नयी दिल्ली, 29 जनवरी। सरकार ने सीमित संसाधन होने के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने को हमेशा प्राथमिकताओं में रखा है। आर्थिक समीक्षा में आज यह बात कहीं गई है।
संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘ एक विकासशील अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक बुनियादी ढांचों पर खर्च में वृद्धि करने के लिए पर्याप्त राजस्व नहीं है। हालांकि, सीमित संसाधनों को देखते हुए, सरकार ने लोगों के शैक्षिक और स्वास्थ्य स्तर को मजबूत करने को लगातार प्राथमिकता दी है।
सामाजिक क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दिये जाने की प्रतिबद्धता के साथ समीक्षा में कहा गया है कि सामाजिक सेवाओं पर जीएसडीपी 2016-17 में बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गयी जो कि 2014-15 में छह प्रतिशत थी।
समीक्षा में कहा गया है कि सरकार शिक्षा के लिए दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने और सभी के लिए समावेशी और उत्कृष्ट शिक्षा सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक आजीवन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत ने स्कूल इमारतों/ कक्षाओं के निर्माण, पेयजल सुविधाओं, शौचालय सुविधाओं और प्राथमिक स्कूल स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति जैसे भौतिक मूलभूत ढांचों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
इसमें कहा गया है कि हालांकि अन्य राज्यों की तुलना में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में स्कूलों का अधिक प्रतिशत है जहां कम शिक्षक थे।
समीक्षा में लैंगिक समानता सूचकांक का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना लड़कियों की सुरक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए है और देश के सभी 640 जिलों तक इसके विस्तार को मंजूरी दी गई है।attacknews.in
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के बारे में इसमें कहा गया है कि इस योजना का उद्देश्य भोजन पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन-एलपीजी उपलब्ध कराकर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘‘इस योजना की शुरूआत होने के बाद से 18 जनवरी, 2018 तक लगभग 3.3 करोड़ एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराये जा चुके हैं।’’attacknews.in