राहुल गांधी से विशेष साक्षात्कार: कांग्रेस पार्टी न्यूनतम आय योजना को लागू कर गरीबी पर आखिरी प्रहार करके गरीबों को इससे बाहर निकालेगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 मार्च । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) के अपने वादे से भाजपा के पस्त होने का दावा करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर अर्थव्यवस्था में फिर से नयी जान फूंकी (रिमोनटाइज) जाएगी जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है।

गांधी ने 11 अप्रैल से शुरू होने जा रहे 17वें लोकसभा चुनाव से पहले  दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि ‘न्याय’ योजना का एक मकसद देश के 20 प्रतिशत सबसे गरीब लोगों को साल में 72 हजार रुपये देना है और दूसरा मकसद बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने पिछले पांच वर्षों में नोटबंदी जैसी विफल नीतियों और गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) के खराब क्रियान्वयन से अर्थव्यवस्था को बदहाल कर दिया। असंगठित क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’’

गांधी ने  कहा, ‘‘न्याय के दो मकसद हैं। पहला, समाज में सबसे निचले स्तर के 20 प्रतिशत परिवारों को न्यूनतम आय की गारंटी देना है। दूसरा, अर्थव्यवस्था को दुरूस्त (रिमोनटाइज) करना है जिसे मोदी जी ने बेहाल (डिमोनटाइज) कर दिया है।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस योजना का नाम ‘न्याय’ रखे जाने का एक कारण है। हमने इसका नाम ‘न्याय’ क्यों चुना? क्योंकि नरेंद्र मोदी ने पांच वर्षों में गरीबों से सिर्फ और सिर्फ छीना, उन्हें कुछ नहीं दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने किसानों से छीन लिया, छोटे और मंझोले कारोबारियों से छीन लिया, बेरोजगार युवकों से भी छीना है, माताओं और बहनों की बचत तक छीन ली। हम देश के वंचित तबके को वह लौटाना चाहते हैं जो मोदी जी ने उनसे छीना है।’’

‘न्याय’ को परिवर्तनकारी और गरीबी पर आखिरी प्रहार करार देते हुए गांधी ने कहा कि यह योजना वित्तीय रूप से पूरी तरह क्रियान्वयन करने योग्य है और इसका नोटबंदी तथा जीएसटी की तरह जल्दबाजी में क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा।

इस योजना से राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब होने से जुड़ी कुछ अर्थशास्त्रियों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा, ‘‘नहीं, यह सही नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी ने बड़ी संख्या में अर्थशास्त्रियों एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया, कई कागजातों तथा इस विषय से जुड़ी शोध सामाग्रियों का अध्ययन किया गया तथा इसके क्रियान्वयन की संभावना पर पूरा मंथन करने के बाद इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का फैसला हुआ।

यह पूछे जाने पर कि ‘न्याय’ का वादा भी लोकलुभावन है तो गांधी ने कहा, ‘‘यह लोकलुभावन कदम नहीं है जैसा कि कुछ आलोचक बताने की कोाशिश कर रहे हैं।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ अगर नरेंद्र मोदी 15 लोगों को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये देते हैं तो उसे लोकलुभावन नहीं माना जाता। तो फिर गरीबों को फायदा पहुंचाने के मकसद से तैयार न्याय योजना को इस नजरिए से क्यों देखा जाना चाहिए।’’

नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए गांधी ने कहा, ‘‘हम जल्दबाजी में नहीं हैं। हम विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किए बिना, नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदम नहीं उठा सकते। हमने विचार-विमर्श किया और परखा भी है। ‘न्याय’ वित्तीय रूप से पूरी तरह क्रियान्वयन योग्य है।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम ‘न्याय’ को जीएसटी की तरह लागू नहीं करेंगे। हम सबसे पहले पायलट परियोजना के तौर पर इसे लागू करेंगे ताकि क्रियान्वयन की प्रक्रिया में अगर कोई खामी है तो उसे दूर किया जा सके। फिर हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करेंगे। हम लाभार्थियों की पहचान करने के लिए ठोस तरीका अपनाएंगे ताकि कोई पात्र परिवार छूट न जाए।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या पायलट परियोजना कांग्रेस शासित राज्यों में शुरू होगी, गांधी ने कहा कि इस बारे में फैसला विशेषज्ञ करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग सरकार ने 10 वर्षों में 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। हमारा लक्ष्य अब गरीबी को पूरी तरह खत्म करना है।’’

गांधी ने कहा कि आज भी 20 से 22 प्रतिशत परिवार गरीबी में जीवन जी रहे हैं। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो प्रधानमंत्री की नोटबंदी और गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) की वजह से गरीबी के दलदल में गिरे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मकसद भारत से गरीबी को पूरी तरह खत्म करना है।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि न्याय से कोई वित्तीय मुद्दा नहीं पैदा होने वाला है।

गांधी ने कहा कि सबसे गरीब लोगों के हाथ में पैसा जाने के बाद देश की विकास दर बढ़ेगी।

कांग्रेस पर दशकों से ‘गरीबी हटाओ’ का नारे लगाने के भाजपा के आरोप पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत की 70 फीसदी आबादी गरीब थी और कांग्रेस सरकारों ने इस परिदृश्य को बदलने के लिए कड़ी मेहनत की।

उन्होंने कहा, ‘‘गरीबी उन्मूलन ही एक बड़ी परियोजना है और इसके लिए दशकों तक सतत कार्य हुआ। आजादी के बाद से कांग्रेस गरीबी उन्मूलन के कदम उठाने में अग्रणी रही है।’’ गांधी ने कहा कि हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, उदारीकरण और मनरेगा एवं खाद्य सुरक्षा का अधिकार जैसे कदमों की वजह से करोड़ों भारतीय गरीबी के दायरे से बाहर निकले और अब गरीबी पर ‘आखिरी प्रहार’ करके 20-25 करोड़ गरीबों को इस दलदल से बाहर निकालना है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर मोदी जी ने अपना काम सही तरीके से किया होता तो गरीबी को खत्म करने की प्रक्रिया अब तक पूरी हो चुकी होती। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी नीतियों ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ हालात और बिगाड़ दिये।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस के साझेदार इस योजना को लागू करने पर सहमत होंगे, गांधी ने कहा कि उन्होंने ‘न्याय’ के बारे में किसी सहयोगी दल से कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं सुनी है। ‘‘हमें अधिकतर विपक्ष की तरफ से भी समर्थन मिला है।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मनरेगा को संसद में ‘संप्रग सरकार की विफलता का जीता जागता स्मारक’ बताया था, जबकि इस योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत दी है।

गांधी ने कहा, ‘‘न्याय से देश में उपभोग और उत्पादन का मजबूत दौर शुरू होगा जो अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाएगा।’’

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