नयी दिल्ली, दो दिसंबर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हैदराबाद में एक युवती के साथ बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या की घटना की निंदा करते हुए सोमवार को लोकसभा में कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदन में कठोर कानून बनाने पर सहमति बनेगी तो सरकार इसके लिए तैयार है।
उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान हैदराबाद की घटना के संदर्भ में यह टिप्पणी की।
सिंह ने कहा, ‘‘इससे अधिक अमानवीय कृत्य नहीं हो सकता है। सभी शर्मसार और आहत हैं।’’ उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद इसी सदन में कठोर कानून बना था लेकिन उसके बाद भी इस तरह के जघन्य अपराध हो रहे हैं।
सिंह ने कहा कि सरकार सदन में चर्चा के लिए तैयार है और ऐसे अपराधियों को कठोरतम सजा देने पर सदन में जो सहमति बनती है, उसके आधार पर सरकार प्रावधान लाने को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी सदस्यों की राय के बाद जो कठोर कानून बनाने पर सहमति होगी, हम उसके लिए तैयार हैं।’’
इससे पहले कांग्रेस, भाजपा, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआरसीपी, बसपा और द्रमुक समेत विभिन्न दलों के सदस्यों ने हैदराबाद में पिछले सप्ताह एक महिला पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना की निंदा की और ऐसे मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द कठोरतम सजा देने की मांग की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसी घटनाओं से समाज में हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। सदन पहले भी इस तरह के मामलों पर चर्चा में एक सुर में अपनी बात कह चुका है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति की एम कविता ने कहा कि निर्भया कांड में अभी तक दोषियों को सजा नहीं मिली है।
उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में व्यापक चर्चा कराने की और दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की।
अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने हैदराबाद की घटना पर राज्य सरकार के रवैये को दुखद बताया और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने फास्ट ट्रैक अदालत के गठन में तीन दिन लगा दिये।
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदन में चर्चा होती है और कठोर कार्रवाई की मांग उठती है, लेकिन राज्य सरकारें और केंद्र सरकार कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं।
पटेल ने कहा, ‘‘हम यह कड़ा संदेश नहीं दे पा रहे कि हम इस तरह की घटनाओं को रोकने में सक्षम हैं।’’
वाईएसआर कांग्रेस की गीता विश्वनाथ ने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस सरकार ने अनुच्छेद 370 जैसे फैसले लेने में दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई, उसी तरह सामूहिक दुष्कर्म की ऐसी घटनाओं पर भी कठोर कानून लाए ताकि अपराधियों के मन में डर बैठे।
शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि सरकार इसी सत्र में एक विधेयक लाए और ऐसे अपराधों के दोषियों को छह महीने के अंदर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान हो।
हालांकि उनकी ही पार्टी के अरविंद सावंत एवं अन्य दलों के सदस्य कहते सुने गये कि छह महीने नहीं बल्कि 30 दिन में सजा दी जानी चाहिए।
बसपा के दानिश अली ने भी ऐसी घटनाओं पर राजनीति नहीं करने की बात कही।
तेलुगुदेसम पार्टी के राम मोहन नायडू ने भी कठोर कानून बनाने और कठोर सजा दिए जाने की मांग की।