पटना 27 फरवरी। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे ने आज कहा कि अदालतों पर निर्भरता कम करने के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराकर समझौते का प्रयास किया जाना चाहिए ।
मुख्य न्यायाधीश श्री बोबेडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह समय है कि विवादों के निपटारे के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराने का इंतजाम किया जाना चाहिए । इससे दीवानी और अपराधिक मामलों के निपटारे में मदद मिलेगी तथा अदालत पर निर्भरता भी कम होगी ।
उन्होंने कहा कि मुकदमे से पूर्व मध्यस्थता में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कानून के दायरे के अंदर होना चाहिए ।
न्यायमूर्ति श्री बोबेडे ने न्यायपालिका और न्यायिक फैसलों में तकनीक के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था की विभिन्न प्रक्रियाओं की दक्षता में सुधार लाने के लिए हाल में भारी निवेश किया गया है । अब न्यायिक प्रक्रियाओं में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल आसानी से किया जा रहा है । कोरोना वैश्विक महामारी ने इस बारे में लोगों की सोच को बदला है ।
भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का होगा गठन – रविशंकर
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का शीघ्र गठन किया जाएगा और इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) लेगा ।
श्री प्रसाद ने शनिवार को पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर ही भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का गठन किया जाएगा ताकि इस सेवा से कुशाग्र युवा प्रतिभा जुड़ सकें । उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए यूपीएससी परीक्षा लेगा, जो आईएएस और आईपीएस के लिए परीक्षा का आयोजन करता है।
कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं,न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका – नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार की ओर से न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने का वचन देते हुए कहा कि कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं है, न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका है ।
श्री कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी है कि ट्रायल का काम तेजी से चलता रहे।
उन्होंने कहा कि विधायिका कानून तो बना सकती है लेकिन सबसे बड़ी भूमिका न्यायपालिका की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जब उन्हें राज्य में काम करने का मौका मिला तब अपराध के मामले में ट्रायल की पटना उच्च न्यायालय के स्तर पर मॉनीटरिंग की गयी और तेजी से ट्रायल हुआ । न्यायाधीशगण को जिस जिले की जिम्मेवारी थी उस पर उन्होंने नजर रखा। न्यायालय ने काम किया और अपराधियों को सजा मिलनी शुरू हुई। इससे बिहार में अपराध की घटनाओं में कमी आयी।