श्रीनगर / नयी दिल्ली, 25 फरवरी । जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने सोमवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को चेताया कि इस सीमाई राज्य के मूल निवासियों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35-ए में यदि किसी तरह का बदलाव किया गया तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
पीडीपी प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए में किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य के लोग राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की बजाय किसी और झंडे को भी थाम सकते हैं।
राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र को यह चेतावनी ऐसे समय में दी जब उच्चतम न्यायालय इस हफ्ते अनुच्छेद 35-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला है। यह अनुच्छेद राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है।
न्यायालय इस मामले में 26 फरवरी से 28 फरवरी के बीच किसी भी दिन सुनवाई कर सकता है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में शीर्ष अदालत से विभिन्न आधारों पर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने की दरख्वास्त की थी। एक आधार यह भी दिया गया था कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर सुनवाई इस साल जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी। तब केंद्र और राज्य सरकार ने कहा था कि वहां दिसंबर तक स्थानीय निकायों के चुनाव चलेंगे।
भाजपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने कड़े बयान जारी कर अनुच्छेद 35-ए को कमजोर करने या इसमें संशोधन करने के केंद्र के किसी भी कदम का विरोध किया।
महबूबा ने पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं (एनसी अध्यक्ष) उमर अब्दुल्ला के संपर्क में हूं। हमारे पास एक ऐसी रणनीति होनी चाहिए ताकि अनुच्छेद 35-ए पर कोई हमला नहीं हो। और यदि हमला होता है तो मैं नहीं जानती कि कश्मीर के लोग अपने हाथों में तिरंगे के अलावा कौन सा झंडा थाम लेंगे और यदि उन्होंने ऐसा किया तो फिर हमें मत कहना कि हमने आपको (केंद्र को) चेतावनी नहीं दी थी। जम्मू-कश्मीर के लोगों को मजबूर न करें।’’
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से किसी तरह का खिलवाड़ हुआ तो राज्य में इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम होंगे।
श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के मुख्यालय में पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने चेताया कि यदि संविधान के अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 के तहत मिले अधिकारों से खिलवाड़ हुआ तो राज्य में हालात अरुणाचल प्रदेश से भी ज्यादा खराब हो जाएंगे।
उमर ने कहा, ‘‘वे हर रोज (अनुच्छेद) 35-ए पर हमें धमकाते हैं। मैं केंद्र से कहना चाहता हूं कि अरुणाचल प्रदेश के हालात देखिए…जहां न तो आतंकवाद है, न ही पत्थरबाजी होती है। अरुणाचल प्रदेश जैसा शांतिपूर्ण राज्य भी जल रहा है। स्थायी निवासी का अपना दर्जा बचाने के लिए वे सड़कों पर उतर आए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इससे उन लोगों की आंखें खुलेंगी जो अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए के खिलाफ हैं। राज्य के विशेष दर्जे से खिलवाड़ के किसी भी दुस्साहस का जम्मू-कश्मीर में गंभीर और दूरगामी परिणाम होगा। हालात अरुणाचल प्रदेश से भी ज्यादा खराब हो जाएंगे।’’
उमर ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से किसी तरह की छेड़छाड़ के नतीजों के बारे में चेताना उनका कर्तव्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं धमकी नहीं दे रहा…आपको चेताना मेरा कर्तव्य है। बाकी आपकी मर्जी। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर दिल्ली को यह बताना मेरा फर्ज़ है कि आपकी सोच सही नहीं है।’’
संवाददाता सम्मेलन में महबूबा ने आगाह किया कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से किसी भी तरह की छेड़छाड़ राज्य के भारत में शामिल होने को अमान्य बना देगी। इसका नतीजा ऐसा होगा जो 1947 के बाद देश ने नहीं देखा है।
महबूबा ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम राज्य है जो कुछ शर्तों के साथ भारत का अंग बना और वह शर्त है अनुच्छेद 370…दुर्भाग्यवश, जब भी चुनाव होते हैं तो जम्मू-कश्मीर चुनाव प्रचार का हिस्सा बन जाता है। 2014 के चुनावों से पहले संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी दे दी गई थी।’’
माकपा ने मांग की कि केंद्र को अनुच्छेद 35-ए को बनाए रखने की सार्वजनिक प्रतिबद्धता जाहिर करनी चाहिए।
माकपा ने एक बयान में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के लोग इन खबरों से अत्यधिक सशंकित हैं कि संविधान के अनुच्छेद 35-ए को खत्म किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं…माकपा पोलित ब्यूरो अनुच्छेद 35 ए से छेड़छाड़ के कदम का कड़ा विरोध करता है।’’
इसने कहा कि केंद्र सरकार को मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और सार्वजनिक प्रतिबद्धता करनी चाहिए कि संविधान में अनुच्छेद 35-ए को अक्षुण्ण रखा जाएगा।
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