गलवान घाटी पर चीन का दावा भारत को स्वीकार नहीं
नयी दिल्ली 20 जून ।सरकार ने कहा है कि गलवान घाटी के बारे में चीन द्वारा किये जा रहे दावे भारत को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं हैं और ये दावे चीन के खुद के पहले के रूख के अनुरूप नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन के आधिकारिक प्रवक्ता के बयान पर आज यहां सवालों के जवाब में कहा ,“ गलवान घाटी के बारे में स्थिति बहुत लंबे समय से स्पष्ट है। चीन द्वारा अब वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अश्योक्तिपूर्ण तथा ऐसे दावे किये जा रहे हैं जो अपुष्ट हैं और उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। ये दावे चीन के खुद के पहले के रूख के अनुरूप नहीं हैं। ”
भारतीय सैनिक सीमा के गलवान घाटी सहित सभी सेक्टरों में एलएसी से भलीभांति परिचित हैं। वे इसका पालन करते हैं। भारतीय सैनिकों ने एलएसी के पार कभी कोई गतिविधि नहीं की है। वास्तविकता यह है कि वे इस क्षेत्र में लंबे समय से गश्त लगा रहे हैं और किसी तरह की घटना नहीं हुई है। भारत ने जो भी निर्माण किया है वह अपनी सीमा में किया है।
गत मई से ही चीनी सैनिक इस क्षेत्र में भारत के सामान्य और पारंपरिक गश्त में बाधा डाल रहे हैं। इसके कारण दोनों के बीच टकराव हुआ जिसका कमांडरों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल के प्रावधानों के अनुसार समाधान किया। प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस बात को नहीं मानता कि वह यथास्थिति को एकतरफा बदल रहा है बल्कि भारत इसे बरकरार रखे हुए है।
किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं: वायु सेना प्रमुख
हैदराबाद,से खबर है कि वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने शनिवार को यहां कहा कि वायुसेना लक्ष्य पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार तथा उपयुक्त जगह पर तैनात है।
यहां डुंडीगल में वायुसेना अकादमी (एएफए) में कम्बाइंड ग्रैजुएशन परेड (सीजीपी) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वायुसेना लक्ष्य पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और वह लद्दाख की गलवान घाटी में हमारे शूरवीरों के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि हम पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिये उपयुक्त जगह पर तैनात हैं। मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम लक्ष्य पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं तथा गलवान के अपने शूरवीरों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे।’’
उनका यह बयान सोमवार रात को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद आया है।
भदौरिया ने कहा, ‘‘हमारे क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य हमारे सशस्त्र बलों को हर समय तैयार और सतर्क रहने को कहता है। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति इस बात का छोटा सा नजारा है कि बेहद कम समय में स्थिति से निपटने के लिए हमें की क्या करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सैन्य वार्ता के दौरान हुए समझौतों के बाद चीन की अस्वीकार्य कार्रवाई और उसके परिणामस्वरूप जान के नुकसान के बावजूद सभी प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाए।’’
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि चीनी बलों के साथ झड़प के दौरान हमारे सैनिकों की वीरता ने किसी भी कीमत पर अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करने के संकल्प को दर्शाया है।
भारतीय सेना ने एलएसी पार करके चीनी सेना पर हमला किया :चीन
इससे पहले चीन ने आज फिर दावा किया कि गलवां घाटी कई वर्षों से उसके अधीन है तथा आरोप लगाया कि 15 जून को भारत के अग्रिम सैन्य बलों ने जानबूझ कर वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करके चीनी सैनिकों पर हमला किया था जिसके बाद हुए घमासान संघर्ष में अनेक हताहत हुए।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने ट्विटर पर गलवां घाटी की घटना को लेकर आठ बिन्दुओं में चीनी दृष्टिकोण को रखा है। इसके माध्यम से चीन ने यह संकेत दिया है कि वह गलवां घाटी में पीछे नहीं हटेगा और आगे भी सैन्य संघर्ष के लिए तैयार है।
चीन के साथ झड़प में शामिल कोई भी सैनिक लापता नहीं: सेना
इधर भारतीय सेना ने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद सेना के जवानों के लापता होने की मीडिया रिपोर्ट का खंडन करते हुए गुरुवार को कहा कि कोई सैनिक लापता नहीं है।
सेना के प्रवक्ता ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि कोई जवान लापता नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह बयान अमेरिकी अखबार ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में बुधवार को प्रकाशित एक आलेख के संदर्भ में है।
गौरतलब है कि सोमवार रात गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुईझड़प में एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गये। दोनों देशों के बीच लगभग पांच दशक बाद हुई इस झड़प में चार सैनिक गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। इससे पहले अक्टूबर 1975 में सीमा पर संघर्ष में भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।