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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती का 200 पाइंट रोस्टर आरक्षण और कमजोर वर्ग को 10%आरक्षण देने का विधेयक लोकसभा में पारित attacknews.in

नई दिल्ली, 1 जुलाई । लोकसभा ने सोमवार को एक विधेयक पारित किया जिसमें केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों के पदों को भरने के लिए आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय या कॉलेज को विभाग के बजाय एक इकाई के रूप में बनाने का प्रस्ताव है।

केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक 2019, जो 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 8,000 मौजूदा रिक्तियों को भरने की अनुमति देगा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी प्रदान करेगा, को पेश किया गया था। इस वर्ष मार्च में जारी अध्यादेश का स्थान  लेगा ।


काग्रेस नेता अधीर राजन चौधरी द्वारा विधेयक को स्थायी समिति को भेजने के प्रस्ताव को सदन ने खारिज कर दिया।


मानव संसाधन विकास मंत्री (मानव संसाधन विकास) मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि इस विधेयक से शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे इसे समावेशी बनाया जा सकेगा और विभिन्न श्रेणियों के लोगों की आकांक्षाएं पूरी होंगी।

इस विधेयक को देश के शिक्षा क्षेत्र में नए युग की शुरुआत बताते हुए निशंक ने कहा कि इस प्रस्तावित कानून से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस विधेयक को अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है।


200 सूत्री रोस्टर के आधार पर पहले की आरक्षण प्रणाली को बहाल करने की मांग करने वाले विधेयक का विरोध करने वाले दलों को आड़े हाथों लेते हुए निशंक ने कहा कि इससे समाज में पिछड़ों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की कमी उजागर हुई है।

विधेयक पारित करते समय उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित व्यक्तियों की सीधी भर्ती करके नियुक्तियों में पदों के आरक्षण का प्रावधान करना है। कुछ केन्द्रीय शिक्षा संस्थान में संवर्ग भी इसमेे शामिल हैं ।

उन्होंने सदन को सूचित किया कि इस विधेयक में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है और सरकार ने ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के लिए 770 करोड़ रुपये के आवंटन को पहले ही मंजूरी दे दी है।


बहस के दौरान विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि इस विधेयक को व्यापक समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाए।

कांग्रेस नेता अधीर राजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक की विषय-वस्तु के खिलाफ नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले अध्यादेश जारी करने की जरूरी जानकारी पर सवाल उठाया।

चौधरी ने   “मैं अध्यादेश के आह्वान का विरोध करेंगे … , कहा कि अध्यादेश के इस तरह के मनमाने तरीके से आह्वान से जीवंत लोकतंत्र के लिए कोई संकेत नहीं मिलता।

उन्होंने कहा कि अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सरकार के विचार पर विचार करने से इंकार कर दिया और समीक्षा याचिका खारिज कर दी।


मार्च में मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालयों में संकायों की नियुक्ति के लिए आरक्षण व्यवस्था संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पिछले वर्ष मार्च में घोषणा की थी कि एक आदेश के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित शिक्षण पदों की संख्या की गणना करने के लिए एक अलग-अलग विभाग को आधार इकाई के रूप में माना जाना चाहिए। अप्रैल 2017 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया था ।

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी थी।


यह देश भर में शिक्षकों और छात्रों के विरोध के साथ सामनेे आया था ।



केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षणों के काडर में आरक्षण) विधेयक’ पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक के ए राजा ने सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के सरकार के कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि वर्ण व्यवस्था भी एक तरह से आरक्षण है जो अमानवीय और अलोकतांत्रिक है, जबकि संविधान के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति और पिछड़ों को मिला आरक्षण मानवीय और लोकतांत्रिक है।

तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा कि सरकार लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा से तीन दिन पहले अध्यादेश लेकर आई जिससे साफ पता चलता है कि उसने चुनावी फायदे के लिए यह कदम उठाया।

वाईएसआर कांग्रेस के एन रेदप्पा ने विधेयक का समर्थन करते हुए उम्मीद जताई कि इससे अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग के लोगों को शिक्षण संस्थानों में नियुक्तियों में पूरा न्याय मिलेगा।

जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि अध्यादेश लाकर और अब विधेयक के माध्यम से सरकार ने साबित किया है कि हमारे रहते हुए आरक्षण को कोई छू नहीं सकता।

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग करने पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्ष दलों ने चुनाव से पहले 200 बिंदुओं के रोस्टर को बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन इस विधेयक का समर्थन नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दांत खाने के कुछ और हैं तथा दिखाने के कुछ और हैं।

शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देश और महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों की प्रक्रिया रुक गई थी और अब यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

बीजू जनता दल के बी. महताब ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि उन्होंने सवाल किया कि सरकार इसका क्रियान्वयन कैसे करेगी।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और दूसरे पिछड़े वर्गों को शिक्षण व्यवस्था में समुचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए और उम्मीद की जाती है कि इस विधेयक से उनको मदद मिलेगी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने भी विधेयक का समर्थन किया और पूछा कि आखिर सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों की कुलपतियों की नियुक्तियों में इसे कैसे लागू करेगी? उन्होंने यह भी कहा कि जनता और विपक्षी दलों के दबाव के कारण सरकार चुनाव से ऐन पहले अध्यादेश जारी करने को विवश हुई।

भाजपा के गणेश सिंह ने कहा कि अब यह सोच बन जानी चाहिए कि आरक्षण संविधान के तहत दी गई व्यवस्था है और इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।

उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों के विषय को भी उठाया ।

टीआरएस के नमो नागेश्वर राव ने कहा कि देश के समक्ष शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि पिछड़े इलाकों में कई क्षेत्रों में आज भी लोगों को शिक्षा सुविधा उपलब्ध नहीं है । इस पर ध्यान देने की जरूरत है ।

अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक है जिसके माध्यम से पूर्ववर्ती 200 प्वायंट रोस्टर की व्यवस्था को बहाल करने की पहल की गई है। इससे 7000 रिक्त पदों पर बहारी की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गो के हितों की रक्षा की जा सकेगी ।

पटेल ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरते हुए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की ।

राजग में शामिल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि प्रत्येक समाज को आरक्षण मिलना चाहिए।

भाजपा की प्रीतम मुंडे ने मांग की कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनगणना होनी चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग भी उठाई।

आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि न्यायिक परीक्षण में यह विधेयक नहीं चल पाएगा।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक और इस संबंध में लाये गये अध्यादेश का समर्थन किया। बसपा के रितेश पांडेय ने सरकार से पूछा कि उत्कृष्टता केंद्रों का दर्जा प्राप्त संस्थानों को इसके बाहर से रखने की बात क्यों कही गयी है? कांग्रेस के के. सुरेश ने उम्मीद जताई कि उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाएगा। चर्चा में भाजपा के तापिर गाओ, प्रवीण निषाद और अजय वत्स ने भी भाग लिया।

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