नयी दिल्ली/गाजियाबाद/नोएडा/जयपुर 03 जनवरी । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां चल रहे किसान आंदोलन की तुलना गांधी जी के नेतृत्व में हुए चंपारण किसान आंदोलन से करते हुए कहा कि आंदोलनरत किसान भी सत्याग्रही है और वे तब ही लौटेंगे जब उनकी मांग पूरी हो जाएगी।
श्री गांधी ने आंदोलन कर रहे किसानों को भी चंपारण के किसानों की तरह सत्याग्रही आंदोलनकारी बताया और कहा कि आज के किसान भी पक्के सत्याग्रही है और मांग पूरी होने तक सत्याग्रह नहीं छोड़ेंगे।
हाड़ कंपाती ठंड, बारिश बीच मांगों लेकर डटे किसान
इधर नए साल की शुरुआत से बाद से हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और रविवार को बारिश के कहर के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर डटे रहे। गाजीपुर और नोएडा के चीला बॉर्डर पर किसान किसी तरह अपने आप को ठंड से बचाने की जद्दोजहद मेंं लगे रहे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कड़कड़ाती ठंड और कोहरे समेत कई मुसीबतों के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर किसी प्रकार डटे हुए हैं। और तमाम परेशानियों के बावजूद किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। आज सुबह से हो रही बारिश उनके आंदोलन पर मुसीबत बनकर बरस रही है। बारिश भी आंदोलनरत किसानों के सब्र का इम्तिहान ले रही है।
बारिश में भी किसानों का आंदोलन 39वें दिन जारी
उधर कृषि सुधार कानूनों के विरोध और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर बारिश में भी किसानों का आंदोलन रविवार को 39वें दिन जारी रहा।
राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर किसान संगठनों के लोग बारिश में भी धरना प्रदर्शन करते रहें और मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते रहें।
किसान संगठनों और सरकार के बीच कल अगले दौर की बातचीत निर्धारित है। इस बीच किसान संगठनों ने अपना रुख कड़ा कर दिया है और कहा है कि वार्ता विफल होने पर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में ट्रैक्टर ट्राली परेड निकली जाएगी ।
इससे पहले राजभवन का घेराव करने तथा आंदोलन के कई अन्य कार्यक्रमों की भी घोषणा की है। सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दर नहीं बढ़ाने तथा पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सहमति बनी है ।
किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहे हैं । किसानों के समर्थन में वकीलों , पूर्व रक्षाकर्मियों, मजदूर संगठनों और कलाकारों ने अपना समर्थन दिया है । कुछ लोगों ने विदेश से आकर एकजुटता व्यक्त की है ।
किसान संगठन राशन पानी लेकर सीमा पर डटे हैं और लंबे समय तक आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं ।
दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे तथा दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें रातभर हुई बारिश ने बढ़ा दीं। लगातार बारिश होने से आंदोलन स्थलों पर जलजमाव हो गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने रविवार को कहा कि किसान जिन तंबूओं में रह रहे हैं वह वॉटरप्रूफ हैं लेकिन ये ठंड और जलभराव से उनका बचाव नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, ‘‘बारिश की वजह से प्रदर्शन स्थलों पर हालात बहुत खराब हैं, यहां जलभराव हो गया है। बारिश के बाद ठंड बहुत बढ़ गई है लेकिन सरकार को किसानों की पीड़ा नजर नहीं आ रही।’’
सिंघू बॉर्डर पर डटे गुरविंदर सिंह ने कहा कि कुछ स्थानों में पानी भर गया है और समुचित जन सुविधाएं नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अनेक समस्याओं के बावजूद भी हम यहां से तब तक नहीं हिलने वाले जब तक कि हमारी मांगे पूरी नहीं हो जातीं।’’
मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में भारी बारिश हुई तथा बादल छाए रहने और पूर्वी हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई है।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 9.9 डिग्री सेल्सियस तथा 25 मिमी बारिश दर्ज की गई। पालम वेधशाला में न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री तथा 18 मिमी बरसात दर्ज की गई। छह जनवरी तक बारिश के साथ ओले गिरने का अनुमान है।
देश के लोग किसानों के साथ हैं : गहलोत
जयपुर,से खबर है कि ,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के विरोध में रविवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर ‘किसान बचाओ देश बचाओ अभियान’ के तहत धरना आयोजित किया गया।
धरने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलयट सहित कांग्रेस विधायक, प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्यों सहित पार्टी कार्यकताओं ने भाग लिया।
धरने को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की गलतफहमी दूर हो जायेगी क्योंकि केन्द्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ देश के लोग किसानों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है कि किसानों के 39 दिनों के विरोध के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। सरकार मानती है कि किसान थक जायेंगे और यह मुद्दा धीरे धीरे खत्म हो जायेगा।
गहलोत ने कहा, ‘‘यह धरना किसानों के लिए संदेश है कि पूरा देश पूरा प्रदेश, तमाम कार्यकर्ता आपके साथ एकजुट हैं। आपके संघर्ष में हम साथ हैं और जब आप आहृवान करोगो तो बार्डर पर साथ आ जायेंगे… गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि कोई नहीं आयेगा.. अभी हमने रोक रखा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एकजुटता दिखाने के लिये सात दिनों तक हमारे विधायक अपने-अपने क्षेत्रो में जायेंगे और लगातार किसानों से वार्तालाप करेंगे और सरकार ने जो कहा वो बतायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘हमने तीनों विधेयकों में संशोधन किये… पता नहीं राज्यपाल पर क्या दबाव है वो भेज नहीं रहे है केन्द्र को और यहीं कारण था कि आंदोलन शुरू हुए। अगर मोदी जी बिल पास करने के पहले बात सुन लेते सबकी तो यह नौबत नहीं आती देश के अंदर।’’
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है क्योंकि सरकार बड़े उद्योगपतियों को लाभ देने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राजग सरकार को अपने पिछले कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण विधेयक को विरोध के चलते वापस लेना पड़ा था और उसी तरह सरकार को इन कृषि कानूनों को वापस लेना होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी किसानों को तब तक समर्थन देती रहेगी जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता।
धरने को संबोधित करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘केन्द्र की सरकार को समझना चाहिए कि सरकार यदि कोई निर्णय वापस लेती है तो कोई हार नहीं है। कोई लज्जा वाली बात नहीं है… संशोधन करना, रोलबैक कर लेना, कानून वापस कर लेना, माफी मांग लेना यह नेता का कद बढाता है। हम धन्यवाद करेंगे केन्द्र सरकार का यदि वापस लेते है वो लेकिन लेने वाले इसलिये नहीं है क्योंकि जिद अड़ गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सब मिलकर यदि किसान के हित की बात करते हैं तो वह असली राष्ट्रवाद है… ये जो झूठे नेकर पहनकर भाषण देते है नागपुर से वो राष्ट्रवाद नहीं है… आप लव जिहाद के कानून बना रहे हो, आप शादी ब्याह पर चर्चा कर रहे हो और किसान के भविष्य को अंधेरे में धकेल रहे हो… इतिहास गवाह है इस देश में अधिकांश किसाना नेता कांग्रेस पार्टी से और कुछ ओर पार्टी से हुए… लेकिन भाजपा से किसान नाम की चीज आज तक नहीं हुई।