न्यायामूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ग्राहकों के एसएमएस अलर्ट पर प्रतिक्रिया ना देने पर भी बैंक अनधिकृत निकासी के लिए उत्तरदायी होंगे।
अदालत ने कहा कि एसएमएस अलर्ट ग्राहक के दायित्व को निर्धारित करने का आधार नहीं हो सकता क्योंकि कई ऐसे खाताधारक हो सकते हैं जिन्हें नियमित रूप से एसएमएस अलर्ट देखने की आदत ना हो।
निचली अदालत ने हाल ही में ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ को अपने उस खाताधारक को मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिसे अपने खाते से अनधिकृत निकासी से 2.4 लाख रुपए का नुकसान हुआ था।
बैंक ने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था।
बैंक ने दलील दी कि खाताधारक को विवादित निकास के संबंध में एसएमएस अलर्ट भेजा गया था और उसे तत्काल अपने खाते को ब्लॉक करने का अनुरोध करना चाहिए था।
उन्होंने तर्क दिया कि ग्राहक ने एसएमएस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी इसलिए बैंक उसे हुए नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘बैंकों के अपने ग्राहकों को सेवाएं देते समय एक बात निश्चित है कि ग्राहकों के हित की रक्षा करना उसका दायित्व है।’’
उसने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि अनधिकृत निकास से अपने ग्राहकों को बचाना बैंक का दायित्व है।’’
अदालत ने कहा कि इसके नतीजे स्वरूप ग्राहक को उसके द्वारा अधिकृत ना किए लेन-देन से उसे हुए नुकसान की भरपाई के लिए बैंक ही जिम्मदार होगा।
उसने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को सुरक्षित बनाना भी बैंक का दायित्व है।