गांधी ने कहा कि मोदी और तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने ‘‘कई, कई, कई वादे’’ किए लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने वादा किया कि हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रूपये आ जायेंगे, हर साल युवाओें के लिए दो करोड़ नौकरियों होगीं, किसान की कर्ज माफी और किसानों की पैदावार का न्यायोचित न्यूनतम समर्थन मूल्य… । उन्होंने यह भी वादा किया था कि वह देश के ‘‘चौकीदार’’ होंगे न कि प्रधानमंत्री।’’
गांधी ने कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि उन्होंने हर एक वादा तोड़ दिया है। उन्होंने ईमानदार प्रधानमंत्री होने का वादा भी तोड़ दिया।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राफेल सौदे में उद्योगपति अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रूपये दे दिये, लेकिन किसानों को उनका हक नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रधानमंत्री 15 लोगों के तीन लाख पचास हजार करोड़ रुपये माफ कर सकते हैं…वह भी देश के सबसे अमीर लोगों के, तो उन्हें भारत के किसानों के कर्ज माफ करने के लिए तैयार होना चाहिए।’’
गांधी ने कहा, ‘‘हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि आप सबके साथ निष्पक्ष रहें। अगर आप देश के सबसे अमीर लोगों के कर्ज माफ कर रहे हैं तो आपको देश के किसानों के साथ भी ऐसा ही करना चाहिए।’’
निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी निष्पक्षता में विश्वास करती है और इसकी सभी नीतियां समाज के विभिन्न वर्गों के लिए समान रूप से काम करने के लिए तैयार की जाती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि राव को नव निर्मित राज्य को बनाने और नए तरीकों से काम करने का सुनहरा मौका मिला, लेकिन उन्होंने “भ्रष्टाचार में शामिल होकर और पारिवारिक शासन को बढ़ावा देकर” इसे खत्म कर दिया।
गांधी ने कहा, “मुझे अपने लोगों से झूठ बोलने की आदत नहीं है। मेरी झूठे वादे करने की आदत नहीं है। मैंने कर्नाटक और पंजाब के किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था, और जब हमें वहां सत्ता में आये, तो हमने ऐसा ही किया।’’
गांधी ने कहा कि वह हर साल दो करोड़ नौकरियां देने या लोगों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये जमा करने जैसे लंबे चौड़े वादे नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, “यह मेरी विश्वसनीयता का विषय है और मैं इसे बहुत गंभीरता से लेता हूं।”
गांधी ने राज्य में सत्तारूढ़ टीआरएस सरकार पर बड़े कॉर्पोरेट संस्थानों का पक्ष लेने का आरोप लगाया।
कांग्रेस के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए, उन्होंने सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निजी शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा, “उचित” बिजली दरें और नगरपालिका और संपत्ति करों में कमी करने का वादा किया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन टीआरएस सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप विफल हुये हजारों अल्पसंख्यक संस्थानों को पुनर्जीवित करेगा।