रायगढ़ 9 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य रायगढ़ सीट में इस बार पिछले दो दशक से कब्जा जमाए भारतीय जनता पार्टी को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने इस सीट पर महिला उम्मीदवार गोमती साय को मैदान में उतारा है जिनका मुकाबला कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया से है।
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री की टिकट काटकर पहली बार महिला प्रत्याशी साय को चुनाव मैदान में उतारा है। साय जशपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।
साय का मुकाबला राठिया से है। राठिया जिले के धरमजयगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।
रायगढ़ सीट से कांग्रेस ने वर्ष 1967, 1980, 1985, 1989, 1991, 1996, 1999 एवं 2014 में महिला प्रत्याशियों को मौका दिया था। इसमें चार बार महिलाएं सफल हुई है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णु देव साय की टिकट काट दी है। चार बार से सांसद साय सहित राज्य के 10 सांसदों को भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दी है।
रायगढ़ लोकसभा में अब तक आठ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं वर्ष 1962 में राम राज्य परिषद से राजा विजय भूषण सिंह देव, 1977 में भारतीय लोक दल से नरहरि प्रसाद साय, 1989 और 1996 में भाजपा से नंदकुमार साय और 1999 से लगातार भाजपा के ही विष्णु देव साय निर्वाचित हुए हैं।
रायगढ़ सीट से सारंगगढ़ राजघराने की कुमारी पुष्पादेवी सिंह तीन बार 1980, 1985 और 1991 में चुनाव जीतीं थी और 1989, 1996 और 1999 में चुनाव हारी थीं।
अविभाजित मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार साय इस सीट से वर्ष 1985, 1989, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव लड़े, जिसमें से वर्ष 1989 और 1996 में ही वह चुनाव जीत सके। वर्ष 1998 में कांग्रेस के अजीत जोगी से हारने के बाद भाजपा ने उन्हें कभी भी इस सीट से टिकट नहीं दी।
1999 से लगातार हार के बाद कांग्रेस ने कभी भी इस सीट से किसी भी प्रत्याशी को फिर से मौका नहीं दिया।
इस बार के चुनाव में विष्णुदेव साय की टिकट कटने के बाद भाजपा की नई प्रत्याशी गोमती साय को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
क्षेत्र में राजनीतिक मामलों के जानकार परिवेश मिश्रा कहते हैं कि गोमती साय इस लोकसभा क्षेत्र के लिए नई उम्मीदवार हैं और नए चेहरे के कारण उन्हें ज्यादा मेहनत की आवश्यकता है। जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार लालजीत सिंह राठिया को उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण लाभ मिल सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के नेता, मिश्रा के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। भाजपा नेता और पूर्व विधायक रोशनलाल अग्रवाल कहते हैं कि रायगढ़ क्षेत्र के निवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के पांच साल के दौरान किए गए विकास कार्य से संतुष्ट हैं और वह एक बार फिर भाजपा पर भरोसा जताएंगे।
अग्रवाल को विश्वास है कि गोमती साय इस सीट पर भाजपा की जीत का सिलसिला जारी रखेंगी।
रायगढ़ लोकसभा सीट में करीब 50 फीसदी आदिवासी हैं, वहीं 25 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग, 20 फीसदी अनुसूचित जाति और पांच फीसदी सामान्य वर्ग के मतदाता हैं।
इस सीट में मतदाताओं की कुल संख्या 17,31,638 है, जिससे 8,68,304 महिलाएं है। रायगढ़ और जशपुर जिले की आठ विधानसभा सीट इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत हैं।
लोकसभा क्षेत्र में ह्यूमन ट्रैफिकिंग, रेल लाईन और टर्मिनल, भू-विस्थापन, हाथियों से मौत और जशपुर जिले का ओद्योगिक विकास प्रमुख मुद्दा है।
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से 2.16 लाख मतों से जीत हासिल की थी। जबकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा में कब्जा कर कांग्रेस करीब 2.06 लाख मतों से आगे है।
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