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केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई निर्णय:सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के।लिए 10 हजार करोड़ रुपये की ।योजना मंजूर, ” प्रधानमंत्री वय वंदना योजना ” के विस्तार को मंजूरी attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 मई ।सरकार ने अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक क्षेत्र में लाने और उनके विकास के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की योजना को बुधवार को मंजूरी प्रदान की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी जबकि शेष 40 प्रतिशत का भार राज्यों को वहन करना होगा।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को ऋण से संबद्ध सब्सिडी के माध्यम से मदद प्रदान की जायेगी। दो लाख ऐसे उद्यमों को यह सुविधा देने की योजना है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से पूरे देश में इसे लागू किया जायेगा। एसएचजी अपने सदस्यों को कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों के लिए ऋण उपलब्ध करायेंगे। हर एसएचजी को चार लाख रुपये की आरंभिक राशि दी जायेगी। इसमें अधिकतर ऐसे उद्यमों को अधिक फायदा होगा जो ग्रामीण इलाकों में कुटीर उद्योग की तरह काम कर रहे हैं।

अनुमान है कि देश में 25 लाख अपंजीकृत, अनौपचारिक खाद्य प्रसंस्करण उद्यम हैं। इनमें करीब 66 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं तथा लगभग 80 प्रतिशत का संचालन पारिवारिक कारोबार के रूप में हो रहा है। इस योजना से उन्हें नयी प्रौद्योगिकी अपनाने, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बेहतर पहुच बनाने तथा एक ब्रांड स्थापित करने में मदद मिलेगी।

“सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 10,000 हजार करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नई केन्द्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (एफएमई)” को स्वीकृति दे दी है। इस व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।

योजना का विवरण:

उद्देश्य:

· सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि

· लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि

· खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन

· समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाना

· असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन

· महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान

· अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन

· जनजातीय जिलों लघु वन उत्पाद पर ध्यान

मुख्य विशेषताऐं:

· केन्द्र प्रायोजित योजना। व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।

· 2,00,000 सूक्ष्म-उद्यमों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी।

· योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा।

· समूह दृष्टिकोण

· खराब होने वाली वस्तुओं पर विशेष ध्यान

व्यक्तिगत सूक्ष्म इकाईयों को सहायता:

· 10 लाख तक के लागत वाली वैध परियोजना के सूक्ष्म उद्यमों को 35 प्रतिशत की दर से ऋण से जुड़ी सब्सिडी मिलेगी।

· लाभार्थी का योगदान न्यनतम 10 प्रतिशत और ऋण का शेष होगा।

एफपीओ/एसएचजी/क़ोओपरेटिव को सहायता:

· कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को प्रारंभिक पूँजी

· अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए अनुदान

· कौशल प्रशिक्षण एवं हैंडहोल्डिंग समर्थन

· ऋण से जुड़ी पूँजी सब्सिडी

कार्यान्वयन कार्यक्रम:

· योजना को अखिल भारतीय स्तर पर प्रारंभ किया जाएगा।

· ऋण से जुड़ी सहायता सब्सिडी 2,00,000 इकाईयों को प्रदान की जाएगी।

· कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को (4 लाख रूपए प्रति एसएचजी) की प्रारंभिक पूँजी दी जाएगी।

· अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए एफपीओ को अनुदान प्रदान किया जाएगा।

प्रशासनिक और कार्यान्वयन तंत्र

· इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (आईएमईसी) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी।

· मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/क़ोओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी।

· राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे।

· इस कार्यक्रम में तीसरे पक्ष का एक मूल्याँकन और मध्यावधि समीक्षा तंत्र भी बनाया जाएगा।

राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल विभाग और एजेन्सी

· राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल विभाग और एजेन्सी को अधिसूचित करेगें।

· राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल एजेंसी (एसएनए) राज्य/संघ शासित प्रदेशों में इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए उत्तरदायी होने के साथ-साथ राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर उन्नयन योजना की तैयारी और प्रमाणीकरण, समूह विकास योजना, इकाईयों और समूहों आदि को सहायता प्रदान करते हुए जिला, क्षेत्रीय स्तर पर स्रोत समूह के कार्य की निगरानी करेगी।

राष्ट्रीय पोर्टल और एमआईएस

· एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी जहाँ आवेदक/ व्यक्तिगत उद्यमी इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

· योजना की सभी गतिविधियों को राष्ट्रीय पोर्टल पर संचालित किया जाएगा।

समाभिरूपता प्रारूप

· भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कार्यान्वयन के अंतर्गत मौजूदा योजनाओं से सहायता भी इस योजना के अंतर्गत ली जा सकेगी।

· यह योजना उन अंतरालों को भरने का कार्य करेगी जहाँ अन्य स्रोतों खासकर पूँजी निवेश, हैंडहोल्डिंग सहायता, और सामान्य बुनियादी ढ़ांचे के लिए सहायता उपलब्ध नहीं है।

प्रभाव और रोजगार सृजन:

· करीब आठ लाख सूक्ष्म-उद्यम सूचना, बेहतर विवरण और औपचारिक पहुँच के माध्यम से लाभान्वित होंगे।

· विस्तार और उन्नयन के लिए 2,00,000 सूक्ष्म उद्यमों तक ऋण से जुड़ी सब्सिडी और हैंडहोल्डिंग सहायता को बढ़ाया जाएगा।

· यह उन्हें गठित, विकसित और प्रतिस्पर्धी बनने में समर्थ बनाएगा।

· इस परियोजना से नौ लाख कुशल और अल्प-कुशल रोजगारों के सृजन की संभावना है।

· इस योजना में आकांक्षापूर्ण जिलों में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, महिला उद्यमियों और उद्यमियों को ऋण तक पहुँच बढ़ाया जाना शामिल है।

· संगठित बाजार के साथ बेहतर समेकन।

· सोर्टिग, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण आदि जैसी समान सेवाओं को पहुँच में वृद्धि।

पृष्ठभूमि:

करीब 25 लाख अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण उद्यम है जो इस क्षेत्र का 98 प्रतिशत है और ये असंगठित और अनियमित हैं। इन इकाईयों का करीब 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और इनमें से 80 प्रतिशत परिवार आधारित उद्यम हैं।

यह क्षेत्र बहुत सी चुनौतियों जैसे ऋण तक पहुँच न होना, संस्थागत ऋणों की ऊँची लागत, अत्याधुनिक तकनीक की कमी, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़ने की असक्षमता और स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों के साथ अनुपालन का सामना करता है।

· इस क्षेत्र को मजबूत करने से व्यर्थ नुकसान में कमी, खेती से इतर रोजगार सृजन अवसर और किसानों की आय को दुगना करने के सरकार के लक्ष्य तक पहुँचने में महत्वपूर्ण रूप से मदद मिलेगी।

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कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री वय वंदना योजना’ के विस्तार को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और वृद्धावस्था आय सुरक्षा को समर्थ बनाने के लिए निम्नलिखित को अपनी स्वीकृति दे दी है:

(ए) 31 मार्च 2020 से अगले तीन वर्षों अर्थात 31 मार्च 2023 तक प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) का विस्तार।

(बी) प्रारंभ में 2020-21 के लिए प्रतिवर्ष 7.40 प्रतिशत की सुनिश्चित प्रतिफल दर और इसके पश्चात प्रत्येक वर्ष पुन: समायोजित की जाएगी।

(सी) वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) की संशोधित प्रतिफल दर के अनुरूप वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से प्रभावी वार्षिक समायोजित सुनिश्चित ब्याज की दर किसी भी बिंदु पर योजना के नवीन मूल्यांकन के साथ 7.75 प्रतिशत तक होगी।

(डी) योजना के अंतर्गत प्रतिफल की गारंटीकृत दर और एलआईसी द्वारा प्रतिफल की बाजार दर के बीच अंतर के कारण होने वाले व्यय के लिए अनुमोदन।

(ई) नई जारी पालिसियों के संबंध में योजना के प्रथम वर्ष के कोषों के वित्तीय प्रबंधन व्ययों को प्रतिवर्ष 0.5 प्रतिशत और इसके बाद दूसरे वर्ष से अगले 9 वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 0.3 प्रतिशत तक सीमित करना।

(एफ) प्रत्येक वित्तीय वर्ष क पर प्रतिफल की वार्षिक समायोजित दर की स्वीकृति के लिए वित्त मंत्री को अधिकार दिए गए हैं।

(जी) इस योजना की अन्य नियम एवं शर्ते समान रहेंगी।

इस योजना के अंतर्गत, प्रति वर्ष 12,000 रूपए की पेंशन के लिए 1,56,658 रूपए और प्रति माह 1000 रूपए की न्यूनतम पेंशन धनराशि प्राप्त करने के लिए 1,62,162 रूपए तक के न्यूनतम निवेश तक संशोधित किया गया है।

वित्तीय निहितार्थ:

सरकार का वित्तीय दायित्व वर्ष 2020-21 के लिए प्रारंभिक तौर पर प्रतिवर्ष 7.40 प्रतिशत की सुनिश्चित वापसी और एलआईसी द्वारा तय बाजार प्रतिफल के बीच अंतर के विस्तार तक सीमित है और इसके बाद एससीएसएस के अनुरूप प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाएगा। इस योजना के वित्तीय प्रबंधन व्ययों प्रथम वर्ष के लिए प्रबंधन के अंतर्तग परिसम्पत्तियों के 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष और इसके बाद दूसरे वर्ष से अगले 9 वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 0.3 प्रतिशत तक सीमित किया गया है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में 829 करोड़ रूपए और अंतिम वित्तीय वर्ष 2032-33 में 264 करोड़ रूपए का अनुमानित व्यय होगा। वास्तविक आधार पर वार्षिक भुगतान के लिए सब्सिडी प्रतिपूर्ति के 614 करोड़ रूपए होने का उम्मीद है। हालांकि वास्तविक ब्याज अंतर (सब्सिडी) नई जारी पालिसियों की संख्या में शर्तों के वास्तविक अनुभव पर निर्भर होगी।

पीएमवीवीवाई वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक समाजिक सुरक्षा योजना है जो क्रय मूल्य/वार्षिक अंशदान पर सुनिश्चित रिटर्न के आधार पर उनको न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित कराने की मंशा रखती है।


कैबिनेट ने प्रवासियों/फँसे हुए प्रवासियों के लिए खाद्यान्नों के आवंटन हेतु ‘आत्म निर्भर भारत’ पैकेज को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने करीब 8 करोड़ प्रवासियों/फँसे हुए प्रवासियों के लिए केन्द्रीय भंडार से दो माह (मई और जून, 2020) तक प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम निःशुल्क खाद्यान के आवंटन को पूर्वव्यापी स्वीकृति दे दी है।

इससे करीब 2,982.27 करोड़ रूपए की खाद्य सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा अंतराराज्य परिवहन और लदाई-उतराई प्रभार और डीलरों की अतिरिक्त राशि/अतिरिक्त डीलर लाभ के लिए दिए जाने वाले करीब 127.25 करोड़ रूपए का वहन पूरी तरह से केन्द्र सरकार के द्वारा किया जाएगा। इसके फलस्वरूप, भारत सरकार से मिलने वाली कुल अनुमान खाद्य सब्सिडी करीब 3,109.52 करोड़ होगी।

यह आवंटन से कोविड-19 के कारण हुए आर्थिक व्यवधान से प्रवासियों/फँसे हुए प्रवासियों के द्वारा सामना की जा रही कठिनाईयों को कम किया जा सकेगा।


नीली क्रांति के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जवाबदेह विकास के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। योजना का उद्देश्य नीली क्रांति के माध्यम से देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जवाबदेह विकास को सुनिश्चित करना है। कुल 20050 करोड रुपए की अनुमानित लागत वाली यहयोजना, केन्द्रीय येाजना और केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी। इसमें केन्द्र की हिस्सेदारी 9407 करोड रूपए, राज्यों की हिस्सेदारी 4880 करोड रुपए तथा लाभार्थियों की हिस्सेदारी 5763 करोड रुपए होगी।

इस योजना को वित्त वर्ष 2020 21 से 2024 25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा।

योजना के दो घटक होंगे। पहला केन्द्रीय योजना और दूसरा केन्द्र प्रायोजित योजना।

केन्द्रीय योजना के दो वर्ग होंगे एक लाभार्थी वर्ग और दूसरा गैर लाभार्थी वर्ग। केन्द्र प्रायोजित योजना को तीन प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है

· उत्पादन और उत्पादकता को प्रोत्साहन

· अवसंरचना और उत्पादन बाद प्रंबधन

· मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक फ्रेमवर्क

योजना का वित्त पोषण

केन्द्रीय परियोजना के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय जरुरतों की पूर्ति केन्द्र की ओर की जाएगी। इसमें लाभार्थी वर्ग से जुडी गतिविधियों को चलाने का काम पूरी तरह से राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड सहित केन्द्र सरकार का होगा। इसमें सामान्य लाभार्थियों वाली परियोजना का 40 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा महिलाओं से जुडी परियोजना का 60 प्रतिषण वित्त पोषण केन्द्र सरकार करेगी।

केन्द्र प्रायोजित योजना का वित्त पोषण

इस योजना के तहत गैर लाभार्थियों से जुडी गतिविधियों का पूरा खर्च राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारें मिलकर उठाएंगी।

· इसके तहत पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्र वाले राज्यों में लागू की जाने वाली ऐसी परियेाजना का 90 फीसदी खर्च केन्द्र और 10 फीसदी खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी।

· अन्य राज्यों के मामले में केन्द्र और संबधित राज्यों की हिस्सेदारी क्रमश 60 और 40 प्रतिशत होगी।

· केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू की जाने वाली ऐसी योजनाओं का सौ फीसदी वित्त पोषण केन्द्र की ओर से किया जाएगा

गैर लाभार्थी वर्ग की योजना का वित्त पोषण

इस वर्ग की योजना का वित्त पोषण पूरी तरह से संबधित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की ओर से किया जाएगा। इसमें सामान्य श्रेणी वाली परियोजना में सरकार, राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों की कुल हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी जबकि महिलाओं,अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से जुडी परियोजना के लिए सरकार की ओर से 60 फीसदी की आर्थिक मदद दी जाएगी।

· पूर्वोत्तर तथा हिमालयी क्षेत्र के राज्यों में ऐसी परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से90 प्रतिशत वित्त पोषण किया जाएगा जबकि राज्यों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होगी।

· अन्य राज्यों के लिए यह क्रमश 60 और 40 प्रतिशत होगी

· केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्र की ओर से 100 फीसदी मदद दी जाएगी

लाभ

· मत्स्य पालन क्षेत्र की गंभीर कमियो को दूर करते हुए उसकी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल होगा

· मत्स्य पालन क्षेत्र में 9 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि के साथ 2024 25 तक 22 मिलियन मेट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।

· मत्स्य पालन के लिए गुणवत्ता युक्त बीज हासिल करने तथा मछली पालन के लिए बेहतर जलीय प्रबंधन को बढावा मिलेगा।

· मछली पालन के लिए आवश्यक अवसंरचना और मजबूत मूल्य श्रृंखला विकसित की जा सकेगी।

· शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन से सीधे या परोक्ष रूप से जुडे हुए सभी लोगों के लिए रोजगार और आय के बेहतर अवसर बनेंगे।

· मछली पालन क्षेत्र में निवेश आकर्शित करने में मदद मिलेगी जिससे मछली उत्पाद बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।

· वर्ष 2024 तक मछली पालन से जुडे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी

· मछली पालन क्षेत्र तथा इससे जुडे किसानों और श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिलेगी


कैबिनेट ने एनबीएफसी/एचएफसी की नकदी की समस्या के समाधान के लिए विशेष नकदी योजना को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों की नकदी की स्थिति में सुधार के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा उनके वास्ते एक नई विशेष नकदी योजना शुरु करने के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

वित्तीय निहितार्थ:

सरकार के लिए इसका सीधा वित्तीय आशय 5 करोड़ रुपये है जो विशेष उद्देश्य संवाहक (एसपीडब्ल्यू) के लिए इक्विटी योगदान हो सकता है। इसके अलावा, सरकार के लिए इसमें शामिल गारंटी शुरु होने तक कोई वित्तीय निहितार्थ नहीं है। हालांकि, ऐसा होने पर सरकार के उत्तरदायित्व की सीमा डिफॉल्ट राशि के बराबर होती है जो कि गारंटी की उच्चतम सीमा पर निर्भर करता है। कुल गारंटी की उच्चतम सीमा 30,000 करोड़ रुपये तय की गई है जो जरूरत के अनुसार अभिष्ट राशि तक बढ़ाई जा सकती है।

योजना का विवरण:

सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) की नकदी की समस्या के समाधान के लिए एक विशेष नकदी योजना के जरिए एक कार्ययोजना का प्रस्ताव किया है। स्ट्रेस्ड संपत्ति फंड (एसएएफ) का प्रबंधन करने के लिए एक एसपीवी का गठन किया जाएगा जिसके विशेष प्रतिभूतियों की गारंटी भारत सरकार देगी और उसे सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक ही खरीदेगा। ऐसी प्रतिभूतियों की खरीद प्रक्रिया का इस्तेमाल एनबीएफसी/एचएफसी के लघु अवधि के ऋणों को हासिल करने के लिए एसपीवी ही करेगा। इस योजना को वित्तीय सेवा विभाग प्रभाव में लाएगा जो विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा।

क्रियान्वयन कार्यक्रम:

सार्वजनिक क्षेत्र का एक बड़ा बैंक स्ट्रेस्ड संपत्ति फंड (एसएएफ) का प्रबंधन करने के लिए एक एसपीवी का गठन करेगा जो भारत सरकार की गारंटी के साथ ब्याज वाली विशेष प्रतिभूतियां जारी करेगी और उसे सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक ही खरीदेगा। एसपीवी जरूरत के हिसाब से प्रतिभूतियां जारी करेगा जो प्रतिभूतियों की बकाया राशि पर निर्भर करेगा और यह राशि 30,000 करोड़ से अधिक नहीं होगी और जरूरत पड़ने पर इसे अभिष्ट राशि तक बढ़ाई जा सकती है। एसपीवी द्वारा जारी प्रतिभूतियों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा खरीदा जाएगा और इसरकी प्रक्रिया का इस्तेमाल योग्य एनबीएफसी/एचएफसी के कम से कम लघु अवधि के ऋणों को हासिल करने के लिए एसपीवी ही करेगा।

प्रभाव:

आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना के विपरीत, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों और एनबीएफसी के बीच कई द्विपक्षीय सौदे शामिल हैं, एनबीएफसी को अपने मौजूदा परिसंपत्ति पोर्टफोलियो को अलग करने की जरूरत होती है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से धन प्रवाह शामिल होता है। प्रस्तावित योजना एसपीवी और एनबीएफसी के बीच अपनी मौजूदा परिसंपत्ति को अलग किए बिना वन स्टेप व्यवस्था होगी। यह योजना एनबीएफसी को निवेश ग्रिड या जारी किए गए बॉन्ड के लिए बेहतर रेटिंग दिलाने का अधिकार भी देगा। इस योजना के संचालित होने और गैर-बैंकिंग क्षेत्र से धन प्रवाह को बढ़ाने में आसानी होने की संभावना है।

लाभ:

2020-21 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई है कि एनबीएफसी/एचएफसी को अतिरिक्त नकदी की सुविधा प्रदान करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जाएगा जो पीसीजीएस के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। यह सुविधा सरकार और आईबीआई द्वारा अब तक किए गए उपायों की पूरक होगी। इस योजना से एनबीएफसी/एचएफसी/एमएफआई के ऋण संसाधनों में बढ़ोतरी करके वास्तविक अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

पृष्ठभूमि:

2020-21 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई है कि एनबीएफसी/एचएफसी को अतिरिक्त नकदी की सुविधा प्रदान करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जाएगा जो आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना (पीसीजीएस) के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। कोविद-19 की वजह से उभरती स्थिति के कारण वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के लिए उपरोक्त बजट घोषणा को लागू करने अति आवश्यक है।

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कैबिनेट ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) की शुरुआत कर तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग को मंज़ूरी दी

राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं को 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी कवरेज

इच्छुक मुद्रा कर्जदारों सहित योग्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) कर्जदारों को गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) सुविधा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने निम्नलिखित मंज़ूरी दी है।

· कैबिनेट ने आज योग्य एमएसएमई और इच्छुक मुद्रा कर्जदारों को तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए ‘आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना’ को मंजूरी दी।

· योजना के तहत, राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा योग्य एमएसएमई और इच्छुक कर्जदारों को गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) सुविधा के रुप में तीन लाख रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए 100 फीसदी गारंटी कवरेज उपलब्ध कराई जाएगी।

इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार द्वारा मौजूदा और अगले तीन वित्तीय वर्षों के लिए 41,600 करोड़ रुपय की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

कैबिनेट ने यह भी मंज़ूरी दी कि यह योजना जीईसीएल सुविधा के तहत इस योजना की घोषणा की तारीख से लेकर 31.10.2020 की अवधि में स्वीकृत सभी कर्जों या जीईसीएल के तहत 3,00,000 करोड़ रुपये तक की कर्ज राशि की स्वीकृति, इनमें से जो पहले हो, पर लागू होगी।

विवरण:

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन की वजह से बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है। इससे एमएसएमई सेक्टर में विनिर्माण और अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक परेशानी झेल रही एमएसएमई को पूरी गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रुप में तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग उपलब्ध कराते हुए उन्हें राहत दिलाना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं यानी बैंकों, वित्तीय संस्थानों (एफआई), और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) को कोविड-19 संकट की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे एमएसएमई कर्जदारों को देने के लिए उनके पास अतिरिक्त फंडिंग सुविधा की उपलब्धता बढ़ाना है। उन्हें कर्जदारों द्वारा जीईसीएल फंडिंग का पुनर्भुगतान नहीं किए जाने की वजह से होने वाले किसी नुकसान के लिए 100 फीसदी गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी।

इस योजना में शामिल प्रमुख विशेषताएं-

  1. योजना के तहत जीईसीएल फंडिंग के लिए वे सभी एमएसएमई योग्य होंगे जिनका बकाया ऋण 29.02.2020 को 25 करोड़ रुपये तक जो इस तारीख तक पिछले 60 दिनों तक या उससे कम दिनों तक बकाया यानी नियमित एसएमए 0 और एसएमए 1 खातों या जिनका एक करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार हो।
  2. योग्य एमएसएमई कर्जदारों को जीईसीएल फंडिंग की राशि या तो अतिरिक्त सक्रिय पूंजी मियादी ऋण (बैंकों और वित्तीय संस्थानों के मामले में) या मियादी ऋण (एनबीएफसी के मामले में) के रुप में उनके 29 फरवरी, 2020 को 25 करोड़ रुपये तक की कुल बकाया राशि का 20 फीसदी ही होगी।

  3. ईसीएलजीएस के तहत जीईसीएल के जरिए की जाने वाली पूरी फंडिंग एनसीजीटीसी द्वारा सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं को 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी के साथ होगी।

  4. योजना के तहत ऋण की अवधि 4 साल होगी और इसकी अधिस्थगन अवधि मूलधन पर एक साल होगी।

  5. योजना के तहत एनसीजीटीसी द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों से कोई भी गारंटी राशि नहीं ली जाएगी।

  6. योजना के तहत ब्याज दर बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के लिए अधिकतम 9.25 फीसदी और गैर- वित्तीय संस्थाओं के लिए अधिकतम 14 फीसदी होगी।

क्रियान्वयन कार्यक्रम:

यह योजना जीईसीएल सुविधा के तहत इस योजना की घोषणा की तारीख से लेकर 31.10.2020 की अवधि में स्वीकृत सभी कर्जों या जीईसीएल के तहत 3,00,000 करोड़ रुपये तक की कर्ज राशि की स्वीकृति, इनमें से जो पहले हो, पर लागू होगी।

प्रभाव:

योजना को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन की वजह से बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है। इससे एमएसएमई सेक्टर में विनिर्माण और अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में एमएसएमई की अहम भूमिका को देखते हुए, प्रस्तावित योजना से एमएसएमई सेक्टर को सदस्य ऋणदाता संस्थानों के जरिए कम ब्याज दर पर 3 लाख करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त ऋण मुहैया कराने से काफी राहत मिलेगी और इस तरह एमएसएमई को अपनी संचालन उत्तरदायित्वों को पूरा करने और व्यापार को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी। मौजूदा अप्रत्याशित माहौल में अपना कामकाज जारी रखने में योजना के तहत एमएसएमई को मदद देने से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा और इसे पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।


कैबिनेट ने जम्मू एवं कश्मीर नागरिक सेवाएं (विकेंद्रीकरण एवं भर्ती) कानून के संबंध में जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का संयोजन) द्वितीय आदेश, 2020 के निर्गमन को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 की धारा 96 के तहत जारी जम्मू एवं कश्मीर (राज्य कानूनों का संयोजन) द्वितीय आदेश, 2020 को पूर्वव्यापी मंज़ूरी दे दी है। इस आदेश से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में जम्मू एवं कश्मीर नागरिक सेवाएं (विकेंद्रीकरण एवं भर्ती) कानून (2010 की कानून संख्या XVI) के तहत सभी तरह की नौकरियों की अधिवास स्थिति की व्यावहारिकता और संशोधित हो गई है।

इस आदेश से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में सभी पदों पर नियुक्ति के लिए निर्दिष्ट अधिवास तरीका लागू होगा।


आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)

कैबिनेट ने हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड का ब्याज माफ़ करने को मंज़ूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (एचओसीएल) को दिए भारत सरकार के कर्ज पर 31 मार्च, 2005 तक के 7.59 करोड़ रुपये के ब्याज को माफ़ करने की पूर्वव्यापी मंज़ूरी दे दी है। यह माफी मार्च 2006 में एचओसीएल को पुनर्वास पैकेज के तहत सीसीईए द्वारा पहले ही मंज़ूर किए गए दंडात्मक ब्याज और 31 मार्च, 2005 तक के ब्याज की माफी के अतिरिक्त है।

लगभग दस साल पुराना मामला होने के कारण भारत सरकार और एचओसीएल के खाते से 7.59 करोड़ रुपये की ब्याज राशि को पहले ही हटाया जा चुका है और इस ब्याज राशि का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। अब यह उचित होगा कि 31 मार्च, 2005 तक के भारत सरकार के कर्ज पर 7.59 करोड़ रुपये के ब्याज की माफ़ी को नियमित कर दिया जाए। इस पूर्वव्यापी मंज़ूरी से एचओसीएल को भी मामले में लंबित पड़े सीएजी के ऑडिट अवलोकन को निपटाने में मदद मिलेगी।

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