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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक बनाया गया,अब कोई भी बैंक बीमा राशि में से ॠण की राशि नहीं काट पाएगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 फरवरी ।सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना काे स्वैच्छिक बनाने तथा देश में 10 हजार कृषि उत्पाद संगठन (एफपीओ) बनाने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की आज यहां हुयी बैठक में यह निर्णय लिया गया।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कराने वाले किसानों से बैंक बीमा की राशि में से पहले ऋण की राशि काट लेते थे लेकिन फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक बनाये जाने से बैंक ऐसा नहीं कर पायेंगे।

इस योजना को लेकर और कई बदलाव किये गये हैं। इसका लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि एफपीओ का प्रयोग देश में बहुत सफल रहा है और सरकार देश में 10 हजार एफपीओ का गठन करेगी और उन संगठनों को छह हजार करोड़ रुपये की सहायता दी जायेगी।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)’ तथा ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)’ को दिया गया नया रूप:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने फसल बीमा योजना लागू करने में वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)’ तथा ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)’ को नया रूप देने की मंजूरी दी है।

जारी पीएमएफबीवाई तथा आरडब्ल्यूबीसीआईएस के कुछ मानकों/प्रावधानों में संशोधन का निम्नलिखित प्रस्ताव है।

.) बीमा कम्पनियों को व्यवसाय का आवंटन तीन वर्षों के लिए किया जाएगा (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)।

बी.) राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को वित्त का आकार या सांकेतिक औसत पैदावार का जिला स्तरीय मूल्य (एनएवाई) यानी एनएवाई* किसी भी जिले के फसल मिश्रण (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों) के लिए बीमित राशि के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को चुनने का विकल्प दिया जाएगा। अन्य फसलों के लिए फसल के खेत मूल्य पर विचार किया जाएगा, जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया गया है।

सी.) पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के अंतर्गत केन्द्रीय सब्सिडी असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 30 प्रतिशत तक प्रीमियम दरों के लिए सीमित होगी और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 25 प्रतिशत होगी। 50 प्रतिशत या उससे अधिक सिंचित क्षेत्र वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र/जिला (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों) के रूप में माना जाएगा।

डी.) योजना लागू करने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए लचीलापन होगा और उनके पास प्रतिबंधित बुआई, स्थानीय आपदा, मध्य सीजन में विपरीत परिस्थिति तथा फसल कटाई के बाद के नुकसानों जैसे अतिरिक्त जोखिम कवर/विशेषताओं में से कोई एक या अनेक चुनने का विकल्प होगा। राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश ओला-वृष्टि आदि जैसे विशिष्ट एकल जोखिम/बीमा कवर की पेशकश पीएमएफबीवाई के अंतर्गत बेस कवर के साथ और बेस कवर के बिना दोनों स्थितियों में कर सकते है। (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)

.) राज्यों द्वारा संबंधित बीमा कम्पनियों को निर्धारित समयसीमा से आगे प्रीमियम सब्सिडी में विलंब करने की स्थिति में राज्यों को बाद के सीजन में योजना को लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगा। खरीफ तथा रबी सीजन के लिए इस प्रावधान को लागू करने की कटऑफ तिथि क्रमिक वर्षों में क्रमशः 31 मार्च और 30 सितंबर होगी। (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)

एफ.) फसल नुकसान/अनुमति योग्यदावों के आकलन के लिए दो चरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह प्रक्रिया परिभाषित अंतर मैट्रिक्स पर आधारित होगी और इसमें मौसम संकेतकों, सेटेलाइट संकेतकों आदि का इस्तेमाल प्रत्येक क्षेत्र के लिए सामान्य सीमा तथा अंतर सीमाओं के साथ किया जाएगा। पैदावार नुकसान निर्धारण के लिए (पीएमएफबीवाई) केवल अंतर वाले क्षेत्र ही फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) के अधीन होंगे।

जी.) सीसीई संचालन में स्मार्ट सैंपलिंग टेक्निक (एसएसटी) तथा सीसीई की संख्या के अधिकतम उपयोग को अपनाया जाएगा। (पीएमएफबीवाई)

एच.) योजना लागू करने वाली बीमा कम्पनियों के लिए राज्यों द्वारा कटऑफ तिथि से आगे पैदावार डाटा का प्रावधान नहीं करने की स्थिति में टेक्नोलॉजी समाधान के उपयोग के माध्यम से निश्चित पैदावार के आधार पर दावे निपटाए जाएंगे।

आई.) योजना के अंतर्गत नामांकन सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया जाएगा। (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)

जे.) प्रीमियम सब्सिडी में केन्द्रीय हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वर्तमान 50:50 की साझा व्यवस्था से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा। (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)

के.) प्रशासनिक खर्चों के लिए योजना की कुल आवंटन का कम से कम 3 प्रतिशत का प्रावधान भारत सरकार तथा योजना लागू करने वाली राज्य सरकार करेगी। यह प्रत्येक राज्य के लिए डीएसी एंड एफडब्ल्यू द्वारा निर्धारित ऊपरी सीमा के अधीन होगा। (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों)

एल.) उपरोक्त के अतिरिक्त कृषि, सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग अन्य हितधारकों/एजेंसियों की सलाह से राज्य विशेष, वैकल्पिक जोखिम समाप्ति कार्यक्रम तैयार करेंगे/विकसित करेंगे। योजना सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है इसलिए वित्तीय समर्थन तथा कारगर जोखिम समाप्ति उपाए फसल बीमा के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे, विशेषकर 151 जिलों को, जो काफी अधिक जल की कमी से दबाव में है। इनमें 29 जिलों पर किसानों की कम आय तथा सूखा के कारण दोहरा प्रभाव पड़ा। इसलिए इस संबंध में एक अलग योजना तैयार की जाएगी।

एम.) योजना के संबंधित प्रावधानों/मानकों तथा पीएमएफबीवाई तथा आरडब्ल्यूबीसीआईएस के संचालन दिशा-निर्देश को संशोधित करके उपरोक्त संशोधनों को शामिल किया जाएगा और इन्हें खरीफ 2020 सीजन से लागू किया जाएगा।

लाभः

आशा है कि इन परिवर्तनों से किसान बेहतर तरीके से कृषि उत्पादन में जोखिम प्रबंधन करने में सक्षम होंगे और कृषि आय को स्थिर बनाने में सफल होंगे। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कवरेज बढ़ेगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसान बेहतर तरीके से कृषि जोखिम प्रबंधन में सक्षम होंगे। परिवर्तन त्वरित और सटीक पैदावार आंकलन को सक्षम बनाएंगे, जिससे दावों का निपटान तेजी से होगा।

इन परिवर्तनों को पूरे देश में खरीफ 2020 सीजन से लागू करने का प्रस्ताव है।

तकनीकी समूह के गठन को सरकार की मंजूरी

सरकार ने नयी तकनीकी के बारे में जानकारी देने के लिए तकनीकी समूह गठित करने का फैसला लिया है जिसमें तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह महत्वपूर्ण निर्णय है और सरकार ने यह फैसला विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को तकनीकी जानकारी देने के मकसद से लिया है।

उन्होंने कहा कि और इस समूह के जरिए सुनिश्चित किया जाएगा कि तकनीकी आधार पर सुशासन कैसे दिया जाता है। इस समूह में तकनीकी क्षेत्र के ऐसे विशेषज्ञ शामिल होंगे जिन्हें तकनीकी क्षेत्र में नित आ रहे बदलावों की जानकारी हो और नयी तकनीकी में किसका इस्तेमाल सुशासन के लिए बेहतर है इसकी जानकारी वह सरकार को उपलब्ध कराएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कई मंत्रालय और विभाग नयी तकनीकी खरीद तो कर लेते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल अच्छी तरह से काना नहीं आता है। कई बार नयी तकनीकी मंत्रालय में लायी जाती है लेकिन यह पता नहीं चलता है कि यह तकनीकी पुरानी हो गयी है। उन्होंने कहा कि यह समूह इसी तरह के मामलों की जांच पड़ताल करेगा और मंत्रालय तथा विभागों को तकनीकी खरीद संबंधी सलाह देगा।

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