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ऑनलाइन ई-पोर्टलों पर बिकने वाले सभी समानों के साथ “विनिर्माता देश “की जानकारी देना अनिवार्य करने का आदेश

नईदिल्ली 23 जून ।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एक स्पेशल पर्पस व्हीकल, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने विक्रेताओं के लिए यह अनिवार्य बना दिया है कि  जीईएम पर सभी नए उत्पादों को पंजीकृत करने के समय वे उत्पत्ति के देश के बारे में जानकारी अवश्य दें।

इसके अतिरिक्त, जिन विक्रेताओं ने जीईएम पर इस नए फीचर के लागू होने से पूर्व अपने उत्पादों को पहले ही अपलोड कर लिया है, उन्हें, इस चेतावनी के साथ कि अगर वे इसे अपडेट करने में विफल रहे तो उनके उत्पादों को जीईएम से हटा दिया जाएगा, नियमित रूप से उत्पत्ति के देश का अद्यतन करने के लिए स्मरण दिलाया जा रहा है।

जीईएम ने यह उल्लेखनीय कदम ‘मेक इंन इंडिया‘ तथा ‘आत्म निर्भर भारत‘ को बढ़ावा देने के लिए उठाया है।

जीईएम ने उत्पादों में स्थानीय कंटेंट की प्रतिशतता का संकेत देने के लिए भी एक प्रावधान किया है। इस नए फीचर के साथ, अब उत्पत्ति का देश तथा स्थानीय कंटेंट की प्रतिशतता सभी मदों के लिए मार्केटप्लेस में दृष्टिगोचर हैं।

इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि अब पोर्टल पर ‘मेक इंन इंडिया‘ फिल्टर सक्षम बना दिया गया है। खरीदार केवल उन्हीं उत्पादों की खरीद कर सकता है जो कम से कम 50 प्रतिशत के स्थानीय कंटेंट के मानदंड को पूरी करते हैं। बोलियों के मामले में, खरीदार अब क्लास 1 स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं (स्थानीय कंटेंट >50 प्रतिशत) के लिए किसी भी बोली को आरक्षित कर सकते हैं। 200 करोड़ रुपये से नीचे की बोलियों के लिए केवल क्लास 1 तथा क्लास 2 स्थानीय आपूर्तिकर्ता (स्थानीय कंटेंट क्रमशः >50 प्रतिशत और >20 प्रतिशत) ही बोली लगाने के पात्र हैं जिसमें क्लास 1 आपूर्तिकर्ता को खरीद वरीयता प्राप्त होगी।

अपनी शुरुआत से ही, जीईएम ‘मेक इंन इंडिया‘ पहल को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है।

मार्केटप्लेस ने वास्तविक अर्थों में ‘मेक इंन इंडिया‘ तथा सरकार की एमएसई खरीद वरीयता नीतियों को कार्यान्वित करते हुए सार्वजनिक खरीद में छोटे स्थानीय विक्रेताओं के प्रवेश को सुगम बनाया है।

जीईएम इस महत्वपूर्ण समय में जब सरकारी संगठनों को कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए तत्काल उत्पादों एवं सेवाओं की आवश्यकता है, त्वरित, दक्ष, पारदर्शी और किफायती खरीद को सक्षम बना रहा है। सरकारी उपयोगकर्ताओं द्वारा जीईएम के माध्यम से खरीदों को वित मंत्रालय द्वारा सामान्य वित्तीय नियम, 2017 में एक नए नियम संख्या 149 को जोड़े जाने के जरिये अधिकृत और  अनिवार्य बना दिया है।

कैट ने ऑनलाइन बिकने वाले सभी सामानों के साथ ‘विनिर्माता देश’ की जानकारी दिये जाने की मांग की थी

नयी दिल्ली में , 21 जून को खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ऑनलाइन पोर्टलों के जरिये बिकने वाले सभी सामानों के साथ यह जानकारी दिये जाने की मांग की थी कि उक्त उत्पाद किस देश में तैयार हुआ है।

कैट ने इसे लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया था कि वे प्रत्येक ई-वाणिज्य कंपनियों को अपने मंचों पर बिक रहे सभी सामानों के साथ संबंधित देश की जानकारी अनिवार्य तौर पर मुहैया कराने का निर्देश दें।

कैट ने कहा कि अधिकांश ई-वाणिज्य पोर्टल चीन में बने सामान बेच रहे हैं, जिसके बारे में उपभोक्ता अनजान है।

उल्लेखनीय है कि चीन के साथ सीमा तनाव को लेकर सैन्य झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद देश में चीन के सामानों का बहिष्कार करने की मुहिमें चल रही हैं। कैट ने भी चीन के सामानों के बहिष्कार के लिये एक अभियान शुरू किया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “मैंने उनसे (गोयल से) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के प्रेस नोट नंबर 2 में संशोधन करने के लिये कहा है। यह प्रेस नोट एफडीआई समर्थित ई-वाणिज्य कंपनियों के लिये और भारतीय ई-वाणिज्य कंपनियों के लिये एक सामान्य नियम का निर्धारण करना निर्दिष्ट करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अन्य देशों से आयात के साथ-साथ स्वदेशी निर्माताओं के लिये सभी मामलों में ‘उत्पादों के निर्माण से संबंधित देश’ की जानकारी दिये जाने की मांग की है। हर उत्पाद का मूल देश उसके साथ बताया जाना चाहिये।’’

कैट ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर चीन के सामानों के बहिष्कार के अभियान का नेतृत्व करने का आग्रह किया है। उसने राजनीतिक दलों से भी इस अभियान के पक्ष में अपील जारी करने का आग्रह किया है।

कैट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से भी कहा है कि वह वीवो के प्रायोजन और किसी अन्य चीनी कंपनी के प्रायोजन को रद्द कर दे। संगठन ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से भी ऐसा करने की अपील की है।

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