नयी दिल्ली 07 जून । सरकार ने हज यात्रियों तथा बंगलादेश और श्रीलंका जाने वाले लोगों के लिए अलग से विशेष पासपोर्ट बनाने की सुविधा अब समाप्त कर दी है।
हाल में जारी राजपत्रीय अधिसूचना के अनुसार पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अंतर्गत पासपोर्ट नियमावली 1980 में संशोधन किया है और बंगलादेश, श्रीलंका एवं सऊदी अरब जाने के लिए अलग से पासपोर्ट बनाने संबंधी उपनियमों को विलोपित कर दिया है। नये पासपोर्ट नियमों में आवेदन शुल्क ऑनलाइन लेने के बारे में आधिकारिक प्रावधान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब के लिए अलग से पासपोर्ट अधिकांशत: हज पर जाने वाले जायरीन बनवाया करते थे जिसकी वैधता आठ माह की थी। इसी प्रकार से श्रीलंका के लिए बनने वाले पासपोर्ट की वैधता चार वर्ष और बंगलादेश के लिए बनने वाले पासपोर्ट की वैधता तीन वर्ष की होती थी। तमिलनाडु के लोगों को उत्तरी श्रीलंका में अपने संबंधियों से मिलने तथा पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय एवं त्रिपुरा से बंगलादेश में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए आने जाने के वास्ते ये सुविधा दी गयी थी।
सूत्रों ने बताया कि चूंकि पासपोर्ट बनाने की व्यवस्था में हाल के वर्षों में किये गये बदलावों से लोगों को कम से कम समय में आसानी से साधारण पासपोर्ट मिल पा रहा है। इससे लोगों को राहत मिली है। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पासपोर्ट व्यवस्था को एकरूप बनाने के लिए उपरोक्त निर्णय लिया है। इस निर्णय से लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा या कठिनाई पेश नहीं आएगी। लोगों के पास एक समान पूर्ण पासपोर्ट होने से वे केवल एक उद्देश्य के लिए सीमित यात्रा की बजाय कहीं भी और किसी भी उद्देश्य के लिए आ जा सकेंगे।
भारत में इस समय 37 पासपोर्ट कार्यालय और करीब सवा चार सौ डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्र हैं जिनके माध्यम से पासपोर्ट बनाने के काम में तेजी आयी है। वर्ष 2014-15 के बाद पासपोर्ट संबंधी प्रक्रिया में सुधार के कारण पासपोर्ट बनने में लगने वाले समय में भी काफी कमी आयी है।