिस्ट भी कहा जा है। अगर विकसित देश के लोग खुद को फिट रखने के लिये साइकिल को प्रोत्साहन देते है तो हमारे देश में इसका अनुसरण करना चाहिये।

सिंहल ने कहा कि सरकार को कार और दो पहिया वाहनो के लिये रोड टैक्स को बढा देना चाहिये जबकि साइकिल के लिये हर शहर में अलग पथ बनाना चाहिये। विज्ञापन के जरिये साइक्लिंग के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है जबकि वरिष्ठ पदों पर कार्यरत सरकारी अधिकारियों को कार के बजाय साइकिल से चलने पर जोर देना चाहिये ताकि वह आम लोगों में साइकिल के प्रति रूचि पैदा कर सकें। attacknews.in

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