नयी दिल्ली, 08 मार्च । केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 200-प्वाइंट रोस्टर प्रणाली को लागू करने संबंधित अध्यादेश लागू किये जाने के एक दिन बाद ही शुक्रवार को इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी।
पृथ्वी राज चौहान और प्रिया शर्मा ने याचिका दायर करके अध्यादेश के प्रावधानों को निरस्त करने का न्यायालय से अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अध्यादेश के प्रावधान संवैधानिक प्रावधानों के प्रतिकूल हैं और इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अध्यादेश पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद गुरुवार देर रात इसकी
अधिसूचना जारी कर दी गयी। इसके साथ ही यह कानून प्रभावी हो गया। इससे दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के शिक्षकों की आरक्षित पदों पर नियुक्ति सुनिश्चित हो पायेगी।
यह अध्यादेश अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों, राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व के संस्थानों और शोध संस्थानों में लागू नहीं होगा। यह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, टाटा मेमोरियल सेंटर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग जैसे 17 उत्कृष्ट संस्थानों में भी लागू नहीं होगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार सुबह अपनी बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी थी।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा था कि सरकार रोस्टर प्रणाली को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को ही इकाई मानती है और इसके लिए 200 प्वाइंट वाले रोस्टर संबंधी इस अध्यादेश को जारी किया जायेगा। उन्होंने कहा था कि इस अध्यादेश के लागू होने से दलित, पिछड़े और आदिवासी वर्ग के शिक्षकों को आरक्षण मिलेगा और करीब पांच हजार शिक्षक इस अध्यादेश से लाभान्वित होंगे।
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 2017 में 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली की जगह 13 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को सही ठहराने के कारण आरक्षित पद के शिक्षकों का भविष्य खतरे में पड़ गया था। उच्चतम न्यायालय ने भी फैसले को बरकरार रखा था। केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली थी।
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