मुंबई, 18 अगस्त । सरकार पंजीकृत मूल्यांककों के लिए एक अलग कानून लाने की योजना बना रही है। इससे दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत आई दिवाला कंपनियों के लिए बेहतर मूल्यांकन निकालने में मदद मिलेगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
पिछले साल जुलाई से 40 बड़े गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) वाले बड़े खाते राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास भेजे गए हैं। कुल 11,000 अरब रुपये के डूबे कर्ज में इन खातों का हिस्सा 40 प्रतिशत बैठता है। इनमें से अभी तक सिर्फ सात खातों का निपटान किया गया है। इन मामलों में बैंकों को अपने बकाया कर्ज पर करीब 60 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा है।
कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि आईबीसी अभी शुरुआती अवस्था में है। इस प्रक्रिया में उचित मूल्यांककों की कमी खल रही है। ज्यादातर दिवाला पेशेवर इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनके लिए यह नया क्षेत्र है।
श्रीनिवास ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपके पास पंजीकृत मूल्यांकक हैं। लेकिन आपके पास उनके लिए अलग कानून नहीं है। हम चार्टर्ड अकाउंटेंट या कंपनी सचिवों के लिए अलग कानून लाने की संभावना तलाश रहे हैं। हम यह आकलन कर रहे हैं कि क्या उनके नियमन को एक पूर्ण कानून लाया जा सकता है।’’
उन्होंने आगे कहा कि आईबीसी एक ठोस कानूनी रूपरेखा है, लेकिन इसका कमजोर पक्ष निपटान पेशेवरों (आईपी) में अनुभव की कमी है।attacknews.in