नयी दिल्ली, 17 मार्च । केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा का नाम लिए बिना उस पर देश में गुस्सा फैलाने तथा युवाओं एवं किसानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से कोई दिशा नहीं मिल पाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि केवल कांग्रेस ही देश को दिशा दे सकती है।
कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन को संबोधित करते हुए आज यहां राहुल ने कहा, ‘ देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है। देश को बांटा जा रहा है। हिन्दुस्तान के एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़ाया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि हमारा काम जोड़ने का है। यह हाथ का निशान (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) ही देश को जोड़ सकता है। देश को आगे ले जा सकता है।
राहुल ने कहा कि उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस निशान की शक्ति आप पार्टी प्रतिनिधियों के भीतर है। हम सबको, देश की जनता को मिलकर देश् को जोड़ने का काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि महाधिवेशन का लक्ष्य कांग्रेस और देश को आगे का रास्ता दिखाने का है।
राहुल ने महाधिवेशन में भाग ले रही संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह आदि का नाम लेते हुए कहा कि इन नेताओं ने कांग्रेस के लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्होंने इन नेताओं का आभार व्यक्त किया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि महाधिवेशन भविष्य की बात करता है। बदलाव की बात करता है। लेकिन हमारी परंपरा रही है कि बदलाव किया जाता है किंतु बीते समय को भूला नहीं जाता। युवाओं की बात होती है। यदि युवा कांग्रेस को आगे ले जायेंगे तो जो हमारे अनुभवी नेता है, उनके बिना हमारी कांग्रेस पार्टी आगे नहीं जा सकती।
उन्होंने अपनी भूमिका को परिभाषित करते हुए कहा, ‘मेरा काम युवा एवं वरिष्ठ नेताओं को जोड़ने का है। एक नयी दिशा दिखाने का काम है।’
उन्होंने युवाओं के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा, ‘युवा जब मोदीजी की ओर देखता है तो उन्हें रास्ता नहीं दिखता। उन्हें यह बात समझ नहीं आती कि उन्हें रोजगार कहां से मिलेगा? किसानों को सही दाम कब मिलेगा? तो देश एक प्रकार से थका हुआ है। रास्ता ढूंढ रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं दिल से कहता हूं कि कांग्रेस पार्टी ही देश को रास्ता दिखा सकती है।’
उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना उस पर हमला बोलते हुए कहा, ‘वह क्रोध का प्रयोग करते हैं, हम प्यार का, भाईचारे का प्रयोग करते हैं। यह देश हम सब का है। हर धर्म का है, हर जाति और हर व्यक्ति का है। कांग्रेस जो भी काम करेगी, वह पूरे देश के लिए करेगी, सभी व्यक्ति के लिए करेगी। किसी को छोड़ेगी नहीं।’
सोनिया गांधी के विचार
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला और कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ जैसे नारे सिर्फ नाटक थे और सत्ता हथियाने की चाल थी ।
कांग्रेस के 84 वें महाधिवेशन में सोनिया ने कहा ,‘मैं राजनीति में नहीं आना चाहती थी, परिस्थितियों के कारण आई।’
उन्होंने कहा कि हमने बहुत से राज्यों में सरकारें बनाई और इन सरकारों के काम ने पार्टी को मजबूत बनाया।
उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार में हम अपने संकल्पों के प्रति सजग रहे और बहुत क़ामयाबी हासिल की। मनमोहन सिंह के समय अर्थव्यवस्था ने प्रगति की और विकास दर अब तक के सबसे उच्च स्तर पर रही। मनरेगा, खाद्य सुरक्षा जैसे कानून से करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव आया।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इन योजनाओं और कार्यक्रमों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
सोनिया ने कहा कि कांग्रेस सत्ता के अहंकार के सामने कभी नहीं झुकेगी। हम मोदी सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ जैसे नारे सिर्फ नाटक थे और सत्ता हथियाने की चाल थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में सबसे ज़्यादा योगदान दिया है। अब कांग्रेस अध्यक्ष और हम सबके सामने चुनौती आसान नहीं है। हमें संघर्ष करना होगा। पक्षपात मुक्त, प्रतिशोध मुक्त भारत बनाना होगा।
राजनीतिक प्रस्ताव और नेताओं के विचार
महाधिवेशन में आज लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी का राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। इसमें पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए आज अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि वह सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ सहयोग करने के लिए ‘साझा व्यावहारिक कार्य प्रणली विकसित ‘ करेगी।
दो दिवसीय महाधिवेशन में इस प्रस्ताव पर विस्तृत विचार विमर्श कर इसे अपनाया जाएगा। इस प्रस्ताव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी के माध्यम से पार्टी लोकसभा सहित अगले चुनावों में अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने की अपनी दिशा निर्धारित करेगी।
प्रस्ताव में कहा गया, ‘आज हमारे संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद पर खतरा पैदा हो गया है। हमारी आजादी खतरे में है। हमारे संस्थानों पर भारी दबाव है और उनकी आजादी से समझौता हो रहा है। हमें, अपने गणराज्य को हर कीमत पर बचाना होगा।’
पार्टी ने इसमें कहा, ‘हमारे संविधान के मूल चरित्र की रक्षा के लिए जिस प्रकार के बलिदान की जरूरत होगी, उसे देने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है। हम भाजपा राज के दौरान पतन के कगार पर पहुंच चुकी इस राजनीति की सफाई करेंगे, जो भारत के लोगों से की गयी अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाने में नाकाम रही है।’
प्रस्ताव में कांग्रेस ने आगाह किया कि एक साथ चुनाव करवाये जाने के गंभीर परिणाम होंगे। पार्टी ने अपने इस प्रस्ताव में चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी कुछ आशंकाएं व्यक्त की है। इसमें कहा गया, ‘जनमत के विपरीत परिणामों में हेराफेरी करने के लिए ईवीएम के दुरूपयोग को लेकर राजनीतिक दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंका है।’
प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को मतपत्र के पुराने तरीके को फिर से लागू करना चाहिए क्योंकि अधिकतर दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं।
कांग्रेस पार्टी ने इस प्रस्ताव के जरिये न्यायिक प्रणाली में तुरंत सुधारों की जरूरत पर भी बल दिया है। इसमें दलबदल को लेकर भी चिंता जतायी गयी है। इसमें कहा गया है कि पार्टी राजनीतिक स्थिरता कायम करने के लिए धनबल के खुलेआम दुरूपयोग पर रोक लगाकर दल बदलुओं को छह साल के लिए किसी भी चुनाव से लड़ने से वंचित करेगी।
प्रस्ताव में महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, आरएसएस-भाजपा, भ्रष्टाचार, आतंरिक एवं बाह्य सुरक्षा तथा आंध्र प्रदेश एवं मीडिया के मुद्दों पर भी चर्चा की गयी।
महाधिवेशन में राहुल, सोनिया के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, खड़गे, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, मोतीलाल वोरा, कमलनाथ, सुशील शिंदे, शिवराज पाटिल सहित अधिकतर सभी प्रमुख नेता, कांग्रेस प्रदेश समितियों के अध्यक्ष तथा देश भर के हजारों पार्टी कार्यकर्ता एवं एआईसीसी डेलीगेट्स मौजूद थे। महाधिवेशन में प्रियंका गांधी भी दिखायी दीं।
इस दौरान पार्टी नेता एवं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कृषि के बारे में एक प्रस्ताव रखा जिसे बाद में सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इसमें कांग्रेस ने मोदी सरकार के काल में कृषि क्षेत्र की विकास दर घटकर आधी हो जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात एक बार फिर से किसानों को ठगने की कोशिश है।
प्रस्ताव में कहा गया, “किसानों से किये गए वादे पूरे करने में नाकाम रही भाजपा सरकार अब वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का खोखला दावा करके किसानों को फिर से ठगने की कोशिश कर रही है।’
कांग्रेस ने आरोप लगाया, ‘वर्तमान सरकार द्वारा शुरू की गयी फसल बीमा योजना ने किसानों की बजाय निजी बीमा कम्पनियों को भारी फायदा पहुंचाया है। इसके जरिये बीमा प्रीमियम के नाम पर किसानों से बिना पूछे ही उनके बैंक खातों से जबरन पैसे काटे जा रहे हैं।’
विपक्षी पार्टी ने भाजपा सरकार पर हर साल दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने के वादे को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है।
प्रस्ताव में कहा गया है, “स्किल इंडिया के तहत युवा प्रशिक्षण पाने वालों में से सिर्फ 10 प्रतिशत युवाओं को ही रोजगार मिल सका है। कांग्रेस पार्टी युवाओं को रोजगार के हिसाब से तैयार करने के लिए प्रशिक्षण और उद्योगों के बीच सामंजस्य बिठाने पर विशेष ध्यान देगी।’’
महाधिवेशन के दौरान इन दोनों प्रस्तावों पर जहां विभिन्न नेताओं ने अपने विचार रखें, वही मीडिया की भूमिका को लेकर ‘‘सच की ताकत’’ विषय पर एक पैनल चर्चा भी हुई। इस चर्चा में भाग लेते हुए वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला, प्रवक्ता राजीव गौड़ा, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय एवं कुमार केतकर तथा पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पन्दन ने कहा कि मीडिया की कुछ खबरों में सच को तोड़मरोड़ कर पेश करने का चलन बढ़ रहा है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने महाधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत की अवधारणा में किसी एक धर्म, भाषा या संस्कृति की प्रधानता नहीं है, बल्कि यह बहुसांस्कृतिकता से जुड़ी हुई है।
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि हिंदूवादी ताकतें वैचारिक रूप से यूरोप खासकर जर्मनी और इटली के फासीवादी विचारकों से प्रभावित हैं।
कांग्रेस ने एक भाषा और संस्कृति को प्रमुखता देने वाले राष्टृ की यूरोपीय अवधारणा को खारिज किया था। एक राष्टृ के तौर पर भारत की अवधारणा का मतलब सभी लोगों के साथ एकसमान व्यवहार करना, सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करना है।
पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया ने केंद्र की मोदी सरकार में समूचे देश के लिए खतरा पैदा होने का दावा करते हुए महाधिवेशन में कहा कि किसान, नौजवान और महिलाएं त्रस्त हैं, लेकिन भाजपा के नेता और मंत्री मस्त हैं।
लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में पाकिस्तान रोजाना संघर्षविराम का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन कुछ नहीं किया जा रहा है। चुनाव से पहले इन्होंने एक सिर के बदले 10 सिर की बदले की बात की थी लेकिन सरकार में आने के बाद साडी़, आम और बिरयानी वाली कूटनीति शुरू कर दी गई।
उन्होंने कहा कि किसान परेशान हैं और उनकी परेशानी पर सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। मुंबई में आंदोलन करने वाले किसानों को शहरी माओवादी कहा गया। आज पूरा हिंदुस्तान खतरे में है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा कि मौजूदा सरकार में राजनीतिक प्रतिशोध से काम हो रहा है। विरोधियों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सिंघवी ने यह भी कहा कि किसी घोटाले पर सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने से उनके मंत्री बच जाते हैं। इसलिए मंत्रियों का भी विरोध होना चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी ने कहा कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस पहले की तरह मजबूत नहीं है, वहां यह फैसला करना होगा कि हमें अकेले चुनाव लड़ना है या गठबंधन में चुनाव लड़ना है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग सड़क पर उतर कर ही भाजपा और आरएसएस का मुकाबला कर सकते हैं।attacknews.in