नयी दिल्ली 07 फरवरी । देशभर के शहरों में जीवन आसान बनाने के उपायों का आकलन करने के लिए ‘जीवन सुगमता सूचकांक 2019’ और ‘नगर निगम प्रदर्शन सूचकांक 2019’ तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां बताया कि इन सूचकांकों को तैयार करने के लिए शहरों के नियाेजन, क्रियान्वयन और निगरानी तंत्र का आकलन किया जाएगा। इन दोनों सूचकांंकों को तैयार करने में 100 स्मार्ट शहरों और 10 लाख से अधिक आबादी वाले 14 शहरों के नागरिक शामिल होंगे।
इसके अलावा नगर निगम प्रदर्शन सूचकांक में स्थानीय निकायों में सेवा, वित्त, नियोजन, प्रौद्योगिकी और शासन व्यवस्था का आकलन किया जाएगा। इन क्षेत्रों को 20 भागों में विभाजित किया गया है और इनके लिए 100 संकेतक तय किये गये हैं। इससे शहरों के नियोजन और प्रबंधन, प्रशासन तथा जीवन अनुकूलता संरचना बनाने में मदद मिलेगी।
विभिन्न पहलों के माध्यम से शहरों में हुई प्रगति का आकलन करने और उन्हें अपने कार्य प्रदर्शन की योजना बनाने, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए साक्ष्यों के उपयोग में सशक्त बनाने के लिए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने दो सूचकांक यानी ईज़ ऑफ लिविंग (जीवन सुगमता) सूचकांक (ईओएलआई) और नगरपालिका कार्य प्रदर्शन सूचकांक (एमपीआई) 2019 लॉंच किये हैं।
इन दोनों सूचियों को 100 स्मार्ट शहरों और 10 लाख से अधिक आबादी वाले 14 अन्य शहरों में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नगरपालिका के कार्य प्रदर्शन सूचकांक 2019 के साथ, मंत्रालय ने पांच क्षेत्रों यानी सेवा, वित्त, योजना, प्रौद्योगिकी और शासन के आधार पर नगरपालिकाओं के कार्य प्रदर्शन का आकलन करने की मांग की है। इन्हें आगे 20 अन्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनका 100 संकेतकों में आकलन किया जाएगा। इससे नगरपालिकाओं को बेहतर नियोजन और प्रबंधन में मदद मिलने के अलावा नगर प्रशासन में खामियों को दूर करने और नागरिकों की शहरों में रहने लायक स्थिति को सुधारने में सहायता मिलेगी।
ईज़ ऑफ लिविंग सूचकांक का उद्देश्य स्थानीय निकायों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, प्रशासन की प्रभावशीलता, शहरों के रहने लायक स्थिति के रूप में इन सेवाओं के माध्यम से सृजित परिणाम और आखिरकार इन परिणामों के लिए नागरिक अवधारणा से शुरू करके भारतीय शहरों का समग्र दृष्टिकोण उपलब्ध कराना है।
ईज़ ऑफ लिविंग सूचकांक के प्रमुख उद्देश्य चार स्तरों अर्थात –
क) साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के मार्ग दर्शन के लिए जानकारी का सृजन करना;
ख) स्वयं सहायता समूह (एसडीजी) सहित व्यापक विकासात्मक परिणाम अर्जित करने के लिए कार्रवाई को उत्प्रेरित करना;
ग) विभिन्न शहरी नीतियों और योजनाओं से अर्जित परिणामों का आकलन और तुलना करना; और
घ) शहरी प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं के बारे में नागरिकों की अवधारणा प्राप्त करना है।
ईओएलआई 2019 तीन स्तंभों – जीवन की गुणवत्ता, आर्थिक क्षमता और स्थिरता के बारे में नागरिकों ईज़ ऑफ लिविंग आकलन में मदद करेगा। इन स्तंभों को आगे 50 संकेतकों की 14 श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं।
सभी भाग लेने वाले शहरों ने नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिनकी जिम्मेदारी यूएलबी के अंदर और बाहर विभिन्न विभागों से संबंधित डेटा अंकों को एकत्र करना और इनकी तुलना करना तथा इन्हें इस उद्देश्य के लिए डिज़ाइन किए गए विशेष वेब-पोर्टल में सहायक दस्तावेजों के साथ अपलोड करना है। इस पोर्टल की आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्रा द्वारा 19 दिसंबर 2019 को शुरूआत की गई थी।
मंत्रालय ने डेटा का संग्रह करने, तुलना करने और अपलोड करने की इस प्रक्रिया में शहरों की मदद करने के लिए कई प्रावधान किए हैं। एक केंद्रीय हेल्पडेस्क मौजूद है जिसे जरूरत पड़ने पर नोडल अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया की तलाश करने- विशेष और संकेतक विशिष्ट स्पष्टीकरण और सहायता के लिए उपयोग किया जाता है। 50 से भी अधिक मूल्यांकनकर्ता हैं जो विभिन्न विभागों से जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ आकलन प्रोटोकॉल् के विनिर्देशों के लिए दस्तावेज और डेटा अपलोड करने में नोडल अधिकारियों की सहायता करते हैं।
पहली बार, ईज ऑफ लिविंग सूचकांक आकलन के हिस्से के रूप में, मंत्रालय की ओर से (जिसमें ईज ऑफ लिविंग सूचकांक के 30% अंक निर्धारित हैं) एक नागरिक अवधारणा सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह आकलन प्रकिया का महत्वूर्ण घटक है क्योंकि यह नागरिकों की अपने शहरों में जीवन की गुणवत्ता के संबंध में अवधारणा का सीधा पता लगाने में मदद करेगा। यह सर्वेक्षण, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा रहा है जो पहली फरवरी 2020 से शुरू हुआ है और यह 29 फरवरी 2020 तक जारी रहेगा। ऑफ़लाइन संस्करण में आमने-सामने बैठक साक्षात्कार लिये जाएंगे। यह 1 फरवरी से शुरू होगा और ऑन लाइन संस्करण के समानांतर चलेगा। इसे बड़ी मात्रा में एसएमएस मदद के साथ-साथ सोशल मीडिया में व्यापक कवरेज के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है।