नयी दिल्ली, 27 दिसम्बर । इक्कीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक के अंतिम वर्ष की शुरुआत से ही देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से हलकान रहा । कोविड-19 ने एक तरफ जहां देश की अर्थव्यवस्था पर करारी चोट की वहीं दूसरी तरफ भारतीय राजनीति के कई बड़े क्षितिज नेता भी 2020 में दुनिया को अलविदा कह गये।
कोरोना की महामारी ने जिन प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को अपने आगोश में लिया , उनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल , असम के पूर्व मंत्री तरुण गोगोई और रेल राज्य मंत्री सुरेश अगंड़ी और कई सांसद -विधायक भी शामिल हैं।
देश के 13 वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की जान कोरोना संक्रमण ने ली। राजनीतिक जीवन में कांग्रेस में रहते हुए अपनी बात बेबाकी से रखने वाले सभी के लोकप्रिय श्री मुखर्जी का 84 साल की आयु में 31 अगस्त को निधन हो गया था। श्री मुखर्जी की मस्तिष्क में खून का थक्का हटाने के लिये शल्यचिकित्सा हुई थी और वह कोरोना संक्रमित थे। शल्यचिकित्सा के बाद वह अचेत ही रहे और 31 अगस्त को दुनिया को अलविदा कह गये।
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी कोरोना वायरस को नहीं हरा सके। पूर्वोत्तर और कांग्रेस दिग्गज नेता और गोगोई की 84 साल की उम्र में 23 नवंबर को मृत्यु हो गई।
कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल की जान भी कोरोना ने ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सिपाह सलाहकार रहे अहमद पटेल का 71 वर्ष की आयु में 25 नवंबर को कोरोना से निधन हो गया। वह तीन बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा सांसद रहे।
नरेंद्र मोदी सरकार में रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी की भी कोरोना वायरस से 65 साल की आयु में 23 सितंबर को एम्स में मृत्यु हो गयी।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का दायां हाथ माने जाने वाले और बिना किसी लाग लपेट के अपनी बात बेबाक तरीके से रखने वाले समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का 74 साल की आयु में 13 सितंबर को कोरोना से निधन हो गया। मृत्यु से चंद दिन पहले ही उन्होंने लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से अपना नाता तोड़ लिया था। डाॅ. प्रसाद ने जे.पी आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। उन्हें ग्रामीण मजदूरों के लिये शुरु की लोकप्रिय रोजगार योजना ‘ मनरेगा ’ का जनक माना जाता है।
केंद्र और बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी 2020 में दुनिया को अलविदा कहा। बिहार विधानसभा से ऐन पहले जेपी आंदोलन की पौध और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक श्री पासवान का 74 वर्ष की आयु में आठ अक्टूबर को दिल की बीमारी से निधन हुआ। उनकी देश में दलित राजनीति और सामाजिक न्याय पुरोधा के रुप में पहचान थी। वह आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में पहली बार सांसद बने और हाजीपुर संसदीय सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्यों में एक उत्तर प्रदेश में पार्टी की राजनीति के धुरी रहे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का भी 21 जुलाई को 85 वर्ष की आयु में निधन हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी लालजी टंडन ‘ बाबूजी ’ के नाम से लोकप्रिय थे।
सेना से भाजपा की राजनीति के धुरी बने बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में एक पूर्व विदेश और रक्षा मंत्री जसवंत सिंह का भी लंबी बीमारी के बाद 82 साल की आयु में 27 सितंबर को निधन हो गया। भाजपा की राजनीति के धुरी रहे जसवंत सिंह के अंतिम कुछ वर्ष पार्टी के साथ कड़ुवाहट भरे रहे। एक समय हालांकि वह पार्टी के शीर्ष और सर्वमान्य नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के के साथ धुरंधर नेताओं में शुमार थे।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और किसी वक्त कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी ने भी 29 मई को दुनिया से विदाई ले ली।
समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह के सबसे विश्वास पात्र राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने लंबे समय से चली आ रही गुर्दे की बीमारी के बाद एक अगस्त को सिंगापुर में दुनिया से विदा ले ली। उनका नाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को बचाने के लिए संसद में ‘ वोट फॉर नोट ’ मामले में खूब उछला था।
वर्ष की समाप्ति आते आते कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता , कोषाध्यक्ष और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने भी 93 वर्ष की आयु में 21 दिसंबर को अंतिम सांस ले ली। वह दो बार 1985 और 1989 में अविभािजत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
यही नहीं , चार सांसद आंध्र प्रदेश में तिरुपति से बल्ली दुर्गा प्रसाद, कर्नाटक से राज्यसभा सांसद अशोक तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद एच वसंतकुमार भी दुनिया से चल बसे। पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चेतन चौहान भी कोरोना से जंग नहीं जीत पाये। इसके अलावा भी कई विधायकों को इस वैश्विक महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया।