लखनऊ/ मथुरा/ अलीगढ़/नयी दिल्ली, दो सितंबर ।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जेल से रिहा किए गए डॉक्टर कफील खान से बुधवार को फोन पर बातचीत की और उनका हालचाल जाना।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रियंका से फोन पर बातचीत के दौरान कफील ने समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कफील मथुरा जेल से रिहा हुए हैं।कफील को भड़काऊ भाषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया गया था।
राज धर्म’ निभाने की बजाय ‘बाल हठ’ कर रही है उत्तर प्रदेश सरकार: रिहाई के बाद कफील खान ने कहा:
मथुरा जेल से रिहा होने के बाद डॉ कफील खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ‘राज धर्म’ निभाने की बजाय ‘बाल हठ’ कर रही है और वह उन्हें किसी अन्य मामले में फंसा सकती है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत खान की गिरफ्तारी को मंगलवार को अवैध बताया और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए। अदालत के आदेश के बाद, खान को मंगलवार देर रात मधुरा की जेल से रिहा किया गया।
खान के वकील इरफान गाजी ने बताया, “मथुरा जेल प्रशासन ने रात करीब 11 बजे मुझे सूचित किया कि डॉ कफील को रिहा किया जाएगा और मध्यरात्रि के आस-पास उनको रिहा किया गया।”
जेल से रिहा होने के बाद बातचीत में खान ने अदालत का शुक्रिया अदा किया।
खान ने कहा, “मैं अपने उन सभी शुभचिंतकों का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा जिन्होंने मेरी रिहाई के लिए आवाज बुलंद की। प्रशासन रिहाई के लिए तैयार नहीं था लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से मुझे रिहा किया गया।”
उन्होंने कहा, “रामायण में, महर्षि वाल्मीकि ने कहा था कि राजा को ‘राज धर्म’ के लिए काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में ‘राजा’ ‘राज धर्म’ नहीं निभा रहा बल्कि ‘बाल हठ’ कर रहा है।”
खान ने कहा कि उन्हें अंदेशा है कि सरकार उन्हें किसी दूसरे मामले में फंसा सकती है।
उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि राज्य सरकार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन वाले मामले के कारण उनके पीछे पड़ी हुई है।
खान ने कहा कि अब वह बिहार और असम में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करना चाहते हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की पीठ ने खान की मां नुजहत परवीन की याचिका पर उनकी रिहाई का आदेश दिया।
याचिका के अनुसार खान को सक्षम अदालत ने फरवरी में जमानत दी थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। उन्हें चार दिन तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनके खिलाफ रासुका लगाया गया। याचिका में दलील दी गई कि इसलिए उनको हिरासत में रखना अवैध था।
कफील संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जनवरी से जेल में बंद थे।
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के मामले के बाद कफील चर्चा में आये थे। वह आपात ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर बच्चों की जान बचाने वाले नायक के तौर पर सामने आए। बाद में उनपर और अस्पताल के नौ अन्य डॉक्टरों तथा स्टाफ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब ये सभी जमानत पर रिहा हैं।
राज्य सरकार की जांच ने खान को सभी बड़े आरोपों से मुक्त किया था जिसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार से माफी मांगने को कहा। डॉक्टर ने आरोप लगाया कि संस्थागत विफलता के कारण बच्चों की मौत हुई।
बाद में उन्हें धमकियां मिलने लगीं, उनके खिलाफ मामले दर्ज होने के अलावा उनके परिवार पर भी हमला किया गया जिसे कफील ने राज्य सरकार की तरफ से राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया।
इस रिहाई से पहले, कफील को फिर से किसी और इल्जाम में फंसाने की साजिश से आशंकित परिजन ने बुधवार को उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने का फैसला किया था।
उच्च न्यायालय का आदेश आने के बाद कफील के परिजन उनकी रिहाई के लिये मथुरा जेल पहुंचे थे लेकिन अधिकारियों ने आदेश न मिलने का हवाला देते हुए उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया था।
कफील के भाई अदील खां ने अधिकारियों पर टालमटोल का आरोप लगाते हुए आशंका जतायी थी कि कहीं प्रशासन उनके भाई को किसी और इल्जाम में फंसाने की साजिश तो नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आज कफील को जेल से रिहा नहीं किया गया तो वह बुधवार को उच्च न्यायालय में अवमानना की याचिका दाखिल करेंगे।
इस बीच, मथुरा के जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र ने कहा कि उच्च न्यायालय का जो भी आदेश होगा, उसका समुचित अनुपालन किया जाएगा। चूंकि कफील पर रासुका की कार्यवाही अलीगढ़ के जिलाधिकारी ने की थी, लिहाजा रिहाई के बारे में उनसे बात की जाए।
उधर, अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह से कई बार बात करने की कोशिश की गयी लेकिन बात नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से बड़ी संख्या में मरीज बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर कफील खान चर्चा में आए थे। उन्हें पिछले साल दिसम्बर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए के विरोध में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इस साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मथुरा जेल भेजा गया था। फरवरी में उन्हें अदालत से जमानत मिल गयी थी, मगर जेल से रिहा होने से ऐन पहले 13 फरवरी को उन पर रासुका के तहत कार्यवाही कर दी गयी थी, जिसके बाद से वह जेल में हैं।
कफील की रासुका अवधि गत छह मई को तीन माह के लिये बढ़ाया गया था। गत 16 अगस्त को अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गत 15 अगस्त को उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिये और बढ़ा दी थी।