नयी दिल्ली,10 जनवरी । हरियाणा के पंचकुला जिले की दो मुर्गीपालन कंपनियों से लिए गए नमूनों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी द्वारा एवियन फ्लू (एआई) की पुष्टि के बाद, मध्य प्रदेश के शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, आगर, विदिशा, उत्तर प्रदेश के जूलॉजिकल पार्क, कानपुर और राजस्थान के प्रतापगढ़ व दौसा जिलों में प्रवासी पक्षियों में एवियन फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं।
विभाग ने प्रभावित राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है, जिससे बीमारी का प्रसार रोका जा सके। अभी तक सात राज्यों (केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश) में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली में कौवों के मौत के बाद इनके नमूने जांच के लिए भेज गए हैं और रविवार को कर्नाटक के दक्षिण क्षेत्र मेें एक खंबे के नीचे दो चीलों की मौत के बाद इनमे नमूने भी जांच के लिए बेंगलुरू भेज दिए गए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में 08 जनवरी की रात और 09 जनवरी की सुबह मुर्गियों और जंगली पक्षियों की असामान्य मृत्यु की खबरें आई हैं। राज्य ने आपात स्थिति के लिए आरआरटी दलों का गठन कर दिया है और निर्दिष्ट प्रयोगशाला को नमूने भी भेज दिए गए हैं।
इसके अलावा, संजय झील, दिल्ली से भी बत्तखों की असामान्य मृत्यु की खबरें प्राप्त हुई हैं। परीक्षण के लिए नमूने निर्दिष्ट प्रयोगशाला को भेज दिए गए हैं। महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली, परभणी और बीड जिलों से एआई की पुष्टि के लिए मृत कौओं के नमूने एनआईएचएसएडी को भेज दिए गए हैं।
इसके अलावा, केरल के दो प्रभावित जिलों में पक्षियों को मारने का अभियान पूरा हो गया है और केरल राज्य में पोस्ट ऑपरेशनल सर्विलांस प्रोग्राम से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। केरल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के प्रभावित इलाकों की निगरानी के उद्देश्य से भ्रमण के लिए केंद्रीय दल नियुक्त कर दिए गए हैं और केरल में महामारी की जांच के लिए केंद्रीय दल पहुंच गए हैं।
राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों/ प्रशासकों को भेजे पत्र में सचिव डीएएचडी ने राज्य पशुपालन विभागों से बीमारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ प्रभावी संवाद और समन्वय सुनिश्चित करने तथा इंसानों में बीमारी के प्रसार की संभावनाओं से बचने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, जल स्रोतों, पक्षी बाजारों, चिड़ियाघरों, पोल्ट्री फार्म्स आदि के आस-पास निगरानी बढ़ा दी गई है, पक्षियों के अवशेषों का उचित निस्तारण और पोल्ट्री फार्म्स में मजबूत जैव सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। राज्यों से भी एवियन फ्लू की किसी घटना को लेकर तैयार रहने का अनुरोध किया गया है और पक्षियों को मारने के अभियान के लिए पीपीई किट्स और एसेसरीज का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
मुख्य सचिवों/ प्रशासकों से अफवाहों से प्रभावित उपभोक्ताओं के लिए उचित परामर्श जारी करने की व्यवस्था करने और ऐसे पोल्ट्री या पोल्ट्री उत्पादों की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया गया है जो उबालने/ पकाने के बाद खाने के लिए सुरक्षित हैं। राज्यों के लिए डीएएचडी का सहयोग भी सुनिश्चित कर दिया गया है।।
मध्यप्रदेश के झाबुआ में पांच मोरों की मौत
इधर मध्यप्रदेश में चल रहे बर्ड फ्लू के प्रकोप के बीच प्रदेश के झाबुआ जिले के ग्राम मदरानी स्थित एक खेत में रविवार को पांच मोर मृत पाए गए ।
वन मंडल अधिकारी एम एल हरित ने बताया कि जिला मुख्यालय से 59 किलोमीटर दूर थांदला रेंज क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मदरानी में रविवार को पांच मोर एक खेत में मृत अवस्था में पाए गए। उन्होंने कहा कि इसकी सूचना गांव के लोगों द्वारा वन विभाग को दी गई।
हरित ने बताया कि सूचना मिलने के तुरंत बाद जांच के लिए विभाग का अमला और पशु चिकित्सक मौके पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि बर्ड फ्लू की आशंका के कारण भी हमने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। मोरों की मौत के कारण का पता लगाने के लिए उनका पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।
इस बीच, पशुपालन विभाग के उप संचालक डॉ. विलसन डावर ने बताया कि ग्राम मदरानी में मोरों की मौत की सूचना के बाद जांच के लिए मेघनगर से पशु चिकित्सक सुरेश गोढ को भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है।
डावर ने बताया कि बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए वहां से निर्देश प्राप्त हुए हैं कि एक मृत मोर प्रोटोकॉल के तहत वन विभाग को सौंप दिया जाए। विभाग द्वारा उसे जांच के लिए भोपाल की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा, जिसकी रिपोर्ट 3-4 दिनों में मिलने की उम्मीद है।
मध्यप्रदेश की स्थिति
मध्यप्रदेश के 13 जिलों के कौओं के नमूनों में बर्ड फ्लू के एच5एन8 प्रकार का संक्रमण पाया गया है, जबकि दिसंबर के आखिर हफ्ते से अब तक 27 जिलों से लगभग 1,100 कौओं एवं जंगली पक्षियों की मृत्यु हुई है।