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दिल्ली हिंसा पर गलत तथ्य प्रस्तुत करने वाले एशियानेट न्यूज़ और मीडिया वन के ऊपर लगा प्रतिबंध हटाया

नयी दिल्ली, सात मार्। केंद्र सरकार ने मलयालम के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध हटा लिया है। चैनलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई इन आरोपों के चलते हुई कि राष्ट्रीय राजधानी में पिछले महीने हुई हिंसा को कवर करने के दौरान उक्त चैनलों ने आरएसएस, दिल्ली पुलिस की आलोचना की तथा एक समुदाय विशेष का पक्ष लिया।

दिल्ली में पिछले महीने हुई हिंसा की कवरेज को लेकर एशियानेट न्यूज और मीडिया वन का प्रसारण 48 घंटे के लिए रोक दिया गया था। आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं को इस तरह से कवर किया जिसमें ‘‘पूजा स्थलों पर हमले को उजागर किया गया और एक खास समुदाय का पक्ष लिया गया।’’

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार ने फैसले की आलोचना के कारण प्रतिबंध हटाया है या किसी और वजह से।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को पुणे में संवाददाताओं से कहा कि केंद्र ने मलयालम के दो समाचार चैनलों पर लगाया 48 घंटे का प्रतिबंध शनिवार को हटा लिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करती है।

जावड़ेकर ने महाराष्ट्र के पुणे में संवाददाताओं से कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और जरूरत पड़ने पर आदेश जारी करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पूरे मुद्दे पर चिंता जाहिर की है।

मंत्री ने कहा, “मैं निश्चित तौर पर मामले की गहराई तक जाऊंगा और कुछ गलत हुआ होगा तो जरूरी कदम उठाऊंगा। लेकिन मैं आपको यह भी बता दूं कि हर किसी को यह स्वीकार करना चाहिए कि स्वतंत्रता के साथ कुछ जिम्मेदारी भी होती है।”

दिल्ली में पिछले महीने हुई सांप्रदायिक हिंसा पर दी गई खबरों को लेकर इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे की रोक लगाई थी। आधिकारिक आदेशों में कहा गया कि इन चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं की रिपोर्टिंग इस तरह से की जिसमें “उपासना स्थलों पर हमले का विशेष रूप से जिक्र किया गया और किसी खास धर्म का पक्ष लिया गया।”

मीडिया वन को लेकर जारी मंत्रालय के आदेश में कहा गया, “दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया।”

आदेश में कहा गया, “इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए। चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ।”

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि एशियानेट न्यूज पर लगा प्रतिबंध देर रात डेढ़ बजे जबकि मीडिया वन पर लगी रोक को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे हटा लिया गया।

कांग्रेस और वाम दलों ने चैनलों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को ‘‘मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला’’ बताया था।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मलयालम चैनलों पर प्रतिबंध लगाए जाने के लिए शनिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ चल रहा है।

प्रतिबंध को ‘‘खतरनाक चलन’’ करार देते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि यह भविष्य के खतरों का संकेत है।

उन्होंने यहां बयान जारी कर कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने सभी सीमाओं को लांघते हुए प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया है। खतरा है कि अगर कोई आरएसएस और संघ परिवार की आलोचना करता है तो उसे सबक सिखाया जाएगा।’’

एशियानेट न्यूज के संपादक एम जी राधाकृष्णन ने कहा कि उनके चैनल के प्रबंधन ने प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मंत्रालय से संपर्क किया था और संबंधित लोगों से बात की थी जबकि मीडिया वन के प्रधान संपादक सी एल थॉमस ने कहा कि उनका चैनल सरकार के पास नहीं गया और मंत्रालय ने “स्वत:” प्रतिबंध हटा लिया।

थॉमस ने कहा, “हम कानूनी कार्रवाई का रुख कर रहे थे। आज हमें सूचना मिली कि प्रतिबंध हटा लिया गया है, इसलिए हम कानूनी कार्रवाई की तरफ नहीं बढ़ रहे हैं। हमने मंत्रालय में किसी से संपर्क नहीं किया, सरकार ने स्वत: प्रतिबंध हटा लिया।”

उन्होंने कहा, “हम खुश हैं कि मंत्रालय ने स्वत: प्रतिबंध हटा लिया। हम पत्रकारिता के उत्कृष्ट मूल्यों का पालन करने और उन्हें बरकरार रखने की राह पर चलना जारी रखेंगे।”

राधाकृष्णन ने कहा कि चैनल के प्रबंधन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को मनाने के प्रयास के तहत उससे बात की थी।

उन्होंने कहा, “मालूम होता है कि वे (प्रबंधन) अपने प्रयास में सफल हुए। चूंकि प्रतिबंध रात में लगाया गया था तो कोई औपचारिक आवेदन देने के लिए समय नहीं था। उन्होंने मंत्रालय में सभी संबंधित व्यक्तियों से बात की और उन्हें मनाया। मंत्री ने भी आज यही बात कही।”

राधाकृष्णन ने कहा, “हमारी तरफ से कोई माफी नहीं मांगी गई। रिपोर्टिंग तथ्यों पर आधारित थी।”

एशियानेट का स्वामित्व अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर के हाथ में है।

मंत्रालय से प्रतिबंध लगाने और उसे हटाने के बीच के घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

जावड़ेकर ने कहा, “केरल के दो चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया गया था। हमने पता लगाया कि असल में क्या हुआ और इसलिए हमने तुरंत चैनलों का प्रसारण फिर से शुरू कर दिया।”

मंत्री ने बताया कि एशियानेट न्यूज का प्रसारण शुक्रवार रात से बहाल कर दिया गया जब उसके मालिक ने उनसे बात की और मीडिया वन का प्रसारण शनिवार की सुबह शुरू किया गया।

उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि प्रेस की स्वतंत्रता किसी लोकतांत्रिक ढांचे में अत्यंत आवश्यक है और यही मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है।”

आपातकाल का संदर्भ देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि उन दिनों प्रेस की स्वतंत्रता का दमन किया गया था। साथ ही उन्होंने कहा, “हम उसके खिलाफ जेल गए और हमने प्रेस की स्वतंत्रता बहाल रखी।”

जावड़ेकर ने कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा के साथ बात करने के बाद संगठन की राय मांगी गई है।

उन्होंने कहा, “हमने उनका नजरिया मांगा है ताकि हम सही कदम उठा सकें। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि मीडिया जिम्मेदारी से स्वतंत्रता का लाभ लेगा।”

प्रतिबंध हटाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया, ‘‘हमें खुशी है कि सरकार को उसके इस मनमाने फैसले के खिलाफ आलोचनाओं के बाद बुद्धि आई।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ विश्वास मानिए इस अलोकतांत्रिक बर्ताव के लिए जिम्मेदार नौकरशाहों की खिंचाई होगी और उनके स्वच्छंद विवेकाधिकार की सीमाएं उन्हें बताई जाएंगी। अपनी आजादी के लिए हमें हर दिन लड़ना होगा।’’

दोनों चैनलों को 28 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है।

कारण बताओ नोटिस के जवाब में मीडिया वन चैनल के प्रबंधन ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप “मनमाने एवं बेबुनियाद हैं।”

एशियानेट न्यूज की खबर पर आदेश में कहा गया कि ऐसी संवेदनशील घटना की रिपोर्टिंग करते वक्त चैनल को बहुत ख्याल रखना चाहिए था और इसकी रिपोर्ट संतुलित तरीके से देनी चाहिए थी।

चैनल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उनके द्वारा प्रसारित खबरें तथ्यों पर आधारित थी और उनकी मंशा शब्दों या भाव के जरिए कभी भी किसी धर्म या समुदाय पर निशाना साधने की नहीं थी।

केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जनर्लिस्ट और केरल न्यूजपेपर इम्प्लॉइज फेडेरेशन ने चैनलों पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ तिरुवनंतपुरम में मार्च निकाला।

इसमें हाथों में प्लेकार्ड लिए हुए मीडियाकर्मियों ने केंद्र के फैसले के खिलाफ नारे लगाए।

केरल में कई अन्य स्थानों पर भी इस तरह के प्रदर्शन हुए।

राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारों ने केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जनर्लिस्ट्स के बैनर तले दोपहर में जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया।

हालांकि सरकार तब तक प्रतिबंध हटा चुकी थी लेकिन पत्रकार ‘प्रेस की आजादी की रक्षा’ के लिए एकसाथ आए।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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