नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर ।नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर फिर हमला बोलते हुए मंगलवार को कहा कि वह लोगों की भावनाओं के खिलाफ काम कर उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल रही है तथा नागरिकों की आवाज दबाने में उसे कोई हिचक नहीं होती है।
श्रीमती गांधी ने विपक्ष के 12 अन्य दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि नागरिकता अधिनियम लागू करने के विरोध में देश के पूर्वोत्तर से शुरु हुआ आंदोलन अब दिल्ली तक पहुंच चुका है और पुलिस निरंकुश होकर लोगों की आवाज दबाने का काम कर रही है।
नागरिकता कानून वापस लेने की मांग पर राष्ट्रपति से मिले विपक्षी नेता
कांग्रेस सहित 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने नागरिकता (संशोधन) कानून लागू करने के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में भड़की हिंसा के मद्देनजर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलकर इस कानून को वापस लेने के लिए सरकार को सलाह देने की मंगलवार को मांग की।
विपक्षी दलों के नेताओं ने श्री कोविंद को इस संबंध में ज्ञापन सौंपने के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि इस कानून को लागू करने के कारण देश की जनता में आक्रोश है और लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विरोध प्रदर्शनों के और तेज होने की आशंका है, इसलिए राष्ट्रपति सरकार को कहें कि स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़े, इसलिए वह इस कानून को तत्काल वापस ले।
राष्ट्रपति से मिलने गये 13 दलों के 19 नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, अहमद पटेल और जयराम रमेश के अलावा द्रविड मुन्नेत्र कषगम के टी आर बालू, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव तथा जावेद अली खान, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, आईयूएमएल के ई टी बशीर, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, एआईयूडीएफ के सिराजुद्दीन अजमल, पूर्व सांसद शरद यादव तथा आरएसपी के शत्रुजीत यादव शामिल थे।
श्रीमती गांधी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि देश के विभिन्न हिस्सों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में इस कानून के कारण स्थिति बहुत खराब हो गयी है इसलिए राष्ट्रपति इस मामले में हस्तक्षेप करें।
उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण आंदेालन कर रहे छात्रों तथा लोगों पर पुलिस अत्याचार कर रही है और लोकतंत्र में इस तरह का बर्ताव उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार पुलिस के दमन के जरिए लोगों को शांत करना चाहती है लेकिन उसकी यह सोच गलत है क्योंकि लोगों में इस कानून को लेकर जबर्दस्त गुस्सा है।