उज्जैन 19 अगस्त।मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन का समग्र विकास करना उनकी बहुत पुरानी आकांक्षा थी। राज्य सरकार ने भगवान महाकाल के संपूर्ण परिसर के विकास और श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से अन्य व्यवस्थाओं के लिए 300 करोड़ रुपए की योजना बनाई है।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश की पहचान भगवनान महाकाल की नगरी उज्जैन से है। यह एक महान और दिव्य स्थान है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए उनके लिए आकर्षक सुविधाएँ जुटाई जाए ताकि वे यहाँ पर रुके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाएगा और इसका क्रियान्वयन समय पर हो यह सुनिश्चित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना में महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों की बढ़ती हुई संख्या का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इसके आधार पर ही महाकाल मंदिर परिसर का विकास और विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के पूरे होने से उज्जैन के रहवासियों को भी लाभ होगा यहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ बढ़गी और लोगों को रोजगार मिलेगा।
भगवान श्री महाकालेश्वर की पांचवी सवारी धूमधाम से निकली: मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने पूजन किया
भगवान श्री महाकालेश्वर जी की पांचवी सवारी धूमधाम से निकली, सवारी निकलने के पूर्व सभामंडप ने मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने पूजन-अर्चन किया एवं सवारी को कंधा देकर आगे बढाया। उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा] जनसंपर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा] खेल युवा कल्याण एवं उच्चशिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी भी पूजन-अर्चन में शामिल हुए। पूजन-अर्चन पुजारी श्री घनश्याम शर्मा ने कराया।
श्रावण एवं भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में पांचवे सोमवार को सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने विभिन्न स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिये। जिसमें पालकी में श्री चन्द्रमोलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, बैलगाडी में गरूड पर शिवतांडव एवं बैलगाडी में नंदी पर श्री उमा-महेश के साथ डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविन्द विराजमान होकर अपनी प्रजा का हाल जानने निकले।
पालकी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची वहां सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची। रामघाट पर मॉं क्षिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया।
इसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पहुंची। जहॉ सिंधिया ट्रस्ट के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन किया गया। इसके पश्चात सवारी पटनी बाजार और गुदरी चौराहे से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। मंदिर पहुंचने के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर की संध्या आरती हुई।
भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी का लाईव प्रसारण श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की वेब साइट www.mahakaleshwar.nic.in पर किया गया।