श्रीनगर 27 जून ।भारत की आपत्तियों की परवाह किए बिना चीन पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एक हजार से ज्यादा मेगावॉट का नया पावर प्लांट लगाने जा रहा है.
नए पावर प्लांट पर चीन और पाकिस्तान के बीच सहमित ऐसे समय में हुई है जब पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में सीमा पर भारत और चीन की सेनाएं आमने सामने हैं. चीन ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में 1,124 मेगावॉट क्षमता वाला हाइड्रो पावर प्लांट बनाने के लिए सहमति दे दी है. यह पावर प्लांट झेलम नदी के पास लगाया जाएगा.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री उमर अयूब ने इस योजना के बारे में कहा है कि कोहला हाइड्रो पावर प्लांट प्रोजेक्ट पर चीनी कंपनी थ्री गोरजेज कोर्पोरेशन. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के प्रशासन और पाकिस्तानी बोर्ड प्राइवेट पावर एंड इंफ्रास्ट्राक्चर के बीच सहमति हो गई है. भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार यह ढाई अरब अमेरिका डॉलर की बड़ी परियोजना हैं.
चीन पहले ही अपनी वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर बना रहा है. इसके जरिए चीन के सामान की सीधी पहुंच अरब सागर तक होगी. यह कोरिडोर भी पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से गुजरता है और भारत इसका भी विरोध करता है।
कश्मीर पर दावे
भारत ने कई बार चीन के सामने इस कोरिडोर को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है और वह पाकिस्तानी कश्मीर में ऐसे किसी भी कदम का विरोधी है. पिछले दिनों जब पाकिस्तान ने गिलगित बल्तिस्तान में एक बांध बनाने के प्रोजेक्ट पर चीन के साथ समझौता किया था, तब भी भारत ने सख्त आपत्ति की थी. भारत का कहना है कि गिलगित बल्तिस्तान समेत पाकिस्तान के नियंत्रण वाला कश्मीर का पूरा इलाका भारत का है और पाकिस्तान ने इस पर गैरकानूनी रूप से कब्जा किया हुआ है.
वहीं पाकिस्तान का कहना है कि भारत कश्मीर के एक हिस्से पर गैर कानूनी रूप से जबरदस्ती कब्जा किए हुए है और कश्मीरी जनता के विरोध के बावजूद सैन्य ताकत के दम पर भारत वहां के लोगों पर अपनी मर्जी थोप रहा है.
कश्मीर घाटी में लगभग दस महीनों से लॉकडाउन और कर्फ्यू के हालात रहे हैं।
गिलगित बल्तिस्तान में पाकिस्तान ने चीन के साथ 442 अरब डॉलर की लागत से डायमर भाशा डैम बनाने का समझौता किया है. भारत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर, लद्दाख समेत सभी इलाके भारत का हिस्सा रहे हैं और आगे भी रहेंगे. “हम पाकिस्तान और चीन, दोनों को पाक अधिकृत भारतीय इलाकों में ऐसे प्रोजेक्ट्स से जुड़े अपनी आपत्तियों और चिंताओं से अवगत कराना चाहते हैं.”
हाल ही में जब पाकिस्तान ने गिलगित बल्तिस्तान में प्रांतीय एसेंबली के चुनावों की घोषणा की तो उस पर भी भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने मौसम से जुड़े अपने दैनिक बुलेटिन में गिलगित बल्तिस्तान और मुजफ्फराबाद को शामिल करना शुरू कर दिया।
वहीं भारत की इन आपत्तियों पर कोई ध्यान दिए बिना चीन और पाकिस्तान इस पूरे इलाके में कोरिडोर परियोजना के तहत विकास परियोजनाओं का जाल फैलाते जा रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में इस तरह के बड़ी परियोजनाओं से परेशान है, लेकिन चूंकि मामला चीन का है, इसलिए बयानबाजी के अलावा उसके पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं।