मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश को चार सुधारों में से तीन सुधारों को पूरा करने के लिए पुरस्कृत किया गया
पूंजीगत व्यय के लिए इन्हें 1,004 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्राप्त हुई
नईदिल्ली 6 जनवरी ।मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा निर्धारित चार नागरिक केंद्रित सुधारों में से तीन सुधारों को पूरा करने वाले राज्यों का पहला समूह बन गये है। इन दोनों राज्यों ने वन नेशन, वन राशन कार्ड रिफॉर्म, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म और अर्बन लोकल बॉडीरिफॉर्म पूरे कर लिए हैं।
तीन क्षेत्रों में सुधारों को पूरा करने के कारण वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने अभी हाल में शुरू की गई योजना “राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता” के तहत इन राज्यों को 1,004 करोड़ रूपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
पूंजीगत परियोजनाओं के लिए आंध्र प्रदेश को 344 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी, जबकि मध्य प्रदेश 660 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्राप्त करने का हकदार बन गया है।
वित्त मंत्री ने 12 अक्टूबर, 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में इस योजना की घोषणा की थी। पूंजीगत व्यय के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय सहायता इन राज्यों को इन सुधारों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त ऋण हेतु इन राज्यों को जारी 14,694 करोड़ रुपये की अनुमति के अलावा प्रदान की जा रही है।
“राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता” योजना का उद्देश्य कोविड-19 महामारी से उत्पन्न कर राजस्व कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय स्थिति का सामना कर रही राज्य सरकारों के पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है। पूंजीगत व्यय के उच्च गुणक प्रभाव पड़ते हैं,जिससे अर्थव्यवस्था की आगामी उत्पादक क्षमता में बढ़ोतरी होती है, जिसके परिणाम स्वरूप आर्थिक प्रगति की उच्च दर विकसित होती है। इसलिए, केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद, वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशेष सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकारों ने इस योजना के प्रति बड़ी गर्मजोशी दिखाई। अभी तक वित्त मंत्रालय ने 27 राज्यों के 9880 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत राज्यों को पहली किस्त के रूप में 4,940 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है। राज्यवार आवंटन, दी गई मंजूरी और जारी की गई निधियां सरकार ने जारी कर दी हैं। तमिलनाडु ने इस योजना का लाभ नहीं उठाया है।
पूंजी व्यय परियोजनाओं को स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जल आपूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मंजूर किया गया है।
इस योजना के तीन भाग हैं। पहले भाग में पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य शामिल हैं। इस भाग में सभी 7पूर्वोत्तर राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा) को 200-200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) को 450-450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अधिक आबादी और भौगौलिक क्षेत्र को देखते हुएअसम राज्य को इस योजना के तहत 450 करोड़ रुपये का बढ़ा हुआ आवंटन उपलब्ध कराया गया है।
इस योजना के दूसरे भाग में, वे सभी राज्य शामिल हैं, जो भाग-1 में नहीं है। इस भाग के लिए 7,500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इन राज्यों में इस राशि का आवंटन वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग के अंतरिम अवार्ड के अनुसार केन्द्रीय कर में इन राज्यों के हिस्से के अनुपात में किया गया है।
इस योजना के तीसरे भाग का उद्देश्य राज्यों में विभिन्न नागरिक-केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग में2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन राज्यों को उपलब्ध होगी, जो सुधार से जुड़ी अतिरिक्त ऋण अनुमति के संबंध में वित्त मंत्रालय के पत्र दिनांक 17 मई, 2020 द्वारा निर्दिष्ट 4 सुधारों में से कम से कम 3 सुधारों को 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा कर लेते हैं। ये चार सुधार हैं – वन नेशनवन राशन कार्ड रिफॉर्म, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म, अर्बन लोकल बॉडी/यूटीलिटी रिफॉर्म और पॉवर सेक्टर रिफॉर्म।