नयी दिल्ली, 05 दिसम्बर ।करीब साढे तीन माह बाद जमानत पर आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त पी चिदम्बरम ने कहा है कि समाज में भय का माहौल व्याप्त है और मीडिया भी इससे अछूता नहीं है।
आईएनएक्स मामले में 106 दिन तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद श्री चिदम्बरम ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में डर का माहौल है और मीडिया में भी यह भय देखने को मिल रहा है। एक प्रमुख उद्योगपति ने भी हाल में इस भय का सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया है।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर असामान्य रूप से मौन हैं और उन्होंने अपने मंत्रियों को ‘‘लोगों को बेवकूफ बनाने तथा शेखी बघारने’’ के लिए छोड़ दिया है।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार का मानना है कि इस वित्त वर्ष के सात माह बाद भी अर्थव्यवस्था के सामने आ रही समस्याएं चक्रीय हैं।
चिदंबरम 106 दिन जेल में रहे और उन्हें बुधवार को जमानत पर रिहा किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को अर्थव्यवस्था की कोई खबर नहीं है। वह नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी, कर आतंकवाद जैसी भयानक गलतियों का बचाव करने पर अड़ी हुई है।’’
चिदंबरम ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन हैं। उन्होंने इसे अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया है जो ‘लोगों को बेवकूफ बनाने तथा शेखी बघारने’ में लगे हैं। अर्थव्यवस्था को सुस्ती से बाहर निकाला जा सकता है लेकिन यह सरकार ऐसा करने में अक्षम है।’’
पी चिदम्बरम ने देश के आर्थिक हालात को चिंताजनक बताते हुए सरकार पर इससे उबरने के लिए प्रबंधन क्षमता नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है।
श्री चिदम्बरम ने कहा कि वर्तमान आर्थिक मंदी से निपटा जा सकता है लेकिन मोदी सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में आर्थिक मंदी है। दूसरी बार सत्ता में आने के सात माह बाद भी सरकार इसे सामान्य उतार-चढ़ाव वाली मंदी बता रही है और यह ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंदी के इस दौर में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि श्री मोदी अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन हैं। वह कुछ नहीं बोल रहे हैं जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पिछली छह तिमाही के आंकड़े साफ बता रहे हैं कि स्थिति ठीक नहीं है। इन छह तिमाहियों के आर्थिक विकास के आंकड़ों में गिरावट क्रमश: 8.0, 7.0, 6.6, 5.8, 5.0 और अब 4.5 है। देश की अर्थव्यवस्था की इस तस्वीर पर सरकार मौन है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर जो भी तर्क दे रही है वह गलत है। इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और इसकी बर्बादी के कारणों को खोजने में वह असमर्थ है। प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय यह मानने को तैयार नहीं है कि अर्थव्यवस्था की इस बदहाली की वजह नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), कर आतंकवाद, संरक्षणवाद और केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी नीतियां हैं। आश्चर्य है कि सरकार अपनी गलतियों का बचाव करने की जिद में लगी हुई है।