नयी दिल्ली, छह सितंबर । सरकार देश के करीब 69,000 पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग कियोस्क लगाने पर विचार कर रही है। इस कदम से देश में बिजलीचालित वाहनों की मांग को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा सरकार कंपनियों के स्वामित्व, कंपनियों के परिचालन वाले (सीओसीओ) तथा सरकारी रिफाइनरी कंपनियों के सभी पेट्रोल पंपों पर ईवी चार्जिंग कियोस्क को अनिवार्य करने पर भी विचार कर रही है।
इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग ढांचे पर समीक्षा बैठक के दौरान बिजली मंत्री आर के सिंह ने पेट्रोलियम मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को सुझाव दिया कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाली पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को सभी सीओसीओ पेट्रोल पंपों पर चार्जिंग कियोस्क लगाने का आदेश जारी कर सकते हैं।
एक सूत्र ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अन्य फ्रेंचाइजी पेट्रोल पंप परिचालकों को अपने ईंधन स्टेशनों पर कम से कम एक चार्जिंग कियोस्क लगाने की सलाह दी जा सकती है। सूत्र ने कहा कि इससे देश के सभी पेट्रोल पंपों पर ईवी चार्जिंग सुविधा लगाई जा सकेगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी नए पेट्रोल पंपों पर कम से कम एक वैकल्पिक ईंधन का विकल्प अनिवार्य है।
सूत्र ने कहा, ‘‘वैकल्पिक ईंधन के तहत ज्यादातर नए पेट्रोल पंप इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सुविधा के विकल्प को चुन रहे हैं। यदि मौजूदा पेट्रोल पंपों पर भी ईवी चार्जिंग कियोस्क लग जाता है, तो इससे देश में बिजलीचालित वाहनों को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा।’’
उद्योग के अनुमान के अनुसार देश में करीब 69,000 पेट्रोल पंप हैं। सभी पेट्रोल पंपों पर ईवी चार्जिंग सुविधा से इलेक्ट्रिक वाहनों को जबर्दस्त प्रोत्साहन मिलेगा। अभी चार्जिंग सुविधा के अभाव में लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से कतराते हैं।
बिजली मंत्रालय ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, वडोदरा ओर भोपाल में ईवी चार्जिंग ढांचा लगाने की योजना बनाई है। इसके अलावा मंत्रालय का इरादा राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी ईवी चार्जिंग ढांचा लगाने का है। इससे लोग बिजलीचालित वाहन खरीदने को प्रोत्साहित होंगे।
सूत्र ने कहा, ‘‘मंत्री का मानना है कि किसी शहर में दो या तीन चार्जिंग स्टेशन लगाना पैसे की बर्बादी होगा। केंद्र सरकार दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह बिजलीचालित करने की तैयारी कर रही है। इसे बाद में अन्य शहरों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।’’