नयी दिल्ली 04 जनवरी । केंद्र सरकार कोरोना वायरस कोविड-19 के देशव्यापी टीकाकरण अभियान के लिए अगले कुछ दिनों में पुणे की वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ की आपूर्ति का समझौता कर सकती है।
‘कोविशील्ड’ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित है और सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में इसका दूसरे तथा तीसरे चरण का मानव परीक्षण किया है। सीरम इंस्टीट्यूट साथ ही एस्ट्राजेनेका के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता करके भारत में ही कोविशील्ड के डोज तैयार कर रहा है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि टीकाकरण के पहले चरण के अभियान के दौरान एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों तथा कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे पर डटे दो करोड़ लोगों को निशुल्क टीका लगाया जायेगा। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने रविवार को कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) के सहयोग से तैयार पूरी तरह स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के आपात इस्तेमाल को सशर्त मंजूरी प्रदान की है। केंद्र सरकार ने फिलहाल टीकाकरण अभियान के लिए किसी भी कंपनी के साथ वैक्सीन की आपूर्ति का समझौता नहीं किया है।
कोरोना वैक्सीन की खुराक में कंपनियों की अदला-बदली प्रभावी नहीं
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय का कहना है कि कोरोना वायरस कोविड-19 की वैक्सीन की खुराक में कंपनियों की अदला-बदली प्रभावी नहीं है और किसी भी व्यक्ति को एक ही तरह की वैक्सीन की पूरी खुराक लेनी चाहिए, तभी वह प्रभावी साबित होगी।
भारतीय औषधि महानियंत्रक ( डीसीजीआई) ने रविवार को जिन दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है, वे दो खुराक वाली हैं। मंत्रालय का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को टीके की पहली खुराक जिस तरह की मिली है, उसे दूसरी खुराक भी उसी प्रकार की लेनी चाहिए क्योंकि कोई भी कोरोना वैक्सीन एक दूसरे का विकल्प नहीं हैं।
मंत्रालय ने बताया कि वैक्सीन की पहली खुराक लेने के 28 दिन बाद दूसरी खुराक लेनी होगी। दूसरी खुराक लेने के दो सप्ताह के बाद व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडीज का पर्याप्त निर्माण होने लगता है।