नयी दिल्ली,/ शिवसागर ( असम ) तीन अक्टूबर । उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2012 में दो साल की एक बच्ची से बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर देने के मामले में दोषी व्यक्ति की मौत की सजा की गुरुवार को पुष्टि कर दी और कहा कि अपनी यौन पिपासा मिटाने के लिए उसने सभी प्राकृतिक, सामाजिक और कानूनी सीमाएं लांघ दीं।
तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा कि व्यक्ति ने निर्दयतापूर्ण तरीके से एक जीवन खत्म कर दिया जिसे अभी खिलना था। दो वर्षीय बच्ची के साथ अप्राकृतिक अपराध का उसका कृत्य उसकी गंदी और विकृत मानसिकता तथा बर्बरता की डरावनी कहानी को दिखाता है।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने जहां बंबई उच्च न्यायालय द्वारा जनवरी 2016 में रवि को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि की, वहीं न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी ने उसे उसकी स्वाभविक मृत्यु तक आजीवन जेल में रखने की बात कही।
अभियोजन के अनुसार लड़की के पिता ने मार्च 2012 में अपनी बच्ची के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी। जब पुलिस रवि के घर पहुंची तो दरवाजे बंद मिले।
जब पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो रवि वहां मौजूद था और लड़की बेहोश पड़ी थी। उसे नजदीक के अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
असम के शिवसागर में भी बलात्कारी को फांसी-
उधर शिवसागर (असम) में पिछले साल दो महिलाओं से बलात्कार के बाद उनकी हत्या करने और शवों को ट्रेन के शौचालयों में फेंक देने के मामले में यहां की एक सत्र अदालत ने गुरुवार को बिकाश दास नाम के एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई।
सत्र न्यायाधीश एस के पोद्दार ने दास को भादंसं की धारा 302 के तहत दोषी ठहराने के साथ ही भादंसं की धारा 376(1) (बलात्कार) के तहत कठोर आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने की भी सजा सुनाई।
अदालत ने कहा कि यदि वह जुर्माना नहीं भरता तो उसे तीन महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
सत्र न्यायाधीश ने 27 सितंबर को दास के एक सहयोगी को सबूतों के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था।
दस जुलाई 2018 को असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट की 21 वर्षीय एक छात्रा का शव सिमालगुड़ी रेलवे स्टेशन पर कामाख्या एक्सप्रेस के एक खाली डिब्बे के शौचालय में मिला था। उसके गले पर गमछा बंधा था। उसकी हत्या की गई थी।
इसके अगले दिन 11 जुलाई को एक अधेड़ उम्र की महिला का शव डिब्रूगढ़-राजस्थान अवध असम एक्सप्रेस में दिव्यांगों के लिए आरक्षित डिब्बे के शौचालय में मिला था। इस महिला के गले में भी गमछा बंधा था और उसकी नाक से खून निकल रहा था।
दास को 12 जुलाई को तिनसुकिया रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया। उसने स्वीकार किया कि उसने अपने एक साथी के साथ मिलकर इन दोनों महिलाओं से बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी थी।
रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) और पुलिस अधिकारियों ने कहा कि दास को तब पकड़ा गया जब एक सुरक्षाकर्मी ने उसके पास ऐसा ही गमछा देखा जो दोनों महिलाओं की हत्या में इस्तेमाल किया गया था।
अधिकारियों के अनुसार पुलिस ने दास के पास से दोनों महिलाओं के मोबाइल फोन, छात्रा के कुंडल और अधेड़ उम्र की महिला की एक पायल भी बरामद की थी।
सत्र न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दास की मौत की सजा की पुष्टि हालांकि गुवाहाटी उच्च न्यायालय पर निर्भर है। उसे फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील दायर करने के उसके अधिकार के बारे में सूचित कर दिया गया है