अमेठी, 11 मार्च । कहावत है कि केन्द्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से हाेकर जाता है लेकिन लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही कांग्रेस के किले के तौर पर विख्यात अमेठी इस बार देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ ही भाजपा के लिये भी नाक का सवाल बन चुकी है।
केंद्र की सत्ता की राह आसान बनाने वाले इस राज्य की अमेठी सीट पर दशकों से कांग्रेस एकछत्र राज करती आयी है।
पिछले लोकसभा चुनाव में हालांकि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कड़ी टक्कर दी थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने छोटे पर्दे पर बहू के किरदार से चर्चित हुयी स्मृति को श्री गांधी के खिलाफ मैदान में उतारा था। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता रहे डॉ. कुमार विश्वास और बसपा से धर्मेंद्र भी मैदान में थे।
उधर, श्री गांधी भी सांसद के फर्ज को निभाते हुये अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच समय निकाल कर अपने संसदीय क्षेत्र में पहुंचकर और चौपाल लगाकर लोगों को अपनेपन का अहसास कराते रहे।
यहां दिलचस्प है कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस अपने दो किलों अमेठी और रायबरेली को ही बचाने में सफल रही थी।
राज्य में पहली बार मिलकर लोकसभा चुनाव में शिरकत कर रही समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाया लेकिन उसके लिये अमेठी और रायबरेली सीटें छोड़ दी जिसके चलते इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने हैं।
कांग्रेस के लिये यह सीट बचाना जहां आसान नहीं होगा वहीं भाजपा इस सीट को जीतकर प्रदेश में कांग्रेस की चूलों को हिलाने के लिये हर पैंतरे का इस्तेमाल करेगी।
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