नयी दिल्ली, 20 जनवरी ।सरकार ने आज किसान संगठनों को कृषि सुधार कानूनों को एक निर्धारित समय सीमा तक स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया और इस दौरान एक समिति के माध्यम से समस्याओं के समाधान पर जोर दिया।
किसान संगठनों और सरकार के बीच कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य काे कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को हुई यहां बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इन कानूनों को एक निश्चित समय सीमा तक स्थगित करने तथा इस दौरान एक समिति के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने का प्रस्ताव दिया।
लगभग साढ़े पांच घंटे तक चली इस बैठक में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल भी उपस्थित थे।
किसान नेताओं के अनुसार श्री तोमर ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को निर्धारित समय सीमा तक स्थगित रखने पर दोनों पक्षों के बीच यदि सहमति बनती है तो सरकार उच्चतम न्यायालय में इस संबंध में एक हलफनामा दायर कर सकती है।
दसवें दौर की इस बैठक के किसान नेताओं ने कहा कि वे कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच अगली बैठक 22 जनवरी को होगी।
किसान संगठनों और सरकार के बीच दसवें दौर की बुधवार को हुई बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार एक या डेढ़ साल तक कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित करने पर सहमत है और इस दौरान किसान और सरकारी प्रतिनिधि मिलकर समस्याओं का हल खोजें और जो भी समाधान निकलें उन्हें आगे बढ़ाया जाए।
श्री तोमर ने संवाददाताओं से कहा कि इस प्रस्ताव पर सहमति बनने के बाद अन्य बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया जायेगा। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि किसान ठंड में बैठे हुए हैं और तकलीफें झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस दिन आंदोलन समाप्त हो जाएगा और किसान अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान कर जाएंगे, उस दिन देश के लोकतंत्र की जीत हाेगी। व्यक्तियों की जीत का कोई महत्व नहीं है। उच्चतम न्यायालय के प्रति केंद्र सरकार हमेशा प्रतिबद्ध है। अदालत ने जो समिति बनाई है, वह अपना काम कर रही है।
श्री तोमर ने कहा कि आज की बैठक बहुत महत्वपूर्ण रही। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व को देखते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी का स्मरण करके बैठक प्रारंभ हुई। किसान संगठन पहले की तरह कानून वापस लेने की अपनी मांग पर रहे और सरकार खुले मन और बड़े दिल से प्रावधान के अनुसार कानून पर विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी। बैठक सौहार्दपूर्ण माहाैल में सपन्न हुई, हालांकि चर्चा नरम-गरम होती रही। हर तरफ से विचार आए और चर्चा के कई दौर हुए।
उन्होंने कहा कि यह गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व का प्रभाव है कि किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को गंभीरता से लिया और इस पर विचार-विमर्श करने और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे दोबारा बैठक करने और किसानों के निर्णय से अवगत कराने की बात कही।
उन्होंने कहा,“ मुझे लगता है कि बातचीत सार्थकता की ओर बढ़ रही है और संभावना व्यक्त की जा सकती है कि 22 तारीख को हम समाधान की ओर बढ़ सकें। ”
श्री तोमर ने कहा कि आज का दिन गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है। इस पावन प्रकाश पर्व पर कोई हल निकल आए यह सरकार की इच्छा थी, इसलिए हमने सरकार की ओर से किसान संगठन को यह प्रस्ताव दिया कि उनकी सभी शंकाओं के हल के लिए सरकार खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है।