नईदिल्ली 2 जून ।मोदी सरकार के नए शिक्षा मंत्री यानि मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की डिग्री पर भी विवाद सामने आ गया है।
पोखरियाल ने अपने चुनावी हलफनामे में अपनी शैक्षणिक योग्यता पीएचडी और डीलिट बताई है।
उन्हें यह मानद डिग्री श्रीलंका के ओपेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (ओआईयू) ने 1990 के दौर में दी थी।
पहले उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए डीलिट दी गई।
बाद में उसी यूनिवर्सिटी ने उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए दोबारा डीलिट की डिग्री दी लेकिन जिस यूनिवर्सिटी से पोखरियाल को मानद उपाधि मिली, असलियत में वो है ही नहीं।
इंडिया टुडे ने श्रीलंका के यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के हवाले से लिखा है कि श्रीलंका में ओपेन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (ओआईयू) न तो घरेलू और न ही विदेशी यूनिवर्सिटी के तौर पर रजिस्टर्ड है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या पोखरियाल के पास फर्जी डिग्री है और वो फर्जी तरीके से अपने नाम के आगे डॉ. लिख रहे थे।
बता दें कि देहरादून में इससे पहले एक आरटीआई याचिका भी डाली गई थी, जिसमें पोखरियाल की डिग्री के बारे में जानकारी मांगी गई थी लेकिन उसमें भी आधा-अधूरा जवाब मिला। पोखरियाल की जन्मतिथि को लेकर भी बवाल मचा है। उनके बायोडाटा और पासपोर्ट पर अलग-अलग जन्मतिथि देखने को मिली।
बायोडाटा पर उनकी जन्मतिथि 15 अगस्त 1959 दर्ज है जबकि पासपोर्ट पर 15 जुलाई 1959। एक महीने का अंतर। उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट से भी इसकी पुष्टि हुई है।
हालांकि, केंद्रीय मंत्री के दफ्तर ने शनिवार (01 जून) को एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।
इंडिया टुडे से बातचीत में निशंक ने कहा कि यह अंतर जन्मपत्री और स्कूल सर्टिफिकेट की वजह से है। उन्होंने सफाई दी कि अमूमन हरेक के साथ ऐसा होता है। निशंक ने कहा कि उन्होंने कभी भी इसका बेजा फायदा नहीं उठाया, इसलिए वो इससे नहीं डरते हैं।
मोदी सरकार एक और दो में अब तक तीन शिक्षा मंत्री हुए हैं। पहली शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी की डिग्री पर भी विवाद उठे थे। इरानी ने 2004 के चुनावी हलफनामे में खुद को स्नातक बताया था। बाद में 2011 के राज्यसभा चुनाव के दौरान हलफनामे में बताया कि उन्होंने बी कॉम पार्ट-1 किया हुआ है। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने येल यूनिवर्सिटी की डिग्री होने का भी दावा किया था। हालांकि, यह डिग्री मात्र 6 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स का था।
इरानी 2014 से 2016 तक एचआरडी मंत्री रहीं। उसके बाद प्रकाश जावड़ेकर मंत्री बनाए गए। 2019 में रमेश पोखरियाल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। पोखरियाल ने 2019 के चुनावी हलफनामे में अपनी शैक्षणिक योगयता में तीन डिग्री बताई है।
उन्होंने शैक्षिक अर्हता के कॉलम में एमए लिखा है और उसके आगे हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, गढ़वाल का उल्लेख किया है, जबकि दो अन्य मानद उपाधियों पीएचडी और डी.लिट. के आगे सिर्फ मानद लिखा है। किसी यूनिवर्सिटी का नाम नहीं।
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