नयी दिल्ली, 21 नवंबर ।केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है और वहां पूर्ण बंद के आरोप लगाने वाली याचिकाएं गलत तथा अप्रासंगिक हैं।
केंद्र तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखना शुरू किया और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद क्षेत्र में लागू कुछ पाबंदियों को सही ठहराया।
पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं।
मेहता ने पीठ को सूचित किया कि 13 अगस्त के बाद से क्षेत्र में पाबंदियों से छूट दी गई है और वहां पूर्ण बंद नहीं है जैसा कि याचिकाकर्ता बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की याचिका समेत पाबंदियों के आरोप लगाने वाली याचिकाएं गलत है और अप्रांसगिक हो चुकी हैं।
सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र के कई कानून लागू नहीं होते थे। राज्य में सूचना का अधिकार और बाल विवाह रोकथाम के कानून भी लागू नहीं होते थे।
उन्होंने पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां लगाने अथवा हटाने के बारे में फैसला प्रशासन ने अपने विवेक से लिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पोस्टपेड मोबाइल सेवा जैसी सेवाएं 14 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है।
मेहता ने पीठ को सूचित किया, ‘‘स्कूल खोले जा चुके हैं, बल्कि 917 स्कूल ऐसे हैं जो अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से कभी बंद नहीं हुए।’